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-शान्ति स्वरुप त्रिपाठी
दो मई से हर सोमवार से शनिवार,रात आठ बजे जीटीवी पर एक नया सीरियल “प्यार का पहला नाम राधा मोहन” का प्रसारण शुरू होने वाला है। सीरियल की कहानी की पृष्ठभूमि वृंदावन तथा आधुनिक वृंदावन पर आधारित परिपक्व रोमांस है। इस सीरियल का कुछ हिस्सा वृंदावन में भी फिल्माया गया है. इसलिए जीटीवी ने इस सीरियल के प्रसारण का आगाज उत्तरप्रदेश से ही करने का मन बनाया। और 27 अप्रैल को मुंबई, आगरा, लखनउ व कुछ दूसरे शहरों के पत्रकारों को जीटीवी की तरफ से लखनउ ले जाया गया। पूरे दिन के कार्यक्रम के बाद समझ में आया कि शायद पहले जीटीवी इस कार्यक्रम को वृंदावन में करना चाहता होगा, मगर वहां पर भव्य स्तर पर आम जनता के बीच जिस तरह से कार्यक्रम का आयोजन किया गया,उस तरह से कर पाने में कुछ असुविधाएं आ रही होंगी, तो उन्होने उत्तर प्रदेश से सीरियल के प्रचार का आगाज करने के निर्णय के तहत लखनउ को चुना।
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लखनउ में 27 अप्रैल को सर्वप्रथम पूरे देश से आए पत्रकारों के अलावा लखनउ के पत्रकारों की मौजूदगी के बीच दोपहर में सीरियल “प्यार का पहला नाम राधा मोहन” की ताज होटल में प्रेस कॉन्फ्रेस आयोजित की गयी। इस प्रेस कॉन्फ्रेस में सीरियल के दो मुख्य कलाकारों शब्बीर अहलूवालिया और निहारिका राव के साथ ही निर्माता प्रतीक शर्मा ने सबसे पहले पत्रकारों को सीरियल के बारे में संक्षेप में बताया। उसके बाद सवाल जवाब का सिलिसला चला।
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प्रेस कॉन्फ्रेस के बाद हमें जो समझ में आया,उसके अनुसार इस कहानी के केंद्र में मोहन (शब्बीर अहलूवालिया) और राधा हैं। मोहन कभी काफी सहज थे और अपनी मनमोहक मुस्कान के चलते अपनी छोटी उंगली के चारों तरफ पूरी दुनिया को नचाते थे। मोहन हर इंसान के आकर्षण का केंद्र बिंदु रहते। पुरुष उनके करीब रहना चाहते, तो महिलाएं उनके इर्द गिर्द रहने का अवसर पाकर झूम उठतीं। लेकिन एक हादसा मोहन की उस मुस्कान को निगल जाता है। और अब मोहन एक अदृश्य इंसान के साथ ही सदैव गहन चिंता में रहने वाले व्यक्ति हैं। मोहन ने अपने चारों तरफ एक दीवार खड़ी कर रखी है,जिसके अंदर जाने का हक सिर्फ उनकी माँ को है। मोहन के लिए अब उकी मां ही पूरी दुनिया है। एक ऐसा इंसान जिसकी मात्र उपस्थिति कमरे को रोशन कर देगी और उठा लेगी। आत्माएं अब दर्द और पछतावे के बोझ तले दबी हुई लगती हैं। यानी कि मोहन किशोरावस्था से ही विस्मय इंसान के रूप में ही नजर आते रहे है। जबकि राधा प्यार व गर्मजोषी से भरी हुई एक आध्यात्मिक और आशावादी लड़की है। राधा अपने मोहन को खोते हुए देखने के लिए व्याकुल है। एक दिन वह अपनी सकारात्मकता की चिंगारी के बल पर मोहन के चेहरे वही पुरानी मनमोहक व दूसरों को आनंदित कर देने वाली मुस्कान लाने के लिए प्रयासरत है। इस तरह इसकी कहानी कई पेचीदा परतों के साथ आगे बढ़ेगी और दर्षक राधा मोहन की यात्रा को देखते हुए उसका अनुसरण करते रहेंगे।
प्रमोशनल इवेंट के लिए वाल्मीकी पार्क ही क्यों?
