इमोशनली स्ट्रांग मैसेज देती पारिवारिक फिल्म '102 नॉट आउट' By Shyam Sharma 03 May 2018 | एडिट 03 May 2018 22:00 IST in रिव्यूज New Update Follow Us शेयर एक वक्त कल्पना तक नहीं की जा सकती थी कि कभी हीरो हीरोइन के बगैर फिल्में बनेगी या नायिका प्रधान फिल्में सुपर हिट होगी। इस सप्ताह दो दिग्गज अभिनेताओं को लेकर लेखक निर्देशक उमेश शुक्ला की फिल्म ‘102 नॉट आउट’ रिलीज हुई है। जिसमें दो बुर्जुग बाप बेट की एकांकी जिन्दगी को दर्शाती है यानि एक सो दो साल का बाप और पिच्चहतर साल का बेटा किस तरह अपने अकेलेपन को सेलीब्रेट करते हैं। फिल्म की कहानी 75 वर्षीय बाबूलाल वखारिया यानि रिषी कपूर अपने इकलौते पुत्र के विछोह में सनकी से हो गये हैं उनका पुत्र जो उन्हें छोड़ अमेरीका जा बसा, जिसे गये सतरह साल हो गये। बाबू लाल अपने बेटे और उसके बच्चों से मिलने के लिये तरस तरस गये हैं। जबकि उनके पिता द़त्तात्रेय वखारिया यानि अमिताभ बच्चन जो एक सो दो साल के होने के बाद भी जिन्दादिली से लबरेज हैं। एक दिन अचानक वे बाबूलाल के सामने कुछ शर्ते रखते हैं और चेतावनी देते हैं कि अगर उसने सारी शर्ते पूरी न की तो वे उसे वृद्धाश्रम भेज देगें। दरअसल वे लगभग सनकी और झक्की हो चुके बाबूलाल की बोरिंग जीवनशैली और सोच को बदलना चाहते हैं। फिल्म एक सवाल खड़ा करती है कि आखिर एक सो दो साल का बुर्जुग अपने 75 साल के बुर्जुग बेटे की सोच और आदतें क्यों बदलना चाहता है। इसके पीछे जो वजह हैं उन्हें जानने के लिये फिल्म देखना जरूरी है। उमेश शक्ला को नाटकों पर फिल्में बनाने में महारत हासिल है। इससे पहले वो गुजराती नाटक पर ‘ओ माई गॉड’ जैसी बेहतरीन फिल्म बना चुके हैं। इस बार भी उन्होंने एक गुजराती नाटक पर आधारित इस फिल्म में अपने बुर्जुग मां बापों को अकेला छोड़ विदेश में जा बसे बच्चों को लेकर बड़ी और इमोशनल सीख दी गई है यानि फिल्म के जरिये एनआरआई हो चुके तथा मां बाप को भूल चुके उन बच्चों को लेकर एक ऐसी सीख दी है, जिसे देखते हुये दर्शक एक बहुत बड़ा और स्ट्रांग मैसेज लेकर सिनेमा हाल से बाहर निकलता है। क्लाईमेक्स इतना जज़्बाती है कि दर्शक भी किरदारों के साथ इमोशन हुये बिना नहीं रहता। शुरू से अंत तक महज तीन पात्रों को लेकर चलती इस फिल्म का पहला भाग थोड़ा धीमा है लेकिन दूसरे भाग में फिल्म के पात्रों के साथ दर्शक भी साथ हो लेता है और उनकी हार जीत में पूरा सहयोग देता है। फिल्म का बैकग्राउंड थोड़ा हल्का है, वहीं सलीम सुलेमान के संगीत में गुंथे बच्चे की जान तथा कुल्फी अच्छे गीत बन पड़े हैं। शानदार अभिनय अमिताभ बच्चन इससे पहले भी कई बुर्जुग भूमिकायें कर चुके हैं। इस बार भी वे अपनी उम्र से बड़ी भूमिका निभाते नजर आये लेकिन इस बार खास बात ये थी कि करीब 27 साल के बाद एक बार फिर वे रिषी कपूर के साथ नजर आये। उन्हें लेकर एक बात शिद्धत से महसूस हुई कि अमिताभ इस प्रकार की भूमिका कई बार निभा चुके हैं लिहाजा उन्हें इस भूमिका में देख कोई एक्साइटमेंट नहीं होता, लेकिन रिषी कपूर ने शुरू से लेकर अंत तक अपनी भूमिका के सभी शेड्स बहुत प्रभावशाली तरीके से निभाये, लिहाजा जहां उनके सनकीपन पर दर्शक झुंझलाता है, वहीं उन्हें जज़्बाती होते देख उनके साथ जज़्बाती हो जाता है। अमिताभ और रिषी कपूर के बीच कितने ही चुटीले सीन और संवाद है जिन्हें सुन दर्शक आनंदित होता रहता है। फिल्म का तीसरा पात्र जिमित त्रिवेदी ने दो बडे़ अभिनेताओं के साथ पूरे आत्मविश्वास के साथ बेहतरीन अभिनय किया है। एक बार उसने ये एहसास नहीं होने दिया कि उसके सामने अमिताभ बच्चन और रिषी कपूर सरीखे बिग स्टार्स हैं। विदेश में जा बसे बच्चों के वियोग में तड़पते, एक बुर्जुग बाप और बाप, बेटे को नसीहत देते दादा के तहत भावनात्मक संदेश देती इस फिल्म को पूरा परिवार एक साथ बैठ कर फिल्म देख सकता है। ➡ मायापुरी की लेटेस्ट ख़बरों को इंग्लिश में पढ़ने के लिए www.bollyy.com पर क्लिक करें. ➡ अगर आप विडियो देखना ज्यादा पसंद करते हैं तो आप हमारे यूट्यूब चैनल Mayapuri Cut पर जा सकते हैं. ➡ आप हमसे जुड़ने के लिए हमारे पेज width='500' height='283' style='border:none;overflow:hidden' scrolling='no' frameborder='0' allowfullscreen='true' allow='autoplay; clipboard-write; encrypted-media; picture-in-picture; web-share' allowFullScreen='true'> '>Facebook, Twitter और Instagram पर जा सकते हैं. embed/captioned' allowtransparency='true' allowfullscreen='true' frameborder='0' height='879' width='400' data-instgrm-payload-id='instagram-media-payload-3' scrolling='no'> #Amitabh Bachchan #movie review #rishi kapoor #102 notout हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article