रेटिंग****
हर बडे़ स्टार ने अपनी फिल्मों की रिलीज के लिये साल के कुछ बड़े फेस्टिवल्स सुरक्षित रखे हुये हैं जैसे होली दीवाली या ईद आदि । अक्षय कुमार ज्यादातर देश प्रेम से ओत प्रोत फिल्में बनाते हैं, इसलिये उन्होंने अपनी इन फिल्मों की रिलीज के लिये पंद्रह अगस्त जैसा राष्ट्रीय त्यौहार चुना । इस बार भी उन्होंने निर्देशक जगन शक्ति द्धारा निर्देशित फिल्म ‘ मिशन मंगल’ इसी दिन रिलीज की । दो हजार चौदह में मंगलयान भेज मंगल ग्रह की कक्षा में सैटेलाइट लांच किया था । उसी गर्व भरी गाथा को फिल्म का रूप दिया गया ।
कहानी
फिल्म की कहानी उस मंगलयान पर आधारित है जिसमें चौदह सितंबर दो हजार दस में इसरो (इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाइजेशन)की कुछ महिला वैज्ञानिकों द्धारा मंगल ग्रह की कक्षा में सैटेलाइट लांच किया था । इसी के साथ इंडिया, विश्व का पहला ऐसा देश बन गया जो बेहद कम बजट में और पहले ही प्रयास में अपने मिशन में सफल रहा । कहानी दो हजार दस से उस वक्त शुरू होती है, जब इसरो का जाना माना वैज्ञानिक और मिशन का डायरेक्टर राकेश धवन ( अक्षय कुमार) इसरो की वैज्ञानिक तथा प्रोजेक्ट डायरेक्टर तारा शिंदे (विद्या बालन) के साथ मिलकर एक जीएस एलवी सी 39 नामक एक राकेट लांच करता है लेकिन वो मिषन असफल हो जाता है । पनिषमेंट के तौर पर राकेष को काफी दिनों से लंबित मार्स वाले विभाग में भेज दिया जाता है । इसके बाद तारा नौकरी तक छौड़ देना चाहती है, लेकिन एक दिन उसे अपने ही घर से मंगल के मिशन का आइडिया सूझता है । इसके बाद वो राकेश से डिसकस करती है । इसके बाद दोनों मिलकर इसरो के डायरेक्टर विक्रम गोखले से मिटिंग करते हैं ।, मगर उनके सामने बजट का प्रॅाब्लम और नासा से बुलाया गया एक अफिसर दिलीप ताहिल जो उनके काम में टांग अड़ाता रहता है । बाद में राकेश की जिद की वजह से उसे कुछ नौसिखिये साइंटिस्ट दे दिये जाते हैं जैसे ऐका गांधी ( सोनाक्षी सिन्हा),कृतिका अग्रवाल ( तापसी पन्नू), वर्षा पिल्ले ( नित्या मेनन),परमेश्वर नायडू ( शरमन जोशी) तथा एचजी दत्तात्रेय (अनंत अय्यर) । दरअसल ये नो से पांच की नोकरी करने वाले लोग हैं दूसरे इन्हें इस प्रोजेक्ट पर जरा भी विश्वास नहीं कि वो पूरा हो पायेगा । बाद में तारा उन सभी के भीतर मिशन को लेकर दिलचस्ती जगाती है। इसके बाद वे रातदिन अपने मिशन में लग जाते हैं और मिशन को पूरा करने के बाद ही दम लेते हैं ।
अवलोकन
हालांकि निर्देशक जगन की ये पहली फिल्म है, बावजूद इसके वे एक ऐसी सांइस्टिक और जटिल लेकिन सच्चे और एतिहासिक विषय पर प्रभावशाली फिल्म बनाने में पूरी तरह कामयाब रहे हैं । बेशक उन्होंने आम ऑडियेंस को टारगेट करते हुये आसान भाषा में ऐसी फिल्म बनाई है । निर्देशक, होमसांइस से प्रेरित होने के अलावा दूसरे तरीके से मंगल मिशन के बारे में दर्शक को एक हद तक समझाने में कामयाब रहे । जिसका आम दर्शक आनंद उठाता है ,हालांकि स्पेशल इफेक्ट्स काफी कमजोर रहे अगर उन पर थोड़ा गौर किया जाता तो स्पेस के सभी सीन और दमदार बन जाते । फिर भी बढ़िया ढंग से कही गई कहानी, दमदार संवाद जिनकी बदौलत अक्षय और शरमन जोशी ऑडियेंस को हंसाते हुये उनका मनोरजंन करने में कामयाब रहे । इसके अलावा बेहतरीन बैकग्राउंड म्युजिकस्कार तथा दर्शक को पूरी तरह जकड़कर रखने वाला क्लाइ्रमेंक्स फिल्म की हाइलाईट है । अमित त्रिवेदी की कंपोजिंग में मिशन मंगलम गीत औसत दर्जे का रहा ।
अभिनय
हर बार की तरह इस बार भी अक्षय ने अपनी भूमिका को मजे ले लेकर जीया है, उनका मिशन में असफल होने के बाद गाना गाते हुये लड्डू खाना तथा अपने संवादों के तहत वे दर्षक को गुदगुदाने में सफल साबित हुये । इसके बाद विद्या बालन की जटिल भूमिका जिसे उन्होंने पूरी शिद्धत से अंजाम दिया, जिस प्रकार वे अपने घर और आफिस के बीच तालमेल बनाकर रखती हैं जिसके तहत वे दर्शक का पूरी तरह से मुग्ध कर देती हैं । हम कह सकते हैं कि हर बार उनकी बेहतरीन अदायगी ही उन्हें एक बेहतरीन अभिनेत्री साबित करती है । सोनाक्षी सिन्हा, तापसी पन्नू, नित्या मेनन तथा कीर्ती कुल्हारी सहगल आदि सारी तारिकाओं ने पूरी तरह सहज हो अपनी अपनी भूमिकायें निभाईं । शरमन जोशी की मंगल ग्रह के चक्कर पड़े हुये ऐसे शख्स की भूमिका है जिस पर मंगल का प्रकोप है लिहाजा वो शादी न होने की वजह से परेशान है । भूमिका के तहत शरमन ऑडियेंस को हंसाने में कामयाब हैं । इनके अलावा छोटी छोटी भूमिकाओं के जरिये अनंत अय्यर, जीशान अयूब, पूरब कोहली तथा संजय कपूर आदि कलाकारों का काम भी सराहनीय रहा ।
क्यों देखें
इस प्रकार की फीलगुड फिल्मों को देखने के बाद दर्शक अपने आप में गर्व महसूस करता है लिहाजा ये फिल्म तो मिस की ही नहीं जानी चाहिये ।