आजा बचपन एकबार फिर! हम सोचते हैं लेकिन ऐसा होता नही है. इसके लिए हमे किसी बच्चे के मन से सोचना होगा. आशीष गॉव के एक छोटे दकियानुसी परिवार में पल बढ़ रहा 10 वर्ष का बच्चा है जिसका सपना है एक साइकिल पाना. लेखिका निर्देशिका निर्मात्री देवयानी अनंत ने इसी बच्चे से जुड़कर बचपने को दिखाने की कोशिश किया है. 14 अप्रैल 2023 से सिनेमा घरों में रिलीज होने वाली डेढ़ घंटे की शार्ट फिल्म bicycle days (बाइ साइकल वाले दिन) ऐसी ही एक फिल्म है.
बचपन में साइकल चलाने की बड़ी क्रेज हुआ करती है.जिसके पास अपनी साइकिल हो उसका पूछना क्या! जिसके पास नही होती बड़ी हसरत से देखता है और वे किराए की साइकल लेकर चलाते हैं. आशीष एक ऐसा ही बच्चा है जो गांव के स्कूल से शहर साइकल से पढ़ने जाने की इच्छा रखता है. वह अपनी बड़ी बहन की पढ़ी हुई किताबें पढ़ने के लिए पाता है, उसकी साइकल चलाने के लिए पाता है. उसका सपना है वह गांव के स्कूल से शहर पढ़ने के लिए जाए, उसकी अपनी साइकिल हो. उस गांव में 22 साल का शेखर भी है जो अपनी पढ़ाई करके एक साल के लिए इस गांव में भेजा गया है.शेखर उच्च शिक्षा के लिए विदेश पढ़ने जाने वाला था उसको एक साल के लिए गांव भेज दिया गया है जहां वह पढ़ाने के काम मे लग गया है. शेखर आशीष को पढ़ाता है .उसको लगता है कि आशीष को सहयोग करना चाहिए, उसका मेंटर बनकर उसके सपने पूरे होने में मदतगार बने. इस प्रोसेस में शेखर खुद को भी पहचानने लगता है उसे समझ मे आता है कि विदेश में उच्च शिक्षा पाने से पहले उसे क्यों गांव में भेजा गया था.
फिल्म की लेखिका- निर्देशिका और भागीदार निर्मात्री देवयानी अनंत मध्य प्रदेश के छोटे कस्बे छिंदवाड़ा से है और विदिशा से एम.टेक की पढ़ाई कर चुकी हैं. फिल्मों के शौक के चलते वह मुम्बई आकर फिल्म निर्देशन का कोर्स की. इस दौरान वह प्रकाश झा, अब्बास मस्तान, नागेंद्र कुकनूर जैसे निर्देशकों से मिली और उनकी शूटिंग के सेट पर जाकर फिल्म की कला सीखा. उनकी फिल्म कम्पनी //के अंतर्गत बाल फिल्में बनाने की सोच के तहत काम शुरू किया गया है. 'बाईसाइकल डेज' एक ऐसी ही फिल्म है जो बच्चों के साथ साथ बड़ों को भी अपने बचपने में घुमाती है.