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फर्ज और इंतकाम की जंग 'कठोर'

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By Shyam Sharma
फर्ज और इंतकाम की जंग 'कठोर'
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जब किसी का अपना उसके सामने किसी के द्धारा मार दिया जाता हैं तो उसके सामने इंतकाम उसका मुख्य मकसद बन जाता है। यहां तक बदले के सामने उसका फर्ज तक गौण होकर रह जाता है। लेखक निर्देशक करण कश्यप की फिल्म  ‘कठोर’ ऐसी ही किसी सच्ची घटना से प्रेरित है।

निलकंठ चतुर्वेदी यानि ललित परिमू बिलासपुर सैंट्रल जेल में संतरी है। उसके परिवार में उसकी पत्नि अनु यानि दुर्गा सरकार तथा बेटी ज्योति यानि शीतल डीमरी है। जिसकी जल्द शादी होने वाली है। नरलकंठ अपनी बेटी को जान से ज्यादा प्यार करता है। जेल में निलकंठ को सब पंडित जी कह कर बुलाते हैं। वहां उसका मुख्य काम कैदियों को खाना देना है। एक दिन मेले में एक नक्सली पदम उसकी बेटी को गोली मार कर उसकी हत्या कर देता है। बेटी के मरने के बाद नीलकंठ की तो जैसे दुनियां ही उजड़ जाती है। बाद में बेटी के शोक से उबरने के लिये वो वापस अपनी डयूटी ज्वाईन कर लेता है। जब वो पहले दिन एक कैदी के लिये खाना लेकर जाता है तो पता चलता है कि वो कैदी उसकी बेटी का कातिल पदम है। बस इसके बाद नीलकंठ अपने सारे संस्कार और फर्ज ताक पर रखते हुये अपनी बेटी के हत्यारे से बदला लेने का प्लान बनाने में जुट जाता है। इसमें उसका साथ एक कैदी शकर देता है। आखिरकार एक दिन नीलकंठ अपनी बेटी के हत्यारे को मौत की नींद सुलाने में कामयाब हो जाता है। इसके बाद वो अपने आपको कानून के हवाले कर देता है।

जैसा कि बताया गया है कि फिल्म एक सच्ची कहानी से प्रेरित है। निर्देशक ने उसे पर्दे पर उतारने के लिये हर वो कोशिश की है जो वो कर सकता था लेकिन फिल्म के लो बजट की वजह से फिल्म वैसा असर नहीं छोड़ पाती जैसा उसके लिये जरूरी था। लिहाजा हर सीन को देखते हुय फिल्म के बेहद कम बजट का एहसास होता है। बावजूद इसके निर्देशक अपनी बात कहने में एक हद तक कामयाब रहा है।

ललित परिमू टीवी और फिल्मों का एक जाना पहचाना नाम है तथा थियेटर में ये नाम सम्मान से लिया जाता है। कान्सटेबल नीलकंठ चतुर्वेदी की भूमिका को ललित ने अपने सधे अभिनय से इस तरह अभिव्यक्तिी दी, कि फिल्म में उनके सहयोगी किरदार भी अच्छे लगने लगते हैं। अनु की भूमिका में दुर्गा सरकार बढ़िया काम कर गई। उनकी बेटी के रोल में शीतल डीमरी भी ठीक रही। पदम और शकंर तथा जेलर की भूमिकायें निभाने वाले कलाकारों का अभिनय औसत रहा।

सच्ची कहानियों पर बनी फिल्में देखने वाले दर्शकों के लिये कठोर सही फिल्म है।

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