विक्रमादित्य मोटवाने द्धारा निर्देशित फिल्म ‘ भावेश जोशी द सुपर हीरो’ कहने की कोशिश करती है कि अपने आसपास फैले भ्रष्टाचार से खुद ही लड़ना होगा। आपको बचाने कोई सुपरहीरो नहीं आने वाला, लिहाजा आपको खुद ही सुपरहीरो बनना पड़ेगा।
फिल्म की कहानी
कहानी की शुरूआत अन्ना हजारे के आंदोलन से होती है उसमें भावेश जोशी यानि प्रियांशू, सिकंदर खन्ना उर्फ सिक्कू यानि हर्षवर्धन कपूर तथा आशीष तीन दोस्त भी शामिल होते हैं। हालांकि आंदोलन पूरी तरह फ्लॉप होता है, जबकि इन तीनों के होंसले बुलुंद हैं। उनमें भावेश और सिक्कू यूट्यूब पर एक चैनल बनाते हैं उसका नाम रखते हैं द इंसाफ शो। जिसके तहत भावेश और सिक्कू नकाब पहनकर वाई फाई, ट्रैफिक सिंग्नल तथा पेड़ों की कटाई के खिलाफ कदम उठाते हैं। बाद में उनके सामने राजनीति और भ्रष्ट पुलिस वाले आते हैं। इस बीच इंजीनियर सिक्कू को अमेरिका जाने का प्रस्ताव मिलता है, उसके लिये पासपोर्ट बनवाने के लिये मजबूरीवश उसे रिश्वत देनी पड़ती है। लेकिन भावेश पीछे हटने के लिये तैयार नहीं। एक बार उसे पानी माफिया का पर्दाफाश करने का अवसर लिता हैं लेकिन इस बीच अपराधियों को पता चल जाता है लिहाजा भावेश का मर्डर कर दिया जाता है। सिक्कू को जब ये पता चलता है तो वो एयरपोर्ट से वापिस लौटकर भावेश के नाम से उसका काम आगे बढ़ाता है। और अंत में मुख्य अपराधियों का पर्दाफाश करने के बाद ही दम लेता है।
हैरान कर देने वाली बात ये रही कि विक्रमादित्य जैसे उम्दा डायरेक्टर ने एक कमजोर कहानी और उतने ही कमजोर एक्टर के साथ फिल्म बनाने का सोचा। फिल्म कथा, पटकथा, संवाद तथा म्यूजिक सभी कुछ बेहद साधारण रहा ,बस थोड़ी बहुत राहत फिल्म बैकग्राउंड म्यूजिक देता है।
मिर्जिया जैसी बड़ी फिल्म और उतने ही बड़े डायरेक्टर के साथ डेब्यु करने वाले हर्षवर्धन कपूर ने उस फ्लॉप फिल्म से कुछ नहीं सीखा क्योंकि वो अपनी दूसरी फिल्म में भी स्लेट की तरह सपाट है। एक्शन दृश्यों में वो इस तरह से एक्शन करता दिखाई देता है जैसे उसे बंदूक दिखा कर एक्शन करवाया जा रहा हो। जबकि भावेश की भूमिका में प्रियांशू ने पूरे आत्मविश्वास के साथ काम किया। आशीष वर्मा का काम ठीक रहा, लेकिन निशिकांत कामत को पूरी तरह वेस्ट किया गया।
जिसका टाइम पास न हो रहा हो वही मजबूरीवश इस फिल्म को झेल सकता है।