मूवी रिव्यू: हंसना हंसाना यानि 'फ्रॉड सैंया'

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By Shyam Sharma
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मूवी रिव्यू: हंसना हंसाना यानि 'फ्रॉड सैंया'

रेटिंग**

प्रकाश झा की बेटी दिशा झा तथा उसके पार्टनर कनिष्क गंगवाल ने मिलकर करीब दो तीन साल पहले फिल्म ‘ फ्रॉड सैंया’ का निर्माण किया था। बाद में पता नहीं क्या हुआ कि फिल्म क लेखक निर्देशक सैरभ श्रीवास्तव ने अपने आपको फिल्म सें अलग कर लिया। इसी उधेड़बुन में फिल्म ने रिलीज तक इतना वक्त ले लिया । खैर फिल्म की बात की जाये तो ‘ फ्रॉड सैंया’  एक ऐसी कॉमिक फिल्म है जैसी हम नब्बे के दशक में देखा करते थे।

कहानी

भोला प्रसाद तिवारी यानि अरशद वारसी एक ऐसा फ्रॉड शख्स है जो ओरतों को मूर्ख बना, उनसे शादी कर उनका माल मत्ता लेकर गायब हो जाता है। इस लिहाज से उसकी बीवीयों की तादाद बढ़ती जा रही है । इन्हीं में उसकी एक बीवी का मामा मुरारी यानि सौरभ शुक्ला है जो पेशे से प्राइवेट जासूस है। वो षक होने पर भोला के साथ हो लेता है और उसे पकड़वाने की जुगत में लग जाता है। इस बीच दोनों लखनऊ, वाराणसी और इलाहबाद के बीच घूमते रहते हैं। इलाहबाद में भोला का टकराव उसकी लेडी डान बीवी यानि भावना पाणी  तथा विधवा पायल सारा लॉरेन से होता है। एक वथ्त ऐसा भी आता हैं जब भोला के सामने उसकी सारी बीवीयां होती है। इसके बाद क्या होता हैं इसके लिये फिल्म का देखना जरूरी है।

डायरेक्शन

फिल्म के लेखक निर्देषक सौरभ श्रीवास्तव पिछले दिनों फिल्म से अपना नाम हटाने की वजह बताते हुये कहा था कि उन्हें उनके मनमुताबिक फिल्म नहीं बनाने दी। जबकि प्रकाश झा का अलग ही कहना है। वे कहते हैं मैं फिल्म के शूट पर मुश्किल से एक या दो बार गया होउंगा। सबसे बड़ी बात कि सौरभ को आकर मुझे अपनी तकलीफ बतानी चाहिये। मुझे उससे कोई शिकायत नहीं, मैं उसके काम से संतुष्ट हूं। उसने अच्छी फिल्म बनाई है। फिल्म की बात की जाये तो ये प्रकाष झा के स्तर की तो कहीं से भी नहीं है। हां उसे दिमाग को बंद करके देखा जाये तो यह एक दो घंटे तक हंसने हंसाने वाली फनी फिल्म है ,लेकिन तर्को की बात की जाये तो फिल्म के कुछ दृष्य देख कर माथा पीटने को मन करता हैं जैसे बचपन में भोला अपनी सहपाठी लड़की से जबरदस्ती प्यार का इजहार करता है तो लड़की उसके हाथ पर काट लेती है। इस पर वो हाथ पर लगे खून से उसकी मांग भर देता है। हाईलाइट इसके बाद वो छोटी सी लड़की भी उसे अपना सब कुछ मान लेती है। एक और दृष्य, भोला के पीछे पुलिस लगी है जिसे उसकी एक बीवी ही बुलाती  है, उसी वक्त वहां उसकी दूसरी बीवी भी आ जाती है। यहां भोला उन्हें ऐसा कुछ कहता है कि बाद में दोनों मिलकर उसे पुलिस से बचाती है। बाद में भी इसी तरह के बचकाने दृश्यों को लेकर फिल्म आगे बढ़ती है। हाईलाईट इन सारी चीजों से दर्शक को कोई एतराज नहीं लिहाजा वो किरदारों के बीच होने वाली हरकतों पर हंसते हुये फिल्म का मजा लेता रहता है।

अभिनय

इसमें दो राय नहीं कि अरशद वारसी एक बेहतरीन अदाकार है। उसकी कॉमिक टाइमिंग गजब की है। जिसका वे बढ़िया ढंग से उपयोग करते हुये शुरू से अंत तक दर्शकों को खूब हंसाते हैं और सौरभ शुक्ला ने भी अरशद का खूब साथ दिया है। इनके अलावा अरशद की पत्नियां के तौर पर भावना पाणी, पियूश सुहाणे,फ्लौरा सैनी,निवेदिता तिवारी तथा सारा लॉरेन सभी अपनी भूमिकाअें में फिट हैं। एली अवराम का आइटम सॉन्ग भी दिलकश है।

क्यों देखें

बिना तर्क वितर्क के हंसने हंसाने वाली फिल्में पंसद करने वाले दर्शकों को फिल्म निराश नहीं करेगी।

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