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अगर आपको अमर कौशिक की फिल्म ‘स्त्री’ पसंद आई थी जो कि एक हॉरर कॉमेडी फिल्म थी, तो मैं यकीन के साथ कह सकती हूँ कि, आपको उनकी यह नई फिल्म, भेड़िया उससे एक लेवल निचे ही लगेगी. कॉमेडी, कॉन्सेप्ट से लेकर वीएफएक्स और स्क्रीनप्ले तक, वरुण धवन और कृति सैनन-स्टारर फिल्म भेड़िया आपको कही हँसाएगी तो कही निराश भी कर देगी.
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क्या है फिल्म की कहानी
कहानी की शुरुआत एक सड़क बनाने वाले ठेकेदार भास्कर उर्फ़ भसकी (वरुण धवन) से होती है जो जीरो के घने जंगलों के बीच से एक हाईवे बनाने के लिए अरुणाचल प्रदेश जाता है. उसके साथ उसका चचेरे भाई जनार्दन उर्फ जद (अभिषेक बनर्जी) भी जाता हैं, जहा उन्हें उनका लोकल नार्थईस्ट फ्रेंड, जोमिन (पालिन कबाक) मिलता हैं. आगे की कहानी में यह तीनों दोस्त मिलकर वहा के रहने वाले लोगों (आदिवासियों) को अपनी जमीन देने और सड़क निर्माण की परमिशन देने के लिए राजी करने के अपने मिशन को शुरू करते हैं, जिसके दौरान वह कुछ अजीब घटनाओं का सामना करते हैं, जिसमे भास्कर को एक भेड़िये द्वारा काट लिया जाता है. जिसके बाद वह जल्द ही, खुद के अंदर बदलाव महसूस करने लगता है, और फिर उसमे भेड़िये के लक्षण और उसकी विशेषताए आ जाती हैं. और वहा के लोकल लोग, आकार बदलने वाले भेड़िये को ‘विशानु’ कहते है और भास्कर उर्फ़ भसकी (वरुण धवन) ‘विशानु’ बन जाता है. जिसके बाद आगे भास्कर भेड़ियां बनकर क्या कुछ करता हैं और क्या वो ठीक हो पाता है यह जानने के लिए आपको यह फिल्म देखनी होगी.
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कैसी है फिल्म में एक्टिंग
वरुण धवन फिल्म में लीड रोल में हैं और हर फ्रेम में कमाल की एक्टिंग करते नज़र आते हैं. एक आदमी से एक भेड़ियां बनाते समय वरुण की एक्टिंग देखने लायक हैं. जिसे देख कर दर्शक एक बार डर महसूस करते हैं.
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कृति सेनन भी अपने किरदार में अच्छा अभिनय करती नज़र आई हैं लेकिन उनके किरदार में थोड़ी गहराई और इमोशन होते तो यह ज्यादा अच्छा हो सकता था.
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अभिषेक बनर्जी फिल्म में अपनी कॉमिक टाइमिंग से लोगों के दिलों को चुराते नज़र आते हैं और जिसे देखने से आप नहीं चूकते हैं. और जिस तरह से वह अपनी लाइन्स को बोलते हैं आपको हँसाने पर मजबूर कर देते हैं. लेकिन वह फिल्म स्त्री से ज्यादा कमाल दिखाने में कही चुक गए हैं.
पालिन कबाक जो फिल्म में वरुण और अभिषेक के साथ दोस्त के किरदार में नज़र आते है. को एक अच्छे दोस्त के रूप में देखना दिलचस्प लगता है.
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पालिन कबाक जो फिल्म में वरुण और अभिषेक के साथ दोस्त के किरदार में नज़र आते है. को एक अच्छे दोस्त के रूप में देखना दिलचस्प लगता है.
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दीपक डोबरियाल भी पांडा के रोल में सबका ध्यान अपनी ओर खीचने में कामयाब रहे, खासकर जिस तरह से उन्होंने नार्थईस्ट एक्सेंट और उनकी बॉडी लैंग्वेज़ को स्क्रीन पर दिखाया वो काबिले तारीफ हैं.
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फर्स्ट हाफ कॉमेडी सेकेंड हाफ में एक्शन
जहां फर्स्ट हाफ कॉमेडी के अलावा लगभग सामान्य है, वहीं सेकेंड हाफ में सारा एक्शन देखने को मिलता है. वहीँ फिल्म अपनी स्पीड पकड़ने में कामयाब नहीं है काफी स्लो चलती हैं. बीच-बीच में रफ़्तार थोड़ी धीमी हो जाती है और कुछ सीन बेवजह खिंचे हुए नज़र आते हैं, लेकिन फिर बीच-बीच में वरुण के भेड़िये के सीन और अभिषेक की कॉमेडी देखने को मिल जाती है जो ज्यादा देर आपको बोर नहीं होने देती है.
अमर कौशिक एक बार फिर अपने निर्देशन के साथ एक अनूठा अनुभव पैदा करते हैं. वह हॉरर और कॉमेडी को एक साथ पर्दे पर दिखने कि तरकीबों को समझते है- लेकिन वह इस बार थोडा निराश करते नज़र आते है. डायलाग, जोक्स मज़ेदार है लेकिन पुराने हैं.
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फिल्म में जानी दुश्मन जैसी फिल्मों का जिक्र करना, जहां अमरीश पुरी एक घातक राक्षस में बदल जाता है या ‘जूनून’ जहां राहुल रॉय एक बाघ में बदल जाता है. यहां तक कि फिल्म में लोकप्रिय शहनाज गिल का डायलॉग भी है ‘क्या करू मैं, मर जाऊं? मेरी कोई फीलिंग्स नहीं है?’ जिसका शानदार टाइमिंग पर इस्तेमाल किया जाता था. हालांकि कई चीज़े फिल्म में ऐसी हैं जो पहले देखि हुई लगती हैं. और फिल्म कि कहानी को प्रिडिक्ट करना बेहद ही आसान हैं. अबआगे क्या होने वाला है इसका अंदाज़ा आराम से लगा सकते हैं.
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क्या मेसेज देती हैं ये फिल्म
भेड़िया ने जिस तरह से बिना किसी उपदेश के मानव-पशु संघर्ष (man-animal conflict) का एक महत्वपूर्ण मेसेज दिया, उसने मुझे सबसे ज्यादा इम्प्रेस किया. इतना ही नहीं, नार्थईस्ट के लोगों को कैसे ‘चीनी’ और ‘आउटसाइडर’ के रूप में चिढ़ाने या परेशान करने के बारे में भी बात की गई है, जो आपको इस बारे में सोचने पर मजबूर करती है. एक दृश्य है जहां जोमिन सभी नार्थईस्ट के लोगों को ‘जैकी चैन और ब्रूस ली का बच्चा’ के रूप में मजाक बनाने के बारे में बताता है. यह भी एक स्ट्रोंग पॉइंट हैं जब वे कहते हैं, ‘हिंदी बोलने में कमजोर होना मुझे किसी भारतीय से कम नहीं बनाता है’.
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कैसे है फिल्म के गाने
फिल्म के गाने बिल्कुल खास नहीं है, बाकी बैकग्राउंड म्यूजिक ऑन-पॉइंट है.
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कितनी है फिल्म की रेटिंग
भेड़िया एक ऐसी कहानी है जिसमे कुछ भी नया नहीं हैं हां, लेकिन कुछ कॉमेडी देखने का मन हो तो एक बार यह फिल्म देखी जा सकती हैं. मैं फिल्म को 2.5 स्टार ही दूंगी वो भी सिर्फ फिल्म के ठीकठाक VFX के लिए.
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