Advertisment

मूवी रिव्यू:  हल्की फुल्की कॉमेडी 'बागपत का दूल्हा'

author-image
By Mayapuri Desk
मूवी रिव्यू:  हल्की फुल्की कॉमेडी 'बागपत का दूल्हा'
New Update

रेटिंग***

केबल आज हर इंसान को एक महत्वपूर्ण अंग बन चुका है लिहाजा हर किसी घर में रोटी न हो, लेकिन वहां टीवी में केबल जरूर होगा। अब जब इतनी महत्वपूर्ण चीज है तो उसके लिये कंपीटशन भी जरूर होगा। करण कश्यप द्धारा निर्देशित फिल्म ‘बागपत का दूल्हा’ इसी केबल युद्ध पर आधारित है।

कहानी

यूपी के बागपत क्षेत्र में दो दोस्त मिश्रा जी रवि झांकल और शुक्ला जी ललित परीमू हैं जो एक दूसरे पर जान छिड़कते हैं लेकिन जबसे दोनों ने केबल व्यवसाय किया, तभी से वे एक दूसरे के कुटट्र दुश्मन बन गये। ये दुश्मनी उनसे निकलकर उनकी औलादों तक जा पहुंची लिहाजा आज शुक्ला जी का बेटा शिवा शुक्ला यानि जय सिंह और मिश्रा जी की बेटी अंजली मिश्रा यानि रूचि सिंह एक दूसरे को एक आंख नहीं भाते। आये दिन इन दोनों के बीच लड़ाई झगड़े से उस क्षेत्र के विधायक विनय चौधरी यानि रजा मुराद बहुत दुखी हैं क्योंकि उनके इस रोज रोज के लड़ाई झगड़े से उनकी कुर्सी जा सकती है। एक दिन उन्हें इस झगड़े को खत्म करने का उपाय सूझता है कि क्यों ने अंजली और शिवा की शादी करवा दी जाये। बस विधायक साहब मिश्रा और शुक्ला तक अपना पैगाम पहुंचा देते हैं। दोनों दुश्मन शादी का तो सोच तक नहीं सकते, लिहाजा वे दोनों मिलकर कुछ उपाय खोजते हैं । ये बात जब विधायक के कमअक्ल भतीजे पुनीत वशिष्ठ तक पहुंचती है तो वो अपने विधायक चाचा को अंजली से शादी करने के लिये उन्हें मना लेता है। लेकिन अंजली उस कम अक्ल भतीजे से तो कतई शादी नहीं करना चाहती। एक दिन शिवा और अंजली दोनों को एहसास होता है कि पता नहीं कब दोनां एक दूसरे को प्यार करने लगे हैं । लास्ट में जब विधायक को उन दोनों के प्यार के बारे में पता चलता है तो वे भतीजे को पीछे कर दोनों की शादी करवा देते हैं। इस प्रकार बागपत में केबल वार समाप्त होता है ।

अवलोकन

कहानी का आइडिया अच्छा है लेकिन पता नहीं निर्देशक ने बैकड्राप बागपत क्यों चुना। क्योंकि किरदार जो भाशा यूज करते हैं वो बागपत की नहीं बल्कि कानपुर या लखनऊ है। दूसरे मिश्रा और शुक्ला भी इन्हीं शहरों में पाये जाते हैं। बावजूद इसके दर्शक फिल्म में किरदारों द्धारा की जाती कॉमेडी का भरपूर आंनद लेते हैं यानि फिल्म के कॅरेक्टर्स शुरू से अंत तक गुदगुदाते रहते हैं। संगीत और अच्छा हो सकता था ।

अभिनय

फिल्म के हीरो जय सिंह अपने रोल में एक हद तक इसलिये भी फिट हैं क्योंकि वे हीरो कम पहलवान ज्यादा लगते हैं। रूचि सिंह भी ठीक ठाक काम कर गई।  ललित परीमू, रवि झांकल जैसे थियेटर कलाकार और रजामुराद अपने अभिनय से फिल्म का कद और ऊंचा करते हैं। बाकी सहयोगी कलाकार भी उल्लेखनीय काम कर गये ।

क्यों देखें

हल्की फुल्की कॉमेडी के दर्शकों के लिये।

मूवी रिव्यू:  हल्की फुल्की कॉमेडी  मायापुरी की लेटेस्ट ख़बरों को इंग्लिश में पढ़ने के लिए www.bollyy.com पर क्लिक करें.
मूवी रिव्यू:  हल्की फुल्की कॉमेडी  अगर आप विडियो देखना ज्यादा पसंद करते हैं तो आप हमारे यूट्यूब चैनल Mayapuri Cut पर जा सकते हैं.
मूवी रिव्यू:  हल्की फुल्की कॉमेडी  आप हमसे जुड़ने के लिए हमारे पेज  width='500' height='283' style='border:none;overflow:hidden' scrolling='no' frameborder='0' allowfullscreen='true' allow='autoplay; clipboard-write; encrypted-media; picture-in-picture; web-share' allowFullScreen='true'>

'>Facebook, Twitter और Instagram पर जा सकते हैं.embed/captioned' allowtransparency='true' allowfullscreen='true' frameborder='0' height='879' width='400' data-instgrm-payload-id='instagram-media-payload-3' scrolling='no'>

#movie review #Bagpat Ka dulha
Here are a few more articles:
Read the Next Article
Subscribe