इस स्वतंत्रता दिवस पर, 'इंडिया शायरी प्रोजेक्ट' देखें , जहां जावेद अख्तर, जाकिर खान, कौसर मुनीर और कुमार विश्वास शायरी से जुड़े किस्से बांटते हैं और बताते हैं कि भारत उनके लिए क्या मायने रखता है.
ज़ी स्पेशल प्रोजेक्ट्स की एक बहुत ही खास पेशकश 'इंडिया शायरी प्रोजेक्ट' इस स्वतंत्रता दिवस को एक समृद्ध काव्य संवाद को पेश करेगी जहां जावेद अख्तर, जाकिर खान, कौसर मुनीर और कुमार विश्वास चर्चा करेंगे कि भारत क्यों सिर्फ जमीन का एक टुकड़ा नहीं है बल्कि एक भावना है . जैसा कि कुमार विश्वास ने बातचीत के दौरान कहा, "हमारा अस्तित्व भारत के अस्तित्व से जुड़ा हुआ है."
कबीर के भक्ति दोहे हों, बुल्ले शाह का सूफी 'कलाम', युवा स्वतंत्रता सेनानियों (सरफरोशी की तमन्ना) के लिए बिस्मिल अज़ीमाबादी की श्रद्धांजलि, टैगोर की 'गीतांजलि', दिनकर और निराला की समकालीन आवाज़ें या साहिर, कैफ़ी आज़मी , गुलज़ार और जावेद अख्तर की प्रगतिशील उर्दू कृतियाँ, , भारतीय कविता ने प्राचीन काल से ही भारत की विविधता को चिन्हित किया है . इसी अखंड काव्य-कथा को 'इंडिया शायरी प्रोजेक्ट' भावभीनी श्रद्धांजलि देता है.
लेकिन वास्तव में भारत क्या है? अख्तर जिनकी काव्य विरासत उनके दादा मुज़्तर खैराबादी और पिता जान निसार अख्तर तक जाती है, बताते हैं कि कैसे उनकी कविता ने भजनों, उर्दू ग़ज़लों और हल्के-फुल्के फ़िल्मी गीतों के माध्यम से भारत के कई रंगों को चित्रित किया है. युवा प्रतिभा जाकिर खान उन लोगों और अनुभवों का ज़िक्र करेंगे जिन्होंने उन्हें प्रेरणा दी और आज उन्हें भारतीय जनता की आवाज बनाया. जानी मानी गीतकार, शायरा और फिल्म-लेखिका कौसर मुनीर याद करेंगी कि कैसे उन्होंने अंग्रेजी शिक्षा के बावजूद उर्दू शायरी और सिनेमाई लेखन की तरफ रुख किया .
14 अगस्त को 'इंडिया शायरी प्रोजेक्ट' देखें - टाटाप्ले थिएटर पर ( दोपहर 2 बजे और रात 8 बजे) और 15 अगस्त को एयरटेल स्पॉटलाइट और डिश और डी2एच रंगमंच एक्टिव पर (दोपहर 2 बजे और शाम 6 बजे).