इरफान के गुदगुदाते ठहाके लगवाते संवादों का 'कारवां' By Shyam Sharma 03 Aug 2018 | एडिट 03 Aug 2018 22:00 IST in रिव्यूज New Update Follow Us शेयर निर्देशक आकर्ष खुराना की फिल्म ‘कांरवा’ एक ऐसे बाप बेटे के रिश्तों से बंधी कहानी हैं जिसमें बेटे का बाप से कभी कोई इमोश्नल रिश्ता नहीं रहा। एक दर्घटना में पिता के मारे जाने के बाद उनकी बॉडी को लेकर कंफ्यूजन फिल्म को एक लंबी जर्नी में तब्दील कर देता है। फिल्म की कहानी अविनाश (दलकीर सलमान) अपनी लाइफ से परेशान एक ऐसा युवक है जो अपने पिता की वजह से वो नहीं कर पाया जो वो करना चाहता था। इसलिये बाप बेटे में कभी बनी नहीं। एक दिन अविनाश को पता चलता है कि एक एक्सिडेंट में उसके पिता की मौत हो गई है लिहाजा उनका शव विमान द्धारा बैंगलुरू उसके पास भेजा जा रहा है। लेकिन कारगो में क्लर्क की गलती से उसके पिता की जगह किसी और की बॉडी उसे मिलती है। बाद में पता चलता है कि ये कोच्ची में किसी महिला की मां की बॉडी है लिहाजा कोच्ची में रह रही महिला की गुजारिश पर अविनाश अपने मित्र और गैराज के मालिक शौकत (इरफान) की वैन में बॉडी रख कोच्ची की तरफ कूच कर जाता है। इस यात्रा में अविनाश को अपने बारे में सही तरह से सोचने का मौका मिलता है। इस सफर में मिलने वाले साथी तान्या (मिथिला पलकर) और उसकी मां (अमला) की वजह से उसकी लाइफ पूरी तरह बदल जाती है। दक्षिण भारत की खूबसूरत वादियों की सैर कराती ये फिल्म कहानी के तीनों किरदारों अविनाश, शौकत तथा तान्या को उनकी जिन्दगी की दुश्वारियों से पहले रूबरू करवाती हें इसके बाद निजात दिलाती है। फिल्म एक डार्क कॉमेडी ड्रामा है जो अपनी जिन्दगी के तहत गंभीरता का लिबास ओढ़़े अविनाश और लाइफ को पूरी तरह जीने में विश्वास करने वाले मस्तमौला शौकत और अपनी लाइफ को अपनी तरह से जीने वाली तान्या, तीनों के रंग पूरी ईमानदारी से दर्शाये गये हैं। दमदार अदाकारी फिल्म का मजबूत पार्ट है दलकीर सलमान और इरफान की जबरदस्त अदाकारी। मलयालम फिल्मों के चहेते स्टार दलकीर अपनी भूमिका में पूरी तरह सहज और स्वाभाविक लगते हैं। मलयाली होने के बावजूद उनकी हिन्दी पर बहुत अच्छी पकड़ है। इरफान का रोल हालांकि आधा अधूरा सा लगता है लेकिन इस कमाल के अदाकार ने उसे अपनी बेहतरीन अदाकारी से उसे पूरी तरह कंपलीट कर दिखाया। उनका हर डायलॉग दर्शक को ठहाके लगाने पर मजबूर कर देता है। मिथिला पलकर भी अच्छा काम कर गई। लेकिन एक अरसे बाद बाद अमला को देखकर अच्छा लगा। कांरवा एक ऐसी हल्की फुल्की मजेदार फिल्म है जिसमें इरफान अपने साथियों के साथ-साथ दर्शकों को भी अपने साथ गुदगुदाते और हंसाते हुये अपनी मंजिल की और बढ़ाते हैं। लिहाजा इस कारवां में हर कोई शामिल होना चाहेगा। #bollywood #Irrfan Khan #Karwaan #Karwaan Review हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article