एक अद्भुत,प्यारी,दिलचस्प व कई मोड़ों से गुजरने वाली प्रेम कहानी युक्त सीरियल “प्यार का पहला नाम राधा मोहन” के प्रचार के हिस्से के तहत लखनउ में वाल्मीकि पार्क को चुनने की बात लखनउ से परिचित किसी भी इंसान की समझ में नहीं आ रही थी। प्रेस कॉन्फ्रेस के दौरान भी पत्रकारों के बीच कानाफूसी होती रही कि जीटीवी वाले प्रेस कॉन्फ्रेस पांच सितारा होटल में कर रहे हैं,मगर प्रमोषनल इवेंट के लिए ‘वाल्मीकी पार्क’ को चुना,जबकि लखनउ में बुद्धा पार्क, डॉ.अंबेडकर पार्क सहित कई ऐसी बेहतरीन जगह थी,जहां पर इस कार्यक्रम को शानदार तरीके से आयोजित किया जा सकता था।
मगर जब हम लखनउ के वाल्मीकी नगर स्थित “वाल्मीकी पार्क” पहुंचे,तो पाया कि यह पार्क आलीषान व चमक दमक वाली शानदार जिंदगी जीने वालों की यह बस्ती नही है। जो लोग सिनेमा देखने के लिए हजारों रूपए खर्च कर सकते हैं, उनकी यह बस्ती नही है। वास्तव में यह बस्ती उस हाषिए पर ढकेल दिए गए वंचित व सर्वहारा वर्ग की है, जिसके लिए भगवान कृष्ण सब कुछ करने को तैयार रहते थे। भगवान कृष्ण जिन लोगों के चेहरे पर मुस्कान लाने व जिन्हे खुश देखने के लिए पृथ्वी पर अपनी लीला रचाते रहे,ऐसे ही वर्ग के बच्चों से बूढ़ांे तक के चेहरे पर कुछ समय के लिए मुस्कान लाने के मकसद से ‘जीटीवी’ की तरफ से यह अनूठी, मगर बेहतरीन सोच के साथ उठाया गया यह कदम रहा। वैसे जीटीवी शुरूआत से अपने ‘चैनल’ के मनोरंजक सीरियलों और संगीत व डांस के रियालिटी शो के माध्यम से समाज के वंचित या हाषिए पर ढकेल दिए गए लोगों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का काम करता रहा है। इसके उदाहरण देते हुए हम कई पेज भर सकते हैं।
बहरहाल,सीरियल “प्यार का नाम राधा मोहन” के प्रमोषनल इवेंट का आगाज 27 अप्रैल की शाम साढ़े पांच बजे से ‘वाल्मीकी पार्क’,लखनउ में होना था। जब हम शाम छह बजे वाल्मीकी पार्क में पहुंचे,तो पाया कि हजारों बच्चे व किशोर वय के लड़के लड़कियां कुर्सी पर बैठ हुए कार्यक्रम की शुरूआत होने का इंतजार कर रहे थे। जबकि लखनउ में भीषण गर्मी थी। उस दिन वहां का तापमान 45 डिग्री था। लगभग साढ़े छह बजे कार्यक्रम की शुरूआत करते हुए कभी जीटीवी के संगीत प्रधान रियालिटी शो ‘सारेगामापा’ का हिस्सा रहे व वृंदावन निवासी गायक हेमंत ब्रजवासी ने मैदान में मौजूद दर्षकों के मनोरंजन का जिम्मा संभालते हुए कई बेहतरीन व हर तरह के गाने सुनाकर लोगों से वाहवाही लूटी। लेकिन इस दौरान हेमंत बृजवासी ने लोगों से ताली बजवाने के लिए जिस तरह की छिछोरी व अति निचले दर्जे की हरकत की,उसे जायज कहीं से भी नहीं ठहराया जा सकता। क्योंकि कलाकार, खासकर संगीत से जुड़े कलाकार में ‘ग्रेस’ होता है। कलाकार के अंदर अदब, शालीनता, विनम्रता व नजाकत होती है, इससे वह काफी दूर नजर आए। शायद वह वर्तमान समय में मंचीय/स्टेज कार्यक्रमों में जो कुछ होता है, उसका उदाहरण देकर खुद को सही भी ठहराएं। हमें यह नही भूलना चाहिए कि हेमंत ब्रजवासी सिर्फ फिल्मी या प्यार के गाने ही नहीं गाते हैं,बल्कि वह भक्ति गीत व षास्त्रीय संगीत में भी महारत रखते हैं। ऐसे में उनसे कुछ तो तहजीब की उम्मीद की ही जा सकती है।
राधा का मंच पर आगमन
