रेटिंग : 3 स्टार
एक झूठ को छिपाने के लिए सौ झूठ बोलने पड़ते है और ये झूठ कितनी मुसीबत और कन्फ्यूजन पैदा करते हैं,असल में ऐसी ही स्टोरी लाइन है निर्देशक समीप कंग निर्देशित 'झूठा कहीं का' की। निर्देशक समीप कंग की यह फिल्म उन्हीं की ब्लॉकबस्टर पंजाबी फिल्म 'कैरी ऑन जट्टा' की रीमेक है।
कहानी :
फिल्म की कहानी मॉरीशस में रहने वाले दो दोस्तों वरुण (ओमकार कपूर) और करण (सनी सिंह)पर आधारित है। वरुण का पिता योगराज सिंह (ऋषि कपूर) पंजाब में रहने वाला रिटायर पुलिसवाला है, जो अपने साले (राजेश शर्मा) और उसकी बीवी के साथ रहता है। वरुण मॉरीशस में ही अपना भविष्य बनाना चाहता है। वहां उसे रिया (निमिषा मेहता) से प्यार हो जाता है। निमिषा को पाने के लिए वह अपने अनाथ होने का नाटक करता है, मगर उस वक्त मुसीबत में पड़ जाता है, जब उसका पिता योगराज सिंह पूरे परिवार के साथ मॉरिशस में उसी घर का किरायेदार बनकर आ जाता है। यहां वह रिया की मां रुचि मेहता (लिलिट दुबे) और अपाहिज पिता (मनोज जोशी) के साथ रहता है। अपने झूठ को छिपाने के लिए वह अपने दोस्त करण को रिया का पति बताता है। वहीं करण रुचा वैद्य से प्यार करता है। उधर करण ने अपनी प्रेमिका को अपने भाई टॉमी पांडे (जिमी शेरगिल) के लंदन में होने का झूठ बोला है, जबकि उसका भाई फ्रॉड के केस में जेल में है। इसके बाद दोनों ही दोस्त झूट में फंसते जाते हैं
अभिनय :
अभिनय के मामले में ऋषि कपूर फिल्म का आधार स्तंभ साबित हुए हैं। राजेश शर्मा ने उनके साथ ऐक्शन-रिऐक्शन की अच्छी जुगलबंदी पेश की है। फिल्म के नायक ओमकार कपूर और सनी सिंह ने ठीक-ठाक काम किया है। मध्यांतर के बाद एंट्री मारनेवाले टॉमी पांडे की भूमिका में जिमी शेरगिल ने खूब हंसाया है। उन्होंने अपनी भूमिका के साथ पूरा न्याय किया है। वहीं रिया के रूप में निमिषा मेहता खूबसूरत लगी हैं। रुचा वैद्य को ज्यादा स्क्रीन स्पेस नहीं मिल पाया है। अन्य किरदारों में लिलेट दुबे, मनोज जोशी, राकेश बेदी ने अच्छा काम किया है।
क्यों देखें :
फिल्म में भरपूर कॉमिडी है। हंसी के लिए कन्फ्यूजन भी बहुत ज्यादा ही पैदा कर दिया गया है, मगर कमजोर स्क्रीनप्ले के कारण कहानी पकड़ नहीं बना पाती। कॉमिडी के कुछ पंच जरूर हैं, जो हंसाते हैं। क्लाइमेक्स मनोरंजक है।