रेटिंग 3 स्टार
प्यार जुनून है। जिसे आप चाहते हैं उसे पाने के लिए आपको हद से गुजरना होता है। सिनेमाघरों में एक फिल्म आई है जिसका नाम है कबीर सिंह। कबीर सिंह, तेलुगू फिल्म अर्जुन रेड्डी का हिंदी रीमेक है है। इस फिल्म में शाहिद की दमदार एक्टिंग देखने को मिली है। अर्जुन रेड्डी के डायरेक्टर संदीप वांगा ने बेहद खूबसूरत तरीके से कबीर सिंह को बनाया है। कबीर सिंह एक कंपलीट मसाला फिल्म है जिसमें कॉमेडी है, इमोशंस हैं। इस फिल्म की खास बात ये है कि 3 घंटे से भी लंबी कहानी होने के बावजूद ये आपको बोर नहीं करेगी। कॉमेडी पंच, छिछोरे टाइप के कॉमेडी सीन्स आपको ठहाके लगाने पर मजबूर कर देंगे।
कहानी
कबीर (शाहिद कपूर) दिल्ली के एक मेडिकल स्कूल में फाइनल इयर का स्टूडेंट है जो बहुत ज्यादा इंटेलिजेंट है, लेकिन थोड़ा गुस्सैल है और उसका यह गुस्सैल स्वभाव मूवी के पहले कुछ सीन्स में ही अच्छे से समझ आ जाता है। कॉलेज का डीन (आदिल हुसैन) भी कबीर को चेताते हुए कहता है-एक गुस्से वाला सर्जन अपने सर्जिकल ब्लेड के साथ कातिल सरीखा है। इस गुस्सैल कबीर को फर्स्ट इयर की स्टूडेंट प्रीति सिक्का (कियारा आडवाणी) से पागलपन की हद तक प्रेम हो जाता है। वह कॉलेज में घोषणा करा देता है कि प्रीति उसकी है। कबीर की धमक के चलते न तो उसकी कोई रैगिंग कर पाता है और ना आंख उठाकर देख पाता है। कॉलेज से पास होकर कबीर मंसूरी में मास्टर्स करने चला जाता है और प्रीति दिल्ली में ही रह जाती है, हालांकि वह 15 दिन भी कबीर से अलग नहीं रह पाती और मिलने मंसूरी पहुंच जाती है। फिर दोनों आए दिन मिलने लगते हैं। पढ़ाई पूरी होती है और कबीर शादी की बात करने प्रीति के घर आता है। और प्रीति के पिता उसे घर से भगा देते हैं। वह प्रीति को अपना बनाने की हर कोशिश करता है लेकिन उसके प्रीति की शादी कहीं और कर दी जाती है। प्यार में असफल होने के कारण वह शराबी बन जाता है और अजीब तरह की हरकतें करने लगता है। कबीर की इन हरकतों की वजह से उसके पिता (सुरेश ओबेरॉय) उसे घर से निकाल देते हैं। इसके बाद वह बंबई में अपनी डॉक्टरी पर फोकस करता है। शराब के कारण तबियत खराब होती जाती है और नशे में एक मरीज का इलाज करने के आरोप में उस पर पांच साल का प्रतिबंध लग जाता है। प्रीति उसकी जिंदगी से जा चुकी होती है फिर भी उसे पाने का जुनून उसके सिर पर सवार होता है। पटरी से उतरी जिंदगी, परिवार से हुए अलगाव को वह कैसे संभालता है, प्रीति उसकी जिंदगी में वापस आती है या नहीं, यही है कबीर सिंह की कहानी।
अभिनय
शाहिद कपूर की फिल्म कबीर सिंह की चर्चा तभी से होने लगी थी जब इसका फर्स्ट लुक सामने आया था। चेहरे पर गुस्सा, आंखों में इश्क का नशा और सिर पर प्रेम को पाने का जुनून। शाहिद कपूर ने एक सिरफिरे आशिक के रोल से यह साबित कर दिया कि कुछ रोल केवल वही कर सकते हैं। इसमें कोई दोराय नहीं कि शाहिद कपूर गजब के कलाकार हैं। पूरी फिल्म में उनसे नजर नहीं हटती है, वहीं कियारा की मासूमियत ने तो दिल जीत लिया है। कियारा के खाते में डायलॉग ना के बराबर हैं, बावजूद इसके उन्होंने अपने अंदाज से छाप छोड़ी है। उन्होंने साबित कर दिया है कि उन्हें अगर मौका मिलेगा तो वह दिग्गज अदाकाराओं को मात देने में पीछे नहीं रहेंगी। कामिनी कौशल, सुरेश ओबेरॉय, अर्जन बाजवा और सोहम मजुमदार ने इस फिल्म में सपोर्टिंग एक्टर्स के तौर पर जानदार परफॉर्मेंस दी है।
निर्देशन
संदीप बांगा का निर्देशन काफी अच्छा है। उन्हें पता कि उनके पास क्या-क्या है और उसे कैसे इस्तेमाल करना है। वो कहीं भी नहीं चूकते हैं। लव स्टोरी की बात करें तो ये ऐसा जेनेर है जिसे खूब पसंद किया जाता है लेकिन इसे पर्दे पर उतारना उतना ही मुश्किल काम है।संदीप एक निराशावादी नायक के बावजूद फिल्म की कहानी को काफी ऊंचे पायदानों पर ले जाते हैं और इसे एक शानदार फिल्म बना कर छोड़ते हैं।
क्यों देखें
कई कैमरा ऐंगल और ओवर-ऑल सिनेमेटॉग्राफी बिलकुल यूनिक न होते हुए भी काफी हद तक क्रिएटिव है। संगीत के लिहाज से भी फिल्म काफी बेहतर है। गाने इरशाद कामिल, मनोज मुंतशिर, कुमार और मिथुन ने लिखे हैं जबकि विशाल मिश्रा, अखिल सचदेवा, मिथुन ने इन्हें अपनी आवाज दी है। गीत बेखयाली, कैसे हुआ, तेरा बन जाऊंगा, तेरे सोणेया संगीत की प्रेमियों की जुबां पर हैं। कबीर सिंह के बारे में यही कहना पड़ेगा कि यह फिल्म आपकी नस-नस में रोमांस भर देगी। ‘आशिकी 2‘ के बाद ‘कबीर सिंह‘ दो ऐसे प्यार करने वाले लोगों की कहानी है जो चाहकर भी मिल नहीं सकते। ये लव स्टोरी आपको इमोशनल करके छोड़ती है।