सच्ची देश भक्ति और आज़ादी का मतलब मजबूर और असहाय की मदत करना है By Mayapuri Desk 14 Aug 2021 | एडिट 14 Aug 2021 22:00 IST in फोटो फोटोज़ New Update Follow Us शेयर वह एक ऐसी समाज सेविका हैं जो पूरे कोरोना के समय मे घूम घूम कर अपनी टीम के साथ लोगों को मदद पहुचाती रही हैं। खूब सूरत इतनी हैं कि अच्छी से अच्छी फिल्म की नायिकायें भी उनसे रस्क करें।उनको अपनी राजनैतिक पार्टी में शामिल करने और चुनाव लड़ाने के लिए ऑफर मिलते रहते हैं। पर वह हैं कि उनको झुग्गी झोपड़ियों में जाकर गरीबों की सेवा करने में ही आनंद आता है। कहती हैं- “सबके अपने अपने शौक होते हैं। मुझे मजबूर और असहाय की मदत करने में ही देश- भक्ति दिखाई देती है।” मुम्बई में मालवणी की स्लम में रहकर सलमा ने करीब 55000 लोगों को कोविड की त्रासदी में भोजन करने की व्यवस्था दिया है और प्रतिदिन करीब 500 लोगों को तैयार कराकर नियमित खाना खिलवाया है।और, यह क्रम जारी है। “यह सब अकेले मैं नही करती। मेरे साथ पूरी एक टीम है जो हमारी एनजीओ “उम्मीद” के साथ जुड़ी है। इस टीम के सारे लोग निःस्वार्थ काम करते हैं और सेवा कार्य के दौरान खुद के लिए अपने घरों से खाना लेकर आते हैं। उनके इस काम को वर्ड बुक ऑफ रेकॉर्डस -लंदन ने रेकोग्नाईज किया है। “हम इसके लिए रणदीप सिंह (पूर्व प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह के ग्रेंड सन) के शुक्र गुजार हैं जो वहां तक बात पहुंचाए।”सलमा को उनके कार्यों के लिए देश और विदेश से तमाम पुरस्कार और अवाड्र्स मिल चुके हैं। मुम्बई में भवन्स कॉलेज की टॉपर ग्रेजुएट सलमा ने सिर्फ 10 साल की उम्र से सामाजिक जिम्मेदारी को कर्तव्य के रूप में लिया है।उनके पिता आर्थिक हालातों के शिकार होकर दुनिया छोड़ गए थे।तब मां(हमीदा मेमन) की जिम्मेदारी शेयर करती हुई छोटी सी सलमा ने पढ़ाई करती हुई नौकरी किया। धागा काटने से इवेंट कम्पनी में काम करने के बीच वह हर तबके के लोगों के सम्पर्क में आयी। एक लड़की होने के सामाजिक सोच को भी महसूस किया, फिर निर्णय किया जीवन भर असहायों की मदद करने का। “हमने बहुत सी मजबूर औरतों को सहारा दिया है। करीब 450 छात्रों की शिक्षा, फीस आदि का खर्च उठाया है। छोटे बच्चों के लिए जो निराश्रित हैं, दूध तक पहुंचाने की व्यवस्था किया है।” बताती हैं मिस मेमन। “मैं टीचिंग करती हूं। बच्चों को फ्री में पढ़ाती हूं। हमारी टीम में मेरी मां के अलावा साजिद बुखारी, गौतम शर्मा, फैजान शेख, साजिदा शेख, अंकुश शर्मा जैसे लोग निःस्वार्थ काम करने वाले हैं। हम चंदा नहीं मांगते, सोशल मीडिया के मार्फत सपोर्ट पाते हैं। लोग समान देकर हमारा साथ देते हैं। ’होप’ संस्था है जो अंडे , केले, दूध देने से शुरुवात किये हमारे साथ। ’खाना चाहिए’ एक संस्था है जो खाना देती रही है। घर कामवाली बेरोजगार महिलाओं को हमने खाना बनाने का काम देकर रोजगार देने की कोशिश किया है। मैं मानती हूं कि सोच ईमानदार हो तो ईमानदार लोग आपके साथ आ जाते हैं।” “देश की आज़ादी पर लोगों को क्या संदेश देंगी?” “कोरोना ने जीवन का सत्य सबको समझा दिया है।लोगों की भलाई में समय लगाना ही सच्चा देशप्रेम है। हैप्पी इंडिपेंडेंस डे... सभी को।” #about salma menon #salma menon #salma menon interview #salma menon on independence day हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article