फिल्म के नाम पर मजाक है 'मैडल' By Shyam Sharma 17 Jan 2018 | एडिट 17 Jan 2018 23:00 IST in रिव्यूज New Update Follow Us शेयर फिल्म किसी का पैशन हो सकता है लेकिन उस पेशन का कोई बेवजह इस्तेमाल करे तो फिल्म और प्रोड्यूसर का कैसा सत्यानास हो सकता है, ये देखना है तो प्रोड्यूसर डायरेक्टर गणेश मेहता की फिल्म ‘मैडल’ देखना न भूले। फिल्म की कहानी मुजाहिद खान यानि जीत सिंह उर्फ जीतू एक बॉक्सर है। डिस्ट्रिक लेबल पर जीतने के बाद वो नैशनल बॉक्सिंग चैंपियन बनने के लिये अपने दोस्त के साथ इलाहबाद आ जाता है। यहां उसकी मुलाकात इन्द्रिशा बसू यानि कल्पना से होती है जिसे देखते ही जीतू उसे चाहने लगता है। दोनों के बीच प्यार होता है फिर शादी। इस बीच जीतू के दो बच्चे भी हो जाते हैं। जीतू की बेरोजगारी के चलते उसके परिवार की भूखों मरने की नोबत आ जाती हैं लेकिन जीतू इन सब से बेपरवाह वर्ल्ड चैंपियन बनने की तैयारी कर रहा है। सात साल इंतजार करने पर वर्ल्ड चैंपियनशिप टूर्नामेंन्ट में उसका नंबर आता है और इस बार भी उसे जीत हासिल होती है। लेकिन इस जीत पर भी उसे मिला मैडल उस वक्त बेहैसियत बन जाता है जब उसकी बीवी उसे ये कहते हुये कि मेडल से पेट नहीं भरता छोड़ जाती है। बाद में उसकी बेटी की तबियत खराब हो जाती है जिसके ऑपरेशन के लिये दस लाख रूपये चाहिये। यहां जीतू के दोस्त उसे बताते है कि उसकी बेटी बहुत बीमार है उसके लिये मोटी रकम का इंतजाम करना है। उसके लिये उन्होंने एक बैटिंग की है उसमें अगर जीतू हार जाता हैं तो उसे दो करोड़ मिलेगें, हारने पर उसे दस लाख देने पडेगें। इस बीच जीतू को भी एहसास हो जाता है कि मैडल की हवस में वो अपना परिवार तो गंवा चुका है अब उसे अपनी बच्ची को भी खोना हो सकता है। लिहाजा वो इस बार हार जाता है। इस तरह उसे उसका परिवार वापस मिल जाता है। गणेश मेहता ने एक ऐसा विषय चुना जिसके लिये एक बड़ा बजट चाहिये लेकिन उसने बेहद कम बजट के तहत विषय ही नहीं बल्कि कास्टिंग के नाम पर भी नोसिखये एक्टर ले लिये, जैसे बॉक्सर के किरदार में मुजाहिद खान, जो न तो कहीं से भी बॉक्सर लगता है न ही एक्टर । यहीं नहीं फिल्म में न तो पटकथा थी, न सवांद। इलाहाबाद के बाहरी भाग में लगभग पूरी फिल्म शूट की गई है। पैशन के नाम पर इस तरह की फिल्म बना कर गणेश मेहता जैसे मेकर न तो दर्शकों का मनोरंजन कर पाते हैं और न ही अपना। सुना है सुना है उसने अपना घर बेच ये फिल्म बनाई है। घटिया अदाकार आर्टिस्टों की बात की जाये तो मुजाहिद खान हो या इन्द्रिशा बसू हो या फिर तनुश्री बसक, अजय शर्मा हो, सभी बेहद घटिया अदाकार साबित होते है। फिल्म के बारे में यही कहा जा सकता है देखना तो दूर दर्शक इस फिल्म की तरफ देखना तक पसंद नही करेगें। हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article