स्वस्थ रहने के लिए पारंपरिक भारतीय खाद्य पदार्थ अपनाने की जरूरत: गुरु मनीष By Mayapuri Desk 17 Oct 2021 | एडिट 17 Oct 2021 22:00 IST in फोटो फोटोज़ New Update Follow Us शेयर शुद्धि आयुर्वेद के संस्थापक गुरु मनीष का मानना है कि स्वस्थ रहने के लिए पारंपरिक भारतीय खाद्य पदार्थों को अपनाने की जरूरत है। गुरु मनीष कहते हैं कि हम जिस तरह का गेहूं और चावल खा रहे हैं वह आनुवंशिक रूप से संशोधित है और इनका स्वरूप पूरी तरह से बदल चुका है। ऐसे गेहूं और चावल दिन के हर भोजन में लंबे समय तक खाने से बच्चों का कद प्रभावित हो रहा है, वजन भी सही अनुपात में नहीं रहता और यौन रोग बढ़ गये हैं। महिलाओं की प्रजनन क्षमता भी घट गयी है। गेहूं और चावल के विपरीत मिलेट्स में फाइबर की मात्रा अधिक होती है। गेहूं में फाइबर की मात्रा 1.5 प्रतिशत, चावल में 0.2 प्रतिशत और मिलेट्स में 12.5 प्रतिशत होती है। भारत में पेट के रोग, अनुवंशिक विकार और शुगर बढ़ने का प्रमुख कारण भोजन में गेहूं और चावल का अत्यधिक उपयोग है। गुरु मनीष ने आगे कहा कि गेहूं और चावल की जगह कंगनी, हरी कंगनी, सांवा, कोडो और कुटकी जैसे मिलेट्स को न केवल स्वस्थ रहने के लिए बल्कि कई बीमारियों से बचने के लिए भी आहार में शामिल किया जा सकता है। ये हमारे मूल अनाज हैं, जबकि न्यूट्रल मिलेट्स में बाजरा, रागी, चना, ज्वार और मक्का शामिल हैं। मिलेट्स शरीर को स्वस्थ और रोग मुक्त रखने में सक्षम हैं, क्योंकि ये कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन, प्रोटीन और खनिज आदि से भरपूर होते हैं। गुरु मनीष ने समझाया कि मिलेट्स या मोटे अनाज की फसलें प्राकृतिक हैं। उन पर रसायनों का छिड़काव नहीं किया जाता है। उनके जीन भी नहीं बदले गये हैं। यदि हम बारी-बारी से पौष्टिक मिलेट्स को अपने आहार में शामिल करें तो एक या दो सप्ताह में मधुमेह की समस्या कम हो सकती है और दो से चार सप्ताह में रक्तचाप भी नियंत्रण में आ सकता है। कैंसर रोगियों को भी दो से चार महीने में लाभ मिल जाता है। गुरु मनीष ने कहा, 'आयुर्वेद में वात, पित्त और कफ तीन स्थितियों का वर्णन है। अगर किसी का वात बिगड़ जाता है तो जोड़ों का दर्द होने लगता है। पित्त के उल्लंघन से रक्त संक्रमण, यकृत रोग और मधुमेह हो जाता है। कफ के बिगड़ने पर दमा, सांस लेने में तकलीफ, सर्दी और खांसी होती है। मिलेट्स पचने में आसान होते हैं और शरीर में प्रोबायोटिक्स के स्तर में भी सुधार कर सकते हैं। गुरु मनीष ने उत्तर भारत के विभिन्न शहरों में हिम्स (अस्पताल एवं एकीकृत चिकित्सा विज्ञान संस्थान) नेचर केयर सेंटर स्थापित किये हैं, जिनमें डेराबस्सी, जीरकपुर, चंडीगढ़, पटियाला और दिल्ली शामिल हैं। इनमें सरकारी कर्मचारियों के लिए कैशलेस इलाज की सुविधा है। आयुष बीमा कार्ड धारकों को भी इलाज की सुविधा मिलती है। हिम्स क्लीनिक में दवाएं नहीं दी जाती हैं, बल्कि यहां रोगियों को मधुमेह, बीपी, लिवर, सांस और गुर्दे की समस्याओं व जोड़ों के दर्द जैसी विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए जीवनशैली में बदलाव करने को कहा जाता है। हिम्स सेंटर में मिलेट्स से बना भोजन परोसा जाता है। औषधि के रूप में अमरूद, पीपल और गिलोय के पत्तों का काढ़ा बनाकर रोगियों को दिया जाता है। योग और ध्यान के साथ-साथ सकारात्मक सोच को भी बढ़ावा दिया जाता है। इस तरह से 90 फीसदी मरीज ठीक हो जाते हैं। शेष 10 प्रतिशत रोगियों को आगे के इलाज के लिए आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा या पंचकर्म जैसे उपचारों की आवश्यकता होती है। #about Guru Manish #Guru Manish #Guru Manish says #Traditional Indian foods हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article