खैर,हेमंत ब्रजवासी ने तेज गर्मी के बावजूद पूरे जोश व अपनी आवाज के जादू के साथ एक घंटे तक लोगों का भरपूर मनोरंजन किया। उसके बाद लखनउ की ही कुछ लड़कियों ने मंच पर आकर कृष्ण भक्ति का गीत गाते हुए शानदार डांस प्रस्तुत करना शुरू किया,कुछ देर बाद इन्ही के बीच से गीत गाते व नृत्य करते हुए सीरियल में राधा का किरदार निभा रही अदाकारा निहारिका रॉय सभी के सामने आयी। इस गीत की समाथ्प्त व मंच पर निहारिका की उपस्थिति होने के बाद सामने दर्षकों के बीच से मोटर सायकल पर बैठे हुए सीरियल में मोहन का किरदार निभा रहे कलाकार शब्बीर अहलूवालिया का पर्दापण हुआ। मंच पर पहुँचने के बाद शब्बीर अहलूवालिया ने सबसे पहले मेदान मे मौजूद लोगो के अलावा लखनउ की जनता का उनके प्यार के लिए आभार प्रकट किया। उसके बाद शब्बीर अहलूवालिया और निहारिका ने अपने किरदारों के बारे में लोगों को बताया। फिर लखनउ की लड़कियों द्वारा प्रस्तुत तीन नृत्यों का रसास्वादन करने के बाद वहां मौजूद लोगों के लिए शब्बीर अहलूवालिया और निहरिका रॉय ने सीरियल के ही एक गीत पर नृत्य कर लोगो को आनंदित कर दिया। इसके साथ ही कार्यक्रम का समापन हुआ।
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कार्यक्रम खत्म होने से पहले शब्बीर अहलूवालिया ने कहा- मैं कभी भी विविधतापूर्ण किरदार निभाने से नहीं कतराता। मैं इस तरह की भूमिका निभाने के लिए हमेशा उत्साहित रहता हूं। सीरियल ‘यार का पहला नाम राधा मोहन’ एक आकर्षक कहानी है, जिसमें कई मोड़ हैं। यदि मैं इस सीरियल में अपने किरदार मोहन की बात करुं,तो कभी वह एक खुशमिजाज इंसान था। लेकिन मोहन की जिंदगी में बहुत कुछ ऐसा घट चुका है,जिसकी वजह से उसकी ख़ुशी, मुस्कुराहट और उसकी जिंदगी का चैन खो चुका है। इससे अधिक बताना ठीक नहीं रहेगा। लेकिन फिर मोहन की जिंदगी में राधा आती है। राधा की कोशिश है कि उस वाले मोहन से इस वाले मोहन को मिलाए। और मोहन के चेहरे पर पहली वाली मुस्कुराहट लेकर आए, अब क्या होगा,यह जानने के लिए सीरियल देखते रहना होगा।
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जबकि राधा का किरदार निभा रही अभिनेत्री निहारिका रॉय ने कहा- मैं लखनउ पहली बार आयी हॅूं, मगर यहां मुझे जो प्यार मिल रहा है,उससे मैं अभिभूत हूँ। मुझे यह मेगा सीरियल करने का मौका देने के लिए मैं जी टीवी की शुक्रगुजार हूं। मैं राधा के चरित्र के साथ न्याय करने की पूरी कोशिश करूंगी। मैं तो इस किरदार को निभाने के लिए उत्साहित हॅूं।
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इस अवसर पर सीरियल “प्यार का एक नाम राधा मोहन” के निर्माता प्रतीक शर्मा ने कहा- सीरियल ‘तेरी मेरी इक जिंदरी’ में दिल को छू लेने वाली कहानी को पेष करने के बाद अब हम दर्शकों के लिए आधुनिक वृंदावन की राधा और मोहन की स्तरीय और दिलचस्प प्रेम कहानी लेकर आ रहे है। इस कहानी में कई अद्वितीय आयाम हैं। इसमें माँ-बेटे का बंधन, बाप-बेटी का रिश्ता,निहित स्वार्थ, एक तरफा प्यार,जो भक्ति की सीमा पर है और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि एक ऐसे शख्स की कहानी जो मुस्कुराना भूल गया है और अपनी खोई हुई चिंगारी को फिर से जिंदा करने की यात्रा लेकर आ रहे हैं।
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लेकिन इस अवसर पर ‘जीटीवी” की बिजनेस हेड अपर्णा भोसले और प्रोग्रामिंग हेड की अनुपस्थिति जरुर खली। सीरियल “प्सार का एक नाम राधा मेाहन” का निर्माण “स्टूडियो एलएसडी प्रोडक्शंस” के बैनर तले प्रतीक शर्मा कर रहे हैं। इसमें शब्बीर अहलूवालिया व निहारिका रॉय के अलावा स्वाति शाह,संभावना, कीर्ति नागपुरे और मनीषा पुरोहित की अहम भूमिकाएं हैं।
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