कहानी एक फिल्मी लड़की की “क्योंकि उनके पिछवाड़े पर संघर्ष के फफोले नहीं, बाप की गोद थी!” By Mayapuri Desk 05 Sep 2021 | एडिट 05 Sep 2021 22:00 IST in फोटो फोटोज़ New Update Follow Us शेयर उसे थोड़ा गुस्सा था! वह ऑडिशन के कमरे से बाहर निकली थी। 'इनको क्या..., बुलाकर एक शब्द में सॉरी बोल दिए। अरे, जब मार्केट की हिरोइन ही लेना था, तब ऑडिशन का नाटक क्यों करते हो?' यह गुस्सा उस लड़की का था जो एक फ़िल्म में सेकेंड हीरोइन के लिए फाइनल हो चुकने के बाद एग्रीमेंट साइन करने आई थी। 'लॉक डाऊन के बाद से लोकल ट्रेन में सफर करना बंद है। मीरा रोड से लोखंडवाला अंधेरी पश्चिम उनके ऑफिस में आने में और जाने में 700 रुपये ऑटो रिक्सा का किराया लगता है। इनलोगों का क्या? बोल दिए कि बॉस ने मार्किट की लड़की फाइनल कर दिया है।' वह फिल्मों की संघर्षशील लड़की (जिसका नाम और चित्र हम यहां इसलिए नहीं दे रहे हैं ताकि उसको और ऑफिसों में काम पाने के लिए जाने पर मजाक न बनना पड़े) घर से बिना नाश्ता किए दो घंटे पहले निकली थी ताकि समय से पहले पहुंच सके। मेरे साथ ऑडिशन सेंटर के बाहर चाय की डबरी पर खड़ी रहकर चाय की चुस्कियां लेते हुए उसने कई हीरोइनों की ऐसी तैसी कर डाली। 'अरे साहब, ये जो इना, मीना डिका हैं न ! (उसका मतलब जाह्नवी, सोनम आलिया जैसी स्टार बेटियों से था) इसलिए स्टार हैं क्योंकि इनके पिछवाड़े पर संघर्ष के फफोले नहीं, बाप की गोंद थी। ये लोग स्टार बनकर शुरुआत ली हैं। अगर इनको भी ऑडिशन से गुजरना पड़ता तो इनकी फ...कर हाथ में आ जाती।' फिर उसने मुझे जाह्नवी कपूर का उदाहरण दिया-'श्री देवी का टैग लगा था और प्रोड्यूसर बोनी कपूर की बेटी है, देख लो...वह तो बड़ी फिल्म के ऑडिशन में भी जाने की एंट्री नहीं पाती।' उस लड़की ने दूसरा नाम लिया सोनम कपूर का- 'न उसमें हाड़ है न मांस है लेकिन बन गई हैं अवॉर्ड विनर एक्ट्रेस। फाल्के अवॉर्ड मिला है उनको इस साल! भले ही नकली फाल्के अवॉर्ड हो।' वह कुछ और बोलती, मैंने उनको रोक दिया- 'चलो अपने संघर्ष के बारे में बताओ। अब तो इना- मीना- डिका के दिन गए। अब कोई कम्पटीशन नहीं है। चला दो अपने जादू?' एक खनकती हंसी उसने मुझ पर फेंकी जैसे मेरा उपहास उड़ा रही हो। 'रिक्त जगह भरो जैसा विज्ञापन भी बॉलीवुड में रक्त भरो बोलकर आता है।' फिर हमारी वार्ता के बीच एक खामोशी आ जाती है। मैं सच के छिलके उधेड़ता, उससे पहले उसने कहा- 'मेरी बात लिखना मत, लिखने के लिए नहीं,बस सोचना... सोचने के लिए बोल गई हूं। मेरी जैसी का जादू चलेगा भी कैसे, कोई फिल्मी रसूख नहीं है ना! और, तब तक शाहरुख की बिटिया, जैकी की बिटिया, जूही की बिटिया, आमिर की बिटिया नए लॉट में आएंगी और आकर छा भी जाएंगी। और ’हम जैसी’ भयंदर-अंधेरी लोकल ट्रैन खुलने का इंतेज़ार करती रह जाएंगी। यही है हमारी जैसी लड़कियों की दिनचर्या।' #Janhvi Kapoor #latest news #film girl #The story of a film girl हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article