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नकली नोटों को लेकर गढ़ी गई कॉमेडी फिल्म ‘चल जा बापू’ में निर्देशक देदिप्या जोशी ने पूर्व बिग बॉस विनर आशुतोश कौशिक को नायक के तौर प्रस्तुत किया है।
सहारनपुर का आशुतोश कौशिक उर्फ आशु एक निकम्मा कामचोर लेकिऩ झोलर किस्म का बंदा है। जो अपने पिता राजू खेर की दूकान पर न बैठ अपने दोस्तों के साथ आवारागर्दी करने में मस्त है। ट्रेन में उसकी मुलाकात ऋशिता भट्ट से होती है बाद में वो उसे भी नकली डिग्री दिखा इंप्रेस कर उससे शादी कर लेता है। बाद में ऋशिता और उसके काम को लेकर हमेशा झिक झिक होती रहती है पांच वर्ष के बेटे का बाप बनने के बाद भी आशु नहीं सुधर पाता। एक दिन वो बाबा मूलमंत्र उर्फ जाकिर हुसैन के पास जाता है तो बाबा उसे पांच सो का नोट देता है। जो नकली होता है। दरअसल बाबा का नकली नोटो का धंधा है वो असली नोटो के बदले नकली नोट लेकर उसे मार्केट में अपने भक्तों द्धारा चलाता है। आशु उस नोट को चलाने के भरकस कोशिश करता हैं लेकिन सफल नहीं हो पाता। एक दिन वो एक बाई को वो पांच सौ का नोट देता है लेकिन उसके साथ कुछ करता नहीं और बाकी के नोट वापस ले आता है। लेकिन उस नकली नोट के साथ वो बाई उसके घर तक पहुंच जाती है। ऋशिता को इस बात का बहुत गुमान है कि उसका पति कुछ भी करे लेकिन उसके साथ बेवफाई नहीं कर सकता, लेकिन बाई के घर पहुंचने के बाद उसका विश्वास टूटने लगता है, वो आशू के लाख सफाई देने के बाद भी घर छोड़ कर चली जाती है और बाद में उसे तलाक देने का निर्णय ले लेती है। उसी दौरान आशू को एक शख्स से बाबा का नकली के नोटो के धंधें के बारे में पता चलता है, इसके बाद वो किस प्रकार बाबा की पोल खोल कर दम लेता है।
डायरेक्टर ने नकली नोट को लेकर एक हल्के फुल्के हास्य को फिल्म का विषय बनाया। नये पुराने कलाकारों को लेकर बनाई गई इस फिल्म की पटकथा सुस्त और संवाद औसत दर्जे के हैं। फिल्म में कई म्यूजिक डायरेक्टर हैं। उनमें संतोख सिंह द्धारा कंपोज गीत अच्छा बन पड़ा है। बाकी सहारनपुर शहर से अच्छी तरह से दर्शकों को परिचित करवाया है। फिल्म में माहौल, वेषभूषा का भी एक हद तक ध्यान रखा गया है।
अभिनय के तहत आशुतोष कौशिक भाषाइ किरदार में जमते है किरदार के मुतबिक उनकी टोन अच्छी है। ऋशिता भट्ट ने भी अपनी भूमिका के साथ न्याय किया है। आशू के मां बाप की भूमिका में राजू खेर और हिमानी शिवपुरी सहज लगे हैं। नकली नेटो के व्यापार करते कपटी बाबा की भूमिका में जाकिर हुसैन खूब जमे हैं।
कुल मिलाकर फिल्म हल्के फुल्के हास्य से दर्शकों को एक हद तक मनोरजंन करने में कामयाब है।