सिर्फ खास वर्ग के लिये है फिल्म 'कालाकांडी' By Shyam Sharma 12 Jan 2018 | एडिट 12 Jan 2018 23:00 IST in रिव्यूज New Update Follow Us शेयर एक्सपेरीमेन्ट के नाम पर कुछ फिल्में बनती हैं लेकिन वे साफ साफ विदेशी फिल्मों से प्रेरित होती हैं। अब जैसे लेखक से निर्देशक बने अक्षत वर्मा की ब्लैक कॉमेडी फिल्म ‘ कालाकांडी’ का उदाहरण दिया जा सकता है। फिल्म में ब्लैक कॉमेडी के नाम पर गालियां, सेक्स, ड्रग्स, गैंगस्टर आदि सारे मसाले इस्तेमाल किये हैं बावजूद इसके निर्देशक अपनी बात आखिर सही तरीके से नहीं कह पाता। फिल्म की कहानी फिल्म में कई कहानियां सामांतर रूप से चलती हैं। जैसे पहली कहानी में सैफ अली खान जो शेयर मार्केट एक्सपर्ट है, उसे जब पता लगता है कि उसे कैंसर है और वो बहुत जल्दी मर जाने वाला है। उसके बाद वो अपनी ही लाईफ से खफा हो जाता क्योंकि उसने जिन्दगी मैं सिगरेट, शराब आदि लतों से अपने आपको दूर रखा बावजूद उसे कैंसर जैसी घातक बीमारी से दो चार होना पड़ा लिहाजा वो अपनी बची खुची जिन्दगी में वो सब करना चाहता है जो वो करना चाहता था। दूसरी कहानी उसके भाई अक्षत ऑबेरॉय की है जिसकी शादी होने जा रही है लेकिन वो अपनी पुरानी गर्लफ्रेंड के साथ सोना चाहता है। तीसरी कहानी में कुणाल कपूर राय और शोभिता की है तथा चौथी कहानी दीपक डोबरियाल और विजय राज दो ऐसे लोगों की है जो एक गैंगस्टर के लिये काम करते हैं। सैफ एक बार ऐसी ड्रिंक ले लेता है जिसके बाद उसे ढेर सारी अलग अलग चीजें दिखाई देनी शुरू हो जाती हैं। कुणाल और शोभिता एक एक्सीडेन्ट का शिकार होते हैं तथा विजयराज और दीपक करोड़पति बनने की महत्वाकांक्षा के तहत अपने बॉस को ही टोपी पहनाने की कोशिश करते हैं। अंत में ये सभी किरदार एक दूसरे से टकराते हैं। साधारण डायरेक्शन जैसा कि बताया गया हैं कि डायरेक्टर फिल्म के जरिये जैसी करनी वैसी भरनी उदाहरण को चरितार्थ करना चाहता था जिसमें वो सफल नहीं हो पाता। एक किरदार के तहत उसने जीवन मृत्यु दर्शन बताने की भी कोशिश की, परन्तु वो वहां भी सफल नहीं हो पाता। चूंकि डायरेक्टर एक लेखक है लिहाजा फिल्म पर उसके द्धारा लिखी इसी जॉनर की फिल्म डेली बेली को पूरा प्रभाव दिखाई देता है। फिल्म में सेक्सी सीन्स ड्रग्स आदि के अलावा अंग्रेजी का खूब उपयोग किया गया है। लिहाजा फिल्म सिर्फ मल्टी प्लेक्स के दर्शकों को ध्यान में रखते हुये बनाई गई है। शक है कि उनकी पंसद पर फिल्म खरी उतर पायेगी। फिल्म का संगीत कहानी के अनकुल है। सैफ अली खान एक ऐसे एक्टर हैं जो इमेज की कैद से बाहर रहे हैं। यहां भी उन्होंने एक जटिल किरदार को सहजता से लेकिन खूबसूरती से अंजाम तक पहुंचाया है। अफसोस उनकी मेहनत किसी काम नहीं आने वाली। अक्षत ऑबेरॉय, कुणाल कपूर राय, शोभिता धूलिपाला आदि कलाकार भी ठीक ठाक काम कर गये, लेकिन दीपक डोबरिवाल और विजयराज की जोड़ी अंत तक अपनी शानदार अदाईगी से दर्शकों का मनोरंजन करती है। अंत में यह ब्लैक कॉमेडी फिल्म जिस खास वर्ग के लिये बनाई गई है वही शायद ही फिल्म पंसद करे। वरना आम दर्शक लिये फिल्म में कुछ नहीं है। हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article