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मूवी रिव्यू: उल्टा सीधा हास्य 'होटल मिलन'

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By Shyam Sharma
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मूवी रिव्यू: उल्टा सीधा हास्य 'होटल मिलन'

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लेखक निर्देशक विशाल मिश्रा की फिल्म ‘होटल मिलन’ एक ऐसे उल्टे सीधे हास्य पर आधारित है, जिसे देखते हुये कुछ सोचने समझने की जरूरत नहीं।

कुणाल राय कपूर एक ऐसे पंडित का बेरोजगार बेटा है जिसे बाप अपने जैसा पंडित बनाना चाहता है लेकिन कुणाल को पंडताई में जरा भी दिलचस्पी नहीं। बस वो तो कानपुर में मटरगश्ती करता फिरता है। उसकी एक गर्लफ्रेंड हैं करिश्मा शर्मा जो उसकी बेरोजगारी से खफा हो एक दिन उसे छोड़ देती है। कुणाल अपने दोस्त जीशान कादरी के साथ मिलकर कोई धंधा करना चाहता है। उन दिनों कानपुर में एंटी रोमियो स्क्वाड के नाम पर एक लोकल नेता जयदीप अहलावत अपने गुंडो के तहत बाग बगीचों और गलियों में लड़के लड़कियों को पकड़ कर उनकी पिटाई करवाता रहता है। ये सब देख कुणाल के दिमाग में एक आइडिया आता है वो जकिर हुसैन की पुरानी लॉज को जाकिर के साथ पार्टनरशिप में उसे होटल बनाता हैं और उसका नाम रखता है होटल मिलन। उस होटल की खासियत ये है कि वहां घंटो के हसिब से रूम मिलते हैं। लिहाजा वह युवा प्रेमियों के प्यार करने के लिये बिलकुल सुरक्षित जगह साबित हाती है। लिहाजा देखते देखते होटल मिलन पूरे कानपूर में इतना मशहूर हो जाता है कि वो जयदीप की आंखें में खटकने लगता है। लिहाजा वो वैलनटाइन डे पर प्लान बनाकर अपने गुंडो को होटल ले जाकर वहां जमा लड़के लड़कियों की जमकर पिटाई करवाता है और होटल में भी तौड़ फौड़ करवाता है। उसके साथ वहां का एसपी भी मिला हुआ है। ये सब देख कुणाल एसपी और जयदेव पर केस दायर कर देता है। बाद में जीत उसी की होती है लेकिन अब वो होटल का धंधा नहीं बल्कि जयदीप के साथ राजनीति शुरू कर देता है।

निर्देशक ने एक बढिया कहानी कमजोर निर्देशन की भेंट चढ़ा दी वरना अगर  पटकथा और निर्देशन पर ध्यान दिया जाता तो एक बेहतरीन कॉमेडी निकल कर बाहर आती। पूरी फिल्म में किरदार बिखरे बिखरे नजर आते हैं। दूसरे भाग में राजेश शर्मा थोड़ी बहुत फिल्म संभालते हैं। क्न्फयूज और बीमार वकील की भूमिका में राजेश आखिर तक दर्शक को बांधे रखते हैं। फिल्म का गीत संगीत भी बस काम चलाऊ रहा। कानपुर की लोकेशन अच्छी लगती है।

कुणाल कपूर पूरी तरह से फिल्म में मिस कास्टिंग साबित हुये हैं। यहां तक उनकी डबिंग तक किसी और ने की जो बहुद बेहूदी थी। जीशान कादरी हरफन मौला शख्स के तौर जमे हैं। करिश्मा शर्मा के पास खूबसूरत लगने के अलावा और कोई काम नहीं था। जाकिर हुसैन ठीक ठाक काम कर गये। फिल्म का हाई लाइट किरदार राजेश शर्मा ही रहे।

सब कुछ मिला कर फिल्म के बारे में यही कहा जा सकता है कि इस उल्टी सीधी कॉमेडी फिल्म को शायद ही कोई देखना पंसद करें।

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