Film Review Tejas: बकवास सब कुछ नकली By Shanti Swaroop Tripathi 27 Oct 2023 | एडिट 27 Oct 2023 11:30 IST in रिव्यूज New Update Follow Us शेयर रेटिंग: 1 स्टार निर्माता: राॅनी स्क्रूवाला लेखक: सर्वेश मेवाड़ा निर्देशक: सर्वेश मेवाड़ा कलााकर: कंगना रनौट, अंशुल चैहाण, अशीश विद्यार्थी, मोहन अगाशे, वरूण मित्रा, विशक नायर, सुनीत टंडन व अन्य अवधि: लगभग दो घंटे फिल्म ‘‘क्वीन’’ में अभिनय कर कंगना रनौट ने खुद को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री होने का पूरा भरोसा दिलाया था. इस फिल्म में कंगना ने अभिनय के कई नए आयाम स्थापित किए थे. लेकिन उसके बाद उनके अभिनय में निरंतर गिरावट आती जा रही है. 27 अक्टूबर को प्रदर्शित फिल्म ‘‘तेजस’’ उनके घटिया अभिनय व सोच की प्रतीक है. ‘तेजस’ की कहानी किसी असली किरदार या घटनाक्रम पर आधारित नहीं है, मगर यह फिल्मकार व कंगना की अपनी की अपनी दीमागी उपज है, जो कि अजीब और चिंताजनक है. कहानी: फिल्म ‘तेजस’ का किसी सत्य घटनाक्रम या वास्तविक पात्र से कोई संबंध नही है. यह एक काल्पनिक व साहसी भारतीय वायुसेना अधिकारी तेजस गिल (कंगना रनौट) की कहानी है, जो एक बार अपने वरिष्ठ अफसरों की आज्ञा की अवहेलना कर चुकी है और उस पर जांच चल रही है. भारतीय वायु सेना के एक सैनिक को किसी अज्ञात आदिवासी द्वीप से उसे वापस लेकर आती है. फिर भी वह एक भारतीय रॉ एजेंट को बचाने के लिए तेजस नामक लड़ाकू विमान पर सवार होकर तेजस नामक एक मिशन पर निकलती है. इसकी मूल वजह यह है कि तेजस गिल की आतंकवादियों से निजी दुश्मनी है. क्योकि 16 नवंबर 2008 को कुछ आतंवादियों ने मंुबई के एक होटल के अंदर हमला किया था, जिसमें तेजस ने अपने माता-पिता, छोटे भाई और गायक प्रेमी (वरूण मित्रा) को खोया था. इस अभियान में वह अपने साथ सह लड़ाकू पायलट आफिया (अंशुल चैहान) को ले जाना चाहती है. ‘तेजस’ एक मल्टीटास्कर है, वह उग्रवादियों द्वारा अगवा किए गए भारतीय रॉ एजेंट द्वारा पलक झपकते हुए भेजे गए संदेशों को डिकोड कर लेती है, जबकि पूरी भारतीय रक्षा मशीनरी ऐसा करने में असमर्थ है. राष्ट्र के प्रति उनके जज्बा (जुनून) का न केवल वरिष्ठों ने बल्कि हमारे प्रधान मंत्री (मोहन अगाशे) द्वारा प्रशंसा की जाती है. खैर, ‘तेजस’ व सह-पायलट आफिया एक साथ नार्वे की मदद से पाकिस्तान की धरती पर दो तेजस विमानों के साथ उतरती है. फिर पाकिस्तान के रेगिस्तानी इलाके वजीरीस्तान जाकर प्रशंात नामक भारतीय जासूस को आतंकियों का सफाया कर वापस लौटने लगती है. प्रशांत बताता है कि आज शाम सात बजे जब ‘भगवान श्री राम जन्मभूमि’ के मंदिर का उद्घाटन होगा, तभी वहां पर बम से धमाका किया जाएगा. ‘तेजस’ यह खबर भारत में वरिष्ठों तक पहुॅचाती है. श्रीराम जन्मभूमि सुरक्षित कर लिया जाता है.तीन आतंकी मारे जाते हैं. तब ‘तेजस’ इन आतंकियो को भेजने वाले मुख्तानी का खात्मा करने वापस अकेले पाकिस्तानी सीमा की ओर मुड़ जाती है और मुख्तानी का खात्मा करते हुए खुद भी शहीद हो जाती है. फिल्म रिव्यू: पटकथा के माध्यम से देशभक्ति और राष्ट्रवाद को परोसने का असफल प्रयास किया गया. फिल्म में खालीपन है. फिल्म में ऐसा कुछ भी नही है,जो किसी भी आयु या वर्ग के लोगों को पसंद आए. सर्वेश मेवाड़ा कहानीकार और निर्देशक दोनों ही रूप में बुरी तरह से असफल हैं. पर कहा जा रहा है कि सेट पर कंगना ने निर्देशक सर्वेश मेवाड़ा की चलने नहीं दी. यदि यह सच है तो भी इस घटिया फिल्म को दर्शकों तक पहुॅचाने के लिए सर्वेश मेवाड़ा ही दोषी हंै. क्या उनका अपना जमीर मर चुका था,जो कि फिल्म से दूरी बनाने की बजाए कंगना के इशारे पर नाचते हुए गलत फिल्म बना डाली. श्रीराम जन्मभूमि को हूबहू माॅडल पेश करते हुए फिल्मकार ने आतंकियों को उस पर हमला करने की राह तक दिखा दी. वाह रे तेरा राष्ट्रवाद...वाह रे देशप्रेम... फिल्म में पाकिस्तान के अंदर उन्ही के सैन्य एअरपोर्ट पर नार्वे के कार्गो विमान से दो तेजस विमानों को उतारने के बाद तेजस और आइफा जिस तरह से पाकिस्तानी अधिकारियों को बेवकूफ बनाती हैं, वह विश्वसनीय नहीं लगता. फिल्म में एक जगह आइफा अपने वरिष्ठो ंसे कहती है-‘‘यह नया भारत है, यह घर में घुस के मारेगा.’’ यह संवाद सुनकर लगता है कि क्या यह फिल्म ‘उरी’ का सीक्वल है. कहने का अर्थ फिल्म ऐसा अंधाराष्ट्रवाद परोसती है, जो किसी के गले नही उतरता. फिल्म में मानवीय संवेदनाओं, भावनाओं का घोर अभाव हैं. राष्ट्रवाद का अनूठा रूप पेश करते हुए फिल्मकार व कंगना रनौट ने फिल्म में आइफा के रूप मंे एक मुस्लिम भारतीय वायुसेना अफसर को भी रखा है. फिल्म का वीएफएक्स व एडीटिंग भी गड़बड़ है. अभिनय: कंगना रनौट का अभिनय तो अति निराशा जनक है. अब कंगना अभिनय की बजाय सिर्फ सोशल मीडिया की ही क्वीन बनकर रह गयी हैं, जहां वह अपनी हरकतों से नफरत फैलाने व समाज को बांटने का काम करती हुई नजर आती रहती है. आफिया के रूप में अंशुल चैहान प्यारी लगी हैं, उनके अपने कुछ पल हैं,जहां वह कंगना रनौत की मौजूदगी में भी चमकती हैं. वरुण मित्रा बहुत अच्छे नजर आए हैं. आशीष विद्यार्थी खुद को दोहराने के अलावा कुछ नहीं कर पाए. विशाख नायर अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं. हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article