पजाबी एक्टर, गायक गिप्पी ग्रेवाल, जिनका हालिया रिलीज़ गाना “कार नच दी” काफी पॉपुलर हुआ है, इस समय वो अपनी और फरहान अख्तर की फिल्म 'लखनऊ सेंट्रल' के प्रमोशन में बिजी है। जिसमे वो एक कैदी की महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। ये उनकी बॉलीवुड में दूसरी फिल्म है और इस समय वो अपने किरदार को लेकर मीडिया में छाए हुए हैं।
गिप्पी जी ये आपकी दूसरी फिल्म है ,जहाँ आप बॉलीवुड के काफी मंझे हुए एक्टर्स के साथ काम कर रहे हैं। कैसा रहा सबके साथ आपका अनुभव?
जी मैं बहुत खुश है कि मुझे इतने अच्छे एक्टर्स के साथ काम करने का मौका मिला। हर एक्टर की एक दिली ख्वाहिश होती है कि वो अपने पसन्दीदा एक्टर्स के साथ काम करे। भगवान की कृपा से मुझे ये शोहरत और नाम अपनी फिल्मों और सांग्स से पहले ही मिल गया था। लेकिन जब मुझे 'लखनऊ सेंट्रल' फिल्म ऑफर हुई और मैंने देखा कि मैं इन फिल्मो में ऐसे मंझे हुए कलाकारों के साथ काम करूँगा। तो मैं बहुत खुश हो गया क्योकि मैं हमेशा से ही इस तरह का रोल करना चाहता था ।
गिप्पी जी 'लखनऊ सेंट्रल' में अपने किरदार के बारे में कुछ बताइये ?
यह एक बहुत ही अलग फिल्म है। जिसमे मैं पंजाबी कैदी प्रमिंदर सिंघल, उर्फ पाली का किरदार निभा रहा हूं। जिसे इस पूरे बैंड में जितने भी बन्दे हैं उनमे सबसे खतरनाक किरदार कहा जा सकता है। ये किरदार दिल का बहुत अच्छा इंसान है। जो दिमाग से कम और दिल से ज़्यादा सोचता है। जब आप इस किरदार को देखेंगे तो इसमे कई शेड्ज़ पाएंगे कभी ये आपको सबसे खतरनाक लगेगा,तो कभी आपको लगेगा कि इससे अच्छा तो इंसान ही नहीं हो सकता। ये एक ऐसा किरदार है,जो हर एक्टर बहुत खुश होकर करना चाहेगा।
इस फिल्म में आप बॉलीवुड के कई बड़े नामों के साथ काम कर रहे हैं ! उनके साथ आपकी बॉन्डिंग कैसी थी ?
जी आपने बिल्कुल सही कहा इस फिल्म के सभी एक्टर्स बहुत ही अच्छे हैं और ऐसा मैं सिर्फ उनकी एक्टिंग नहीं बल्कि उनके स्वभाव के बारे में भी कर रहा हूँ। जब मैंने ये फिल्म साईन कि तो मैंने पाया मैं इन बड़े-बड़े एक्टर्स के साथ काम करने जा रहा हूँ। तो बहुत कुछ सीखने को मिलेगा क्योकि सभी बहुत ही अच्छे एक्टर्स थे फिर चाहे वो फरहान भाई हों, रोनित भाई हो, दीपक डोबरियाल हो, इमानुलहक भाई हों या फिर राजेश शर्मा जी हो। जिनके साथ मेरी बॉन्डिंग बहुत अच्छी रही। सबने मुझे बहुत इज़्ज़त और प्यार दिया जब मैं सेट पर आता था। तो सभी मुझसे बड़े प्यार से बात करते थे। बड़े प्यार से गले लगते थे। हम साथ मिलकर रात रात भर खूब हंसी मज़ाक करते थे खाते थे और वैसे भी मैं थोड़ा ज़्यादा बोलता हूँ तो सबके साथ मेरी बॉन्डिंग डे वन से ही बन गई थी। तो मैं मानता हूँ कि मेरी ये बॉन्डिंग इन सभी के साथ बहुत अच्छी रही है ।
गिप्पी जी आप एक सिंगर हैं तो क्या “लखनऊ सेंट्रल“ में म्यूजिक को लेकर आपका कोई योगदान रहा ?
जी इस फिल्म को लेकर हमारे लिए बहुत ही अजीब सी सिचुएशन थी। क्योंकि जब इस फिल्म के म्यूजिक के सेशन्स हुए तो हमे पता चला कि न तो कोई गाना मैं गा रहा हूँ और न ही फरहान। जिसके वजह ये थी कि हमारे डायरेक्टर चाहते थे कि जब लोग गिप्पी ग्रेवाल को इस फिल्म में देखें तो उन्हें पंजाबी कैदी प्रमिंदर सिंघल ही दिखे। वो नहीं चाहते थे कि मैं गाऊं और जब लोग मेरी वोकल सुने तो उन्हें लगे अरे ये तो गिप्पी ग्रेवाल गा रहा है। और ऐसा सिर्फ मेरे साथ नहीं था फरहान के साथ भी डायरेक्टर ने ऐसा ही किया। ताकि हमारी वॉइस नहीं बल्कि हमारे कैरेक्टर सबके सामने आ सके।
फिल्म साईन करने से पहले आपके मन में किस तरह के सवाल थे बॉलीवुड को लेकर ?
जैसा कि आप जानते हैं कि मैं रीजनल फिल्मां से आया हूँ। तो मेरे आस पास के लोगों ने कहा था कि बॉलीवुड में कोई किसी का दोस्त नहीं होता । वो तुम्हे हमेशा रीजनल मूवीज के स्टार्स कि तरह ही ट्रीट करेंगे। लेकिन मन को यक़ीन कभी नहीं हुआ क्योकि मेरे पहले ही बॉलीवुड में कई दोस्त हैं जैसे आमिर खान पाजी के साथ हमारे बहुत अच्छे सबन्ध हैं। वो बिल्कुल बड़े भाई जैसे हैं। लेकिन फिर भी डर तो था लेकिन वो भी डे वन कि शूटिंग में जाता रहा। क्योंकि सभी ने बहुत प्यार और इज़्ज़त दी। जब रात को शूटिंग होती थी। तो फरहान भाई सबके लिए घर से सबकी पसंद के अकॉर्डिंग खाना लाते थे। हमसब मिलकर साथ में एक टेबल पर खाते थे। इमाम भाई कबाब लाते थे खूब हंसी मज़ाक होता था। कभी लगा ही नहीं कि मैं उनसे अलग हूँ और फिर सारी बातें गलत साबित हुई जिससे मैं बहुत खुश हूँ ।
आपको अपने किरदार में ढालने के लिए क्या-क्या मेहनत करनी पड़ी ?
जी बहुत मुश्किल भी था और कुछ चीजें आसान भी थी। आसान ये कि मैं सरदार का किरदार कर रहा हूँ। तो भाषा और बोलचाल को अपनाने में मुझे कोई परेशानी नहीं हुई। लेकिन इसके साथ मुझे कैदी का किरदार निभाना था जिसके लिए मुझे थोड़ा पेट बढ़ाना पड़ा बाल बढ़ाने पड़े तो रिजिड सा लुक लेना पड़ा। मैंने इससे पहले कैदी का किरदार नहीं निभाया था। तो उसे समझने के लिए एक्टिंग के कई सेशंस भी लेने पड़े। फिर शूटिंग के कुछ दिनों बाद मैं अपने आप कैदी के आव भाव पकड़ पाया। तो काफी मेहनत लगी इसके लिए।