नोसिखिये डायरेक्शन पर कुर्बान 'हक-ए-सैलानी' By Shyam Sharma 17 Jan 2018 | एडिट 17 Jan 2018 23:00 IST in रिव्यूज New Update Follow Us शेयर हम कितने भी प्रगतिशील हो जाये, आधुनिक हो जाये लेकिन हमारी धार्मिक आस्था के तहत कहीं न कहीं साधू संत और फकीरों के चमत्कारों को असर कहीं न कहीं आज भी हमारे पर है। महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले के तहत आने वाले गांव सैलानी में आज भी सैलानी बाबा की बड़ी मान्यता है। कहा जाता है कि सैलानी बाबा द्धारा ऐसे ऐसे चमत्कार हुये हैं जिन पर मुश्किल से विश्वास किया जा सकता है। इसी सैलानी बाबा पर आधारित लेखक निर्देशक संदीप सोलंकी की फिल्म का नाम है ‘हक़-ए- सैलानी’ । लेकिन निर्देशक अपने नोसिखियेपन से न तो बाबा की महिमा दिखा पाता है और न ही कहानी को सही दिशा दे पाता है। फिल्म की कहानी फिल्म की कहानी के अनुसार एक बड़े अमीर डॉक्टर हैं उनका छोटा भाई किसी मुस्लिम लड़की से प्यार करता है लेकिन डॉक्टर की धूर्त बीवी अपनी एक काले जादू के ज्ञाता बाबा का इस्तेमाल कर कुछ ऐसा चक्कर चलाती है कि डॉक्टर अपने भाई को बिजनिस के लिये पैसा मांगने पर घर से निकाल देता है । उसकी बीवी पर जौर जुल्म करने के बाद डॉक्टर की बीवी उस पर बाबा द्धारा काले जादू से करनी करवा पागल करवा देती है। इसी प्रकार वो अपने पति डॉक्टर पर भी करनी कर, उसकी सारी जायदाद अपने नाम कर लेती है। एक वक्त ऐसा भी आता है जब किसी के कहने पर छोटे भाई की बीवी की मां और डॉक्टर बाबा सैलानी की मजार पर जाकर सदका करते हैं। बाबा के आशीर्वाद से उनके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। अपने काम में नोसिखिये निर्देशक ने एक ऐसी फिल्म बनाई है जो फिल्म कम कोई लाउड नाटक ज्यादा लगता है। कमजोर स्क्रिप्ट, उससे भी कमजोर पटकथा और अति साधारण संवाद, साधारण संगीत और ऊपर से नये नोसिखिये कलाकारों का लाउड अभिनय देख ऐसा लगता हैं जैसे किसी रामलीला के कलाकार चीख चीख कर संवाद बोल रहे हो। वो सब खीज पैदा करता है। लिहाजा दर्शक फिल्म का जरा भी मजा नही ले पाता क खत्म होने का बेसब्री से इंतजार करने लगता है। फिल्म को लेकर हमारा तो यही कहना हैं कि ऐसी फिल्मों से दूरी बनाये रखने में ही भलाई है। हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article