कश्मीर की पृष्ठभूमि पर अभी तक न जाने कितनी फिल्में बन चुकी हैं लेकिन हुसैन खान द्धारा प्रोड्यूस और डायरेक्ट फिल्म ‘कश्मीर डेली’ में कश्मीर की जिस समस्या को दर्शाया है, वो है ड्रग्स।
फिल्म की कहानी
कश्मीर के लोकप्रिय न्यूज पेपर कश्मीर डेली के एडिटर मिस्टर सरवर एक ईमानदार पत्रकार हैं। उसी तरह उनकी टीम भी है। एक दिन उनकी टीम की पत्रकार किसी नौजवान को गांजा के कश लगाते देख उसे वीडियो कर लेती है। जब वो एडिटर को वो वीडियो दिखाती है तो वे उसे वो केस कवर करने की ताकीद देते हैं। बाद में पत्रकार यानि नीलम सिंह अपने कुलीग के साथ पहले उस शख्स को तलाश कर एडिटर के सामने खड़ा करती है जिसका उसने वीडियो बनाया था उससे बात करने के बाद एडिटर को पता चलता है कि गुलखान नामक एक इज्जतदार और असरदार बिजनेसमेन एनजीओ के माध्यम से नौजवानों को इस नशे की लत लगा करोड़ो कमा रहा है। सरवर और उसकी टीम गुलखान समेत उन सभी को एक्सपोज करने का बीड़ा उठाते हैं जो नशे व्यापार से जुड़े हुये थे एडिटर सरवर अपनी जान देकर कश्मीर में नशे का कारोबार करने वाले गुलखान और उसके साथियों को जेल तक पहुंचाने के मकसद में कामयाब होकर दिखाते हैं।
कमजोर डायरेक्शन
फिल्म एक ऐसे विषय को लेकर चलती है जो हिन्दी फिल्मों का प्रिय विषय रहा है, लेकिन यहां बस उसका बैकग्रांउड कश्मीर दिखा दिया गया है। फिल्म की कथा, संवाद और म्यूजिक बहुत ही निचले स्तर का रहा। इसी प्रकार फिल्मांकन में भी कोई नयापन नहीं दिखाई दिया। कुछ तो फिल्म कमजोर,ऊपर से उसे और कमजोर बनाता है बेहद पूअर डायरेकशन और नये नोसीखिये कलाकार।