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स्पेशल इफैक्ट्स के चमकदार कवर के नीचे कमजोर कहानी '2.0'

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By Shyam Sharma
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स्पेशल इफैक्ट्स के चमकदार कवर के नीचे कमजोर कहानी '2.0'

रेटिंग***

करीब आठ साल पहले साउथ इंडियन फिल्मों के बिग निर्देशक शंकर ने फिल्म ‘रोबोट’ बनाई थी। इस फिल्म ने अपने स्पेशल इफैक्ट्स और एक नई कहानी को लेकर काफी तारीफें बटौरी थी। अब एक बार फिर शंकर के विशाल बजट से सजी फिल्म 2.0 लेकर आये है। इस बार फिल्म एक मैसेज के साथ आगे बढ़ती है।

रोबोट में डॉ. वसीगरन यानि रजनीकांत अपने बनाये गये रोबोट चिट्टी को समाज के लिये खतरनाक मानकर उसके सभी अलग-अलग कर म्यूजियम में रख दिया था। लेकिन आज एक बार फिर उसकी जरूरत आन पड़ी है क्योंकि जो खतरा है वो इतना बड़ा हे कि उससे सिर्फ चिट्टी की निपट सकता है। दरअसल शहर के सारे मोबाइल उड़कर न जाने कहां गायब हो गये है। यही नहीं उनके साथ साथ टेलीकॉम इंडस्ट्री के मालिक और टेलीकॉम मिनिस्टर की भी मोबाइल द्वारा हत्या कर दी गई है। अब इन सारी चीजों से चिट्टी कैसे निपटता है।

फिल्म रोबोट जैसी साइंस फिल्म बनाकर हम हॉलीवुड की फिल्मों के बराबर जा खड़े हुये थे। इस फिल्म से ये बताने की कोशिश की गई थी कि स्पेशल इफैक्ट्स से सजी उम्दा कहानियां हम भी बना सकते हैं। लिहाजा रोबोट ने अपार सफलता हासिल की।

रोबोट के अगले संस्करण 2.0 को भी दर्शकों ने हाथो हाथ लिया, लेकिन अफसोस कि ये फिल्म कहानी के स्तर पर सारी उम्मीदें तोड़ती है। बस स्पेशल इफैक्ट्स की चमक से दर्शकों को चकाचौंध करती रहती है।

फिल्म एक पक्षी प्रेमी या वैज्ञानिक अक्षय कुमार का मानना है। कि मोबाइल फोन और टॉवर से निकलने वाले रेडिएशन से पक्षी मर रहे हैं। पक्षियों से अपने प्रेम की अक्षय द्वारा बताई गई वजह बेहद बचकानी है जिसे देखकर हंसी आती है। अक्षय पक्षियों को बचाने के लिए सरकार मंत्री से मिलता है, लेकिन उसकी बात पर कोई ध्यान नहीं तो निराश हो वो एक मोबाइल टॉवर पर लटक कर आत्महत्या कर लेता है। इसके बाद उसकी आत्मा मोबाइल इंडस्ट्री औरे टेलीकॉम मिनिस्टर ही नहीं बल्कि मोबाइल यूज करने वालो से भी प्रतिशोध लेना शुरू कर देता है। इससे निपटने के लिए वसीगरन अपनी रोबोट एमी जैक्सन के साथ चिट्टी को दोबारा जोड़ता है। उसके बाद ये तीनों मिलकर पक्षी प्रेमी का खात्मा करते हैं। चिट्टी के कारनामें दर्शक पहले ही देख चुके हैं लिहाजा यहां वो सिर्फ अपने आपको दोहराता भर है। बस पूरी फिल्म को एक ही स्पेशलिटी है उसके स्पेशल इफैक्ट्स।

अभिनय की बात की जाये तो इस बार रजनीकांत कुछ नया नहीं कर पाये बल्कि जगह वो थके हुये लगते हैं। अक्षय कुमार पक्षी के रूप में ही दिखाये गये हैं। फ्लैशबैक में भी उनका बूढे़ श़्ाक्स का गैटअप है। इन भारी भरकम मेकअप की वजह से उनका अभिनय नजर ही नहीं आता। एमी जैक्सन रोबोट के तौर पर काफी खूबसूरत लगी हैं। बाकी आदिल हुसैन और सुधांशु पांडे सहयोगी भूमिकाओं में ठीक रहे।

सब कुछ मिलाकर फिल्म को लेकर यही कहा जाता है कि एक कमजोर कहानी को स्पेशल इफैक्ट्स का कवर चढ़ाकर चमकदार बना दिया है। दर्शक एक बार फिल्म के स्पेशल इफैक्ट्स का मज़ा ले सकते हैं।

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