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मूवी रिव्यू: सुंदर पहाड़ों के बीच आई तबाही का भयानक मंजर 'केदारनाथ'

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By Shyam Sharma
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मूवी रिव्यू: सुंदर पहाड़ों के बीच आई तबाही का भयानक मंजर 'केदारनाथ'

रेटिंग***

अभिषेक कपूर की फिल्म ‘केदार नाथ’ अति साधारण  प्रेम कहानी  हैं जिसे हम कितनी ही बार देख चुके हैं। इस फिल्म का आकर्षण हैं सैफ अली खान और अमृता सिहं की बेटी सारा अली खान। जिसने इस फिल्म से अपना डेब्यू किया है।

मंसूर खान यानि सुशांत सिंह राजपूत एक ऐसा विटठू है जो केदारनाथ मंदिर के दर्शन करने आये यात्रियों को अपने घोड़े पर लाता और छोड़ता है। मंदिर के पुजारी यानि नितिश भारद्वाज की बेटी सारा अली खान यानि मुक्कू की बेशक मंगनी हो चुकी है, बावजूद इसके वो मंसूर खान से प्यार करने लगती है। एक मुस्लिम लड़के और यानि एक पंडित की बेटी के बीच क्या प्यार पनप पाता हैं ? ये सब फिल्म फिल्म देखने के बाद पता चलेगा।

फिल्म 'केदारनाथ' के चारों तरफ फैले बर्फीले पहाड़ों के बीच शूट हुई ऐसी फिल्म है, जो केदारनाथ के सिनेमा में बैठे दर्शकों को भोले भंडारी के दर्शन करवाती है। वहां हिन्दू और मुस्लिम को आपसी प्रेम देखते बनाता है। दरअसल यहां हिन्दुओं को सम्मान की दृष्टी से देखा जाता  है। वहां बसे मुस्लिम जिन्हें पिटठू कहा जाता है वो अपने खच्चरों पर दर्शानाथिर्यों को केदारनाथ तक आते ले जाते हैं। फिल्म केदारनाथ के आस पास बने लॉज और होटल्स पर भी उंगली उठाती है। जो पर्यावरण को नुकसान पहंचाते हैं और बाद में वहां आयी तबाही का कारण भी बने। इस बात को बेशक डायरेक्टर हल्का सा छूकर निकल जाते हैं। फिल्म का फोकस हांलाकि मंसर और मुक्कू के बीच की प्रेम कहानी पर ही होता है। परन्तु केदराननाथ जैसी धार्मिक जगह पर हिन्दू लड़की और मुस्लिम लड़के के बीच बनी प्रेमकहानी एक हद तक नकली लगती है क्योंकि ऐसी पवित्र जगह पर ऐसा कोई सोच तक नहीं सकता लेकिन निर्देशक और राइटर कनिका ढिल्लन ने ऐसी जगह सेक्यूलर माहौल बनाने की कोशिश की जो बुरी तरह अखरती है। तुषार कान्ती की ड्रोन एस्सिटेड फोटाग्राफी कमाल की है। 2013 में उत्तराखंड के केदारनाथ में आई बाढ रूपी तबाही सीजीआई इफेक्ट्स और लाइव एक्शन के तहत काफी भयानक लगती है। फिल्म मे कुछ खामियां भी हैं, जैसे अमित त्रिवेदी के संगीत में ऐसा कुछ भी नहीं हैं जिसे याद रखा जाये।

अभिनय के बात की जाये तो साराअली खान अपनी पहली फिल्म में ही पूरे नबंरों से पास है। उसने एक बिंदास लडकी भूमिका को पूरे आत्मविश्वास से निभाया है। सुशांत सिंह राजपूत अपने रोल में ठीक ठाक लगे हैं। बाकी नितिश भारद्वाज सारा के पुजारी पिता की भूमिका में अच्छा काम कर गये। अल्का अमीन सुशांत की मदर के भूमिका में अच्छा काम कर गई। इनके अलरवा सोनाली सचदेव,पूजा गौर तथा निशांत दहिया आदि सहयोगी कलाकरों ने मुख्य कलाकारों को अच्छा साथ दिया।

सब कुछ मिलाकर फिल्म को लेकर सकता है सुंदर लोकेशन युक्त इस फिल्म को एक बार देखा जात सकता है।

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