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इस होली का स्वागत करें पुरवा नरेश के संगीतमय टेलीप्ले ‘आज रंग है ’ के साथ

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By Mayapuri Desk
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इस होली का स्वागत करें पुरवा नरेश के संगीतमय टेलीप्ले ‘आज रंग है ’ के साथ

ज़ी थिएटर द्वारा प्रस्तुत यह टेलीप्ले मानव संबंधों और भारत की विविधता का उत्सव है-

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28 मार्च को दोपहर दो बजे और रात आठ बजे टाटा स्काई में, होली के रंगीन पर्व पर, जी थिएटर्स में प्रस्तुत हो रहा  है वो हाइली एक्लेम्ड चर्चित टेलीप्ले जिसका नाम है  ’आज रंग है’। पुरवा नरेश द्वारा लिखित और निर्देशित ये टेलीप्ले आमिर खुसरो के कविताओं के माध्यम से भारत के समन्वित, सांस्कृतिक और कलात्मक परम्पराओं का एक संगीतमय उत्सव है। पुरवा नरेश, आज के समय में भारतीय रंगमंच की सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली महिला आवाज़ों में से एक है। यह टेलीप्ले, विभाजन के बाद के भारत में स्थापित समय का एक पीरियड ड्रामा है। ’आज रंग है’ की कहानी, लगातार अलगाववादी बन रही समाज में सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा देने के प्रयास में आमिर ख़ुसरो के ऑल एम्ब्रेसिंग दर्शन को बढ़ाता है।
पुरवा कहती हैं, “यह नाटक विभाजन के बाद के भारत में सेट किया गया है, लेकिन कथा में कई ऐसे क्षण हैं जो हमें आज की हेडलाइन्स की याद दिलाती हैं कि प्यार, मानवता, अस्तित्व, कला यह सब  संस्कृति की नींव है, जो हम फॉलो कर रहे हैं और करते हैं। मानवता का मूल शब्द मानव प्रेम है और हम प्रेम के बिना पूरी तरह से मानव नहीं हो सकते। नफरत सिर्फ तथाकथित ’दूसरों’ को अमानवीय नहीं करती है, यह हमें भी अमानवीय बनाती है। अगर हम केवल लड़ते रहेंगे तो हमारा क्या रहेगा? ”
इस प्ले में ’बेनी बाई’ वह धुरी है जिसके चारों ओर कहानी घूमती है। बेनी बाई को भारतीय शास्त्रीय संगीत के इतिहास का गहरा ज्ञान है और वह अपने पड़ोसियों को सलाह मशविरा देने के लिए इसका इस्तेमाल करती है,  चाहे वह फेनी और शारदा का अंतर-धार्मिक मामला हो, अमीना और विद्या की प्रेम, जीवन और ईश्वर के बारे में अनंत जिज्ञासा हो या होली केवल हिंदुओं का एक त्यौहार है या नहीं इस मुद्दे की बात हो। बेनी सभी जटिल प्रश्नों की चाबी होती है। नाटक में पुरवा नरेश के साथ है त्रिशला पटेल, सारिका सिंह, प्रेरणा चावला, निशी दोशी, पवन उत्तम, इमरान रशीद, हिदायत सामी और दानिश हुसैन।
इस होली का स्वागत करें पुरवा नरेश के संगीतमय टेलीप्ले ‘आज रंग है ’ के साथ

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