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मूवी रिव्यू: बेहतरीन साइक्लॉजिकल थ्रिलर- 'गेम ओवर'

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By Mayapuri Desk
मूवी रिव्यू: बेहतरीन साइक्लॉजिकल थ्रिलर- 'गेम ओवर'
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रेटिंग***

तमिल हॉरर फिल्मों के महारथी निर्देशक अश्विन सरवनन ने इस बार ‘ गेम ओवर’ जैसी साइकॉलजिकल थ्रिलर हॉरर फिल्म बनाई है। इस फिल्म से वे दर्शक को डराने में पूरी तह कामयाब रहे हैं।

कहानी

सपना यानि तापसी पन्नू वीडियो गेम्स की बेहद शौकीन है,  लेकिन वो अंधेरे से डर और अतीत में अपने साथ होने वाले हादसे को लेकर त्रस्त है, लिहाजा उस पर विजय पाने के लिये  हर चंद कोशिश करती रहती है। बावजूद इसके हादसे की तारीख नजदीक आने पर वो बेहद डरी रहती है, इसे लेकर उसे पेनिक अटैक आने शुरू हो जाते हैं। दरअसल जिस दिन पहली बार सपना के साथ वो हादसा पेश आया था, उस दिन वो टैटू बनवा कर घर लौटी थी। बाद में उसे पता चलता है कि जो टैटू उसने बनवाया हैं वह आम टैटू नहीं बल्कि मैमोरियल टैटू है क्योंकि उस टैटू की स्याही में मरे हुये लोगों की चिता की राख मिली होती है। दरअसल वैसे टैटू, लोग अपने सगे मरे हुये लोगों को साथ रखने के लिये बनवाते हैं। सपना उस वक्त सदमे में आ जाती है, जब उसे पता चलता है कि आर्टिस्ट की गलती से उसके टैटू में बर्बरता से मार दी गई एक कामकाजी लड़की की राख मिली हुई थी। दूसरी तरफ सपना अपने और दूसरों के उलाहनों और तानो से परेशान हो आत्महत्या करने की कोशिश करती है, जिसमें वो अपाहिज तक हो जाती है। आखिर में एक बार फिर उसके साथ हुये हादसे उसे खत्म करने पर अमादा हैं। क्या आगे सपना उन सब दुश्वारियों पर विजय प्राप्त कर पाती है ?

विश्लेषण

फिल्म शुरू होती है एक ऐसे हॉरर सीन से जिसमें एक कामकाजी लड़की का बर्बरता से कत्ल करने के बाद उसका सिर धड़ से अलग कर फुटबाल की तरह उड़ाया जाता है और उसके धड़ को आग में झौंक दिया जाता है। लिहाजा इस पहले सीन के साथ ही अंदाजा हो जाता है कि फिल्म किस मिजाज की है इसलिये दर्शक संभल कर बैठ जाता है। फिल्म की कथा, पटकथा आम फिल्मों से अलग है। फिल्म को खास बनाते हैं बैकग्राउंड म्यूजिक और फोटोग्राफी। इसके अलावा फिल्म में सुपर नैचुरल लेयर के साथ गेम का भी काफी दिलचस्प एंगल है जिसे निर्देशक ने लाइफ लाइनों के साथ बहुत ही रोमांचक अंदाज में जोड़ा है, बावजूद इसके क्लाईमेक्स थोड़ा और बेहतर बनाया जा सकता था।

अभिनय

फिल्म के मुख्य किरदार में तापसी पन्नू ने बेहतरीन अदाकारी का मुजायरा पेश किया है। तापसी इस प्रकार की भूमिकाओं में महारत हासिल कर चुकी है। यहां भी उसके चेहरे पर भय, खौफ और डिप्रेशन के भाव प्रभावशाली ढंग से आते हैं। विनोदनी कलाअम्मा ने तापसी की मेड के रोल में अच्छा काम किया है। बाकी सहयोगी कलाकार भी उल्लेखनीय रहे।

क्यों देखें

साइक्लॉजिकल, थ्रिलर फिल्मों के शौकीन दर्शकों को फिल्म निराश नहीं करेगी।

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