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मूवी रिव्यू: कमजोर साबित हुये ये कहलाने में कि 'भैयाजी सुपरहिट'

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By Shyam Sharma
मूवी रिव्यू: कमजोर साबित हुये ये कहलाने में कि 'भैयाजी सुपरहिट'
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रेटिंग**

लेखक निर्देशक नीरज पाठक की फिल्म ‘ भैया जी सुपरहिट’  दो हजार तेरह में शुरू हुई थी। उसके बाद फिल्म रूक रूक कर बनती रही और करीब पांच साल बाद जाकर कहीं सिनेमाघरों का मुंहू देख पाने सफल हो पाई। इस फिल्म से प्रिति जिन्टा की वापसी हुई है।

कहानी की बात की जाये तो थ्रीडी उर्फ दूबे जी (सनी देओल) बनारस के एक दंबग डॉन हैं जिनका मुख्य धंधा हैं अपहरण और फिरौती। उनके घर में उतनी दबंग उनकी पत्नि सपना दूबे (प्रिति जिन्टा) भी है, जो एक बार भैयाजी को किसी विदेशी औरत के साथ देखने के बाद जो हंगामा खड़ा करती है कि भैयाजी जैसा दबंग भी उससे पार नहीं पाता। कहानी यही खत्म नहीं होती, सपना घर छोड़ कर चली जाती है। इस बीच भैयाजी ने मुबंई के हिट डायरेक्टर अरशद वारसी का अपहरण कर उससे ग्यारह करोड़ की फिरौती वसूल की, लेकिन जैसे ही अरशद को भैया जी और उनकी पत्नि के लफड़े का पता चलता है तो उसके खुरापाती दिमाग में अपना पैसा सूद समेत वापस लेने की स्कीम आती है। वो भैया जी को बताता है। आप अपनी बीवी से बहुत प्यार करते हैं और उसे वापस अपने घर देखना चाहते हैं तो अपनी कहानी पर एक फिल्म शुरू करें। उस फिल्म में आपका प्यार देख सपना दूबे वापस दौड़ी चली आयेगी। फिल्म का बजट बताया जाता है साठ करोड़। कहानी के लिये एक स्ट्रगलर बंगाली राइटर श्रेयश तलपड़े को साइन किया जाता है, फिल्म का हीरो होता है, भैयाजी का डुप्लीकेट और हीरोइन अमीषा पटेल। इसके बाद क्या कुछ होता है, उसके लिये एक बार फिल्म देखनी पड़ेगी।

फिल्म को कंपलीट होने में पांच साल लग गये लिहाजा उसमें आये जर्क साफ दिखाई देते हैं। वैसे भी पिछले पांच सालों के दौरान हमारी फिल्में काफी बदल गई हैं, ऐसे में फिल्म नब्बे के दशक की लगती है। इसके अलावा फिल्म की पटकथा और संगीत काफी कमजोर है। हां कुछ वन लाइनर जरूर दर्शकों को हंसा पाने में सफल रहे हैं।

सनी देओल कॉमेडी करते हुये बहुत परेशान लगते हैं,  ऐसा लगता है जैसे कॉमेडी उनसे उन्हें बंदूक दिखा कर करवाई जा रही हो। वैसे भी वे अपनी भूमिका को लेकर शुरू से आखिर तक कन्फयूज नजर आते हैं। वक्त के साथ प्रिति जिन्टा की बेशक थोड़ी आब उतर चुकी है लेकिन उसका अभिनय आज भी जवान है। उसने अपनी भूमिका को पूरी मस्ती के साथ निभाया है। श्रेयश तलपड़े बंगाली राइटर के तौर पर औसत रहे वहीं अरशद वारसी कॉमेडी में पूरी तरह बाजी मार ले जाते हैं उनके वन लाइन दर्शकों का खूब हंसाती हैं। संजय मिश्रा भी अपने अंदाज में हंसाते नजर आते हैं। जयदीप अहलावत, पंकज त्रिपाठी,  मुकुल देव,  ब्रिजेन्द्र काला आदि सहयोगी कलाकारों का काम ठीक रहा लेकिन एक अरसे बाद दिखाई दी अमीषा पटेल आज भी काफी ग्लैमरस और सेक्सी दिखाई देती है।

सब कुछ मिलाकर भैयाजी एक साधारण फिल्म साबित होती है क्योंकि भैयाजी हर तरह से कमजोर साबित हुये हैं, लेकिन ठग ऑफ हिन्दुस्तान के पिटने का फिल्म को एक हद तक फायदा मिल सकता है।

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