रेटिंग*
लोकप्रिय हरियाणवी डांसर तथा बिग बॉस कंटेसटेंट सपना चौधरी को लेकर निर्देशक हादी अली अबरार फिल्म ‘ दोस्ती के साइट इफेक्ट्स’ जैसी लचर बचकानी फिल्म बनाकर उसकी लोकप्रियता को भुनाने की असफल कोशिश करते नजर आते हैं।
कहानी
फिल्म में सृष्टि यानि सपना चौधरी,रणवीर यानि विक्रांत आनंद, गौरव यानि जुबेर खान तथा अवनी यानि अंजू जाधव चार बचपन के दोस्त जो वर्शों बाद कॉलेज में जाकर मिलते हैं । इस बीच सब अपने अतीत को एक दूसरे से बाटंते हैं। जिसमें सृष्टि जिसके ईमानदार पिता को झूठे पेपर लीक केस में फंसाकर आत्महत्या करने पर मजबूर कर दिया गया था। रणवीर के एम एल ए पिता की उसकी मां के साथ बेवफाई जिसमें उसके पिता ने दूसरी पत्नि और सोतेले बेटे के लिये उन्हें छौड़ दिया था लिहाजा अब रणवीर अपने पिता से बदला लेना चाहता है। गौरव कुछ बनना चाहता है तो अवनी किसी धन कुबेर से षादी कर ऐश करना चाहती है। कॉलेज में अध्यक्ष पद के लिये रणवीर और गौरव के बीच तनाव पैदा हो जाता है जो एक हद तक दुश्मनी में बदल जाता है। इसके बाद कुछ न समझने वाले ऐसे ऐसे वाकये पेश आते हैं कि दर्शकों की समझदानी बंद होकर रह जाती है।
डायरेक्शन
दरअसल निर्देशक का एक ही ध्येय रहा कि कैसे भी सपना चौधरी की लोकप्रियता को भुनाया जाये। लिहाजा उसने एक उबड़ खाबड़ कहानी घढ़ी और उसे उसी तरीके से दिखाया भी। कहानी के मुख्य पात्र गिरगिट की तरह बदलते रहते हैं कभी तोला तो कभी माशा। सपना को हर तरह से भुनाने की कोशिश में उसे कभी कालेज गर्ल, कभी पुलिस ऑफिसर तो कभी देसी गर्ल बनाया लेकिन एक बार भी निर्देशक उसे सही तरह से दिखा पाता। इसके अलावा कथा, पटकथा, संवाद तथा म्युजिक सभी कुछ लचर।
अभिनय
सपना चौधरी अपने देसी अवतार में थोड़ा बहुत एंटरटेनमेंट करती है लेकिन कई अवतारों में वो पूरी तरह कन्फयूज नजर आने लगती है। इसी प्रकार विक्रांत आनंद, जुबेर खान और अंजू जाधव आदि कलाकार चाहकर भी कुछ नहीं कर पाते ।
क्यों देखें
सपना चौधरी के प्रशंसकों को फिल्म देखकर भारी निराशा होगी।