रेटिंग**
निर्देशक धीरज जोशी की फिल्म ‘काशी-इन सर्च ऑफ गंगा’ एक ऐसे बेहतरीन प्लाट पर बनी फिल्म है जिस पर एक बेहतरीन थ्रिलर सस्पेंस फिल्म बन सकती थी। जबकि मौजूदा फिल्म औसत से ऊपर नहीं उठ पाती।
काशी के घाट पर बने शमसानों में से एक पर डोम जाति का काशी (शरमन जोशी) मुर्दो को जलाने का काम करता है। उसकी मुलाकात पत्रकार देबिना (एश्वर्या देवन)से होती हैं जो उसके साथ बनारस देखने की ख्वाईशमंद है। एक दिन काशी को पता चलता है कि उसकी बहन गंगा गायब है तो वो उसे तलाश करने निकल पड़ता है। उस तलाश में उसके साथ देबिना भी है। उसी दौरान उसे पता चलता है कि बनारस के करोड़पति पांडे गोविदं नामदेव के बेटे अभिमन्यु से गंगा का अफेयर था और वो प्रेग्नेंट थी। गुस्से में आकर काशी अभिमन्यु को जान से मार देता है। बाद में कोर्ट में पता चलता हैं कि गंगा को अभिमन्यु ने नहीं बल्कि उसके पिता ने मारा था। गुस्साया काशी अदालत में ही गोविंद नामदेव को भी मार देता है। बाद में पता चलता हैं कि काशी के मां बाप और बहन तो बहुत पहले मर चुके हैं वो बस उनकी कल्पना करता रहता है, और इसी कल्पना के तहत उसने ये खून किये लेकिन ये खून उससे करवाये किसने। क्या अंत तक काशी असली कातिल को मार पाता है ?
धीरज जोषी अभी तक दो तीन भोजपुरी फिल्में बना चके है। इस फिल्म को भी उसने भोजपुरी फिल्म की तरह ट्रीट किया है लिहाजा कहा जा सकता है एक बेहतरीन प्लाट को कमजोर डायरेक्शन के तहत पूरी तरह जाया कर दिया गया। शुरू से अंत तक निर्देशक फिल्म पर अपनी पकड़ मजबूत नहीं कर पाया इसलिये अच्छी कहानी पूरी तरह से बिखर कर गई। बस कैमरामैन को थोड़ी बहुत शाबासी इसलिये दी जा सकती है क्योंकि उसने बनारस के कुछ हिस्सों को खूबसूरती से अपने कैमरे में कैद किया है।
अभिनय की बात की जाये तो इसमें कोई शक नहीं कि शरमन जोशी एक बेहतरीन कलाकार हैं लेकिन यहां वे पूरी तरह मिस फिट साबित हुये लिहाजा काफी कोशिश करने के बाद भी वे फिल्म को उठा नहीं पाते। साउथ की अभिनेत्री एश्वर्या देवन न जाने पूरी फिल्म में डरी डरी सी दिखाई देती है। मेहमान भूमिकाओं में मनोज जोशी, अखिलेश मिश्रा, मनोज पाहवा आदि कलाकार साधारण साबित होते हैं।
कुल मिलाकर फिल्म के बारे यही निष्कर्श निकालता है कि शायद ही कोई इस फिल्म पर अपना पैसा खर्च करने की कोशिश भी करेगा।