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फिल्म रिव्यू: विक्रांत रोना- क्या दर्शकों को बांध पाएगी किच्चा सुदीप की ये फिल्म?

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By Mayapuri
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किच्चा सुदीप, नीता अशोक, जैकलिन फर्नांडिज़, निरुप भंडारी स्टारर फिल्म "विक्रांत रोना" आज सिनेमाघरों में लग चुकी है. इसका निर्देशन अनूप भंडारी ने किया है. ये एक पैन इंडिया फिल्म है और एक सस्पेंस थ्रिलर है, तो आइये जानते है कैसी है ये फिल्म.  

स्टोरी: क्योंकि ये एक SUSPENSE  THRILLER  है तो स्टोरी की बात हम कम करेंगे. कहानी स्टार्ट होती है एक इंसिडेंट से जहां जंगल में छोटी बच्चियों की लाशें टंगी हुई मिलती हैं. इसके बाद उस इलाके में पुलिस अफ़सर किच्चा सुदीप  (विक्रांत रोना) की पोस्टिंग होती है. उनका भी कुछ पास्ट  होता है जो आपको फिल्म में देखने को मिलेगा.  अब वो कैसे इन सारी बातों का पता लगाते है और इसमें  कामयाब होते हैं या नहीं , ये आपको फिल्म देखने के बाद पता लगेगा।  फिल्म में 2  किरदार और है, नीता अशोक (पन्ना) और निरुप भंडारी(संजू ) जिनकी लव स्टोरी दिखाई गई है और ये भी फिल्म के अहम् किरदार हैं. जिसके इर्द गिर्द कहानी घूमती है.  

डायरेक्शन: फिल्म के डायरेक्शन की बात करे तो अनूप भंडारी का निर्देशन बहुत साधारण है, जैसी फिल्म है वैसा ही उनका निर्देशन है. फिल्म की कहानी बहुत ही उलझी हुई है, लेकिन इसके vfx  पर बहुत काम किया गया है. आपको ऐसा लगेगा कि फिल्म का सारा खर्चा सिर्फ इसी पर किया गया है. सेट्स अच्छे हैं लेकिन फिल्म बहुत डार्क है. 90% चीज़ें रात को होती हैं. फिल्म 3 डी है पर इसकी वजह से आपको और अजीब लगेगा क्योकि डार्क प्लस 3 डी दोनों का कॉम्बिनेशन सही नहीं लगता यहां पर. फिल्म में 3 डी के सीन्स भी कम हैं. फिल्म का फर्स्ट हाफ बहुत स्लो है, बिखरा हुआ है, बोरिंग भी है लेकिन फिल्म का सेकंड हाफ थोड़ा अच्छा है और सस्पेंस खुलते हुए दिखेगा.

एक्टिंग: एक्टिंग की बात करे तो किच्चा सुदीप की एक्टिंग थोड़ी सही है लेकिन बीच बीच में वो सलमान खान बनने की कोशिश करते हैं. इस फिल्म की डबिंग भी सलमान खान ने की है और उन्हीं का प्रोडक्शन भी है.  जैकलिन फर्नांडेज का रोल फिल्म में बहुत कम है सिर्फ एक गाने के लिए आती हैं. बाकी नीता अशोक और  निरुप भंडारी ने ठीक ठाक काम किया कुछ ख़ास नहीं है.  सपोर्टिंग कास्ट ने भी बहुत साधारण एक्टिंग की है.

कन्क्लूजन: यदि एक शब्द में बोलें तो "disappointing" है ये फिल्म. फिल्म में vfx और सेट के आलावा कुछ देखने लायक नहीं है. स्टोरी भी बहुत साधारण है फालतू का हाइप बनाने की कोशिश की गई है ,एक्टिंग भी साधारण है. पहली पैन इंडिया फिल्म है जो ऑडियंस को बांध  नहीं पाई.  फिल्म की कहानी उलझी हुई है फर्स्ट हाफपूअर एंड सेकंड हाफ थोड़ा अच्छा है. मैं इस फिल्म को 1.5  स्टार देना चाहूंगा.  आप इसके ott  पर आने का वेट कर सकते हैं.

-शशांक विक्रम

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