एक समय था जब पुरूष ओरतों के वेष में नाटकों या नोटंकियों में लड़की के वेष में नाचते गाते थे। उन्हें समाज में सम्मान की नजर से नहीं देखा जाता था बल्कि उन्हें नचनियां कहते हुये उनका मजाक बनाया जाता था। वक्त बदला और धीरे धीरे पुरूष डांसरों को मान मिलने लगा। यहां तक रीयलटी डांस शोज ने डांसर्स को खूब इज्जत और शौहरत दिलवाई।
इस विषय को लेकर अभिनेता अविनाश द्विवेदी ने फिल्म ‘ नचनियां’ का निर्माण किया। डांस में माहिर अविनाश ने फिल्म के लिये कत्थक डांस की विषेश तौर पर ट्रेनिंग ली। बकौल अविनाश बेशक ये एक भोजपुरी फिल्म है बावजूद इसके इसमें सभी भाषाओं का समावेश है। अविनाश का कहना है कि फिल्म उस दौर में ले जाती है जब डांसर्स का मजाक उड़ाया जाता था। फिल्म एक डांसर के सफर को दर्शाती मनोरंजक ढंग से उसकी कहानी बताती है।