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मूवी रिव्यू: सच्ची घटना से प्रेरित 'इंडियाज मोस्ट वॉन्टेड'

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By Shyam Sharma
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मूवी रिव्यू: सच्ची घटना से प्रेरित 'इंडियाज मोस्ट वॉन्टेड'

रेटिंग**

निर्देशक राज कुमार गुप्ता अपनी मेकिंग और फिल्मों के लिये अलग से जाने जाते हैं। इस बार उन्होंने एक सच्ची घटना को अपनी फिल्म ‘ इंडियाज मोसट वान्टेड’ का विशय बनाया है। कहानी  एक मोस्ट वॅान्टेड आतंकवादी की है जिसे हमारे इंटैलीजेन्स ऑफिसर बिना किसी हथियार और बिना किसी विशेष सहूलियत के पकड़ते हैं।

कहानी

कहानी आंतकवादी यासीन भटकल की है, जिसे फिल्म में युसुफ नाम दिया गया है। युसूफ का इंडिया के अलग अलग शहरों में बम धमाके करने के लिये जाना जाता है। 2013 में इन्टैलीजेन्स विभाग के अफसर अर्जुन कपूर को यूसूफ के नेपाल में होने का पता चलता है तो वो अपने ऑफिसर राजेश शर्मा से उसे पकड़ने की इजाजात मांगता है। यहां राजेश का कहना है कि सारी इन्टैलीजेंस एंजेसीयों का कहना है कि बम धमाकों के सारे अपराधी या तो पाकिस्तान में हैं या दुबई बैठे हैं। इस पर अर्जुन अपनी टीम को बिना किसी सरकारी या विभागीय सहायता के ऑपरेशन के लिये निकल पडता है। इस मिशन में खर्च होने वाला पैसा भी वे खुद खर्च करते हैं। अंत में अर्जुन अपनी टीम के साथ युसूफ को पकड़ कर इंडिया लाने में कामयाब होकर दिखाता है।

डायरेक्शन

जैसा कि बताया गया है कि फिल्म 2013 में घटी एक सच्ची कहानी पर आधारित है, जिसे डायरेक्टर ने बिना किसी सिनेमाई तामझाम के रीयल तरीके से दिखाते हुये बताने की कोशिश की है कि हमारे जांवाज ऑफिसर कितनी पिशम परिस्थितियों में अपनी जान पर खेलकर काम करते हैं। कितने ही ऐसे ऑपरेशन होते हैं जिस पर दिल्ली में बैठै बॉस लोगों को यकीन नहीं होता लिहाजा वे उन्हें बिलकुल मदद नहीं करते, बावजूद इसके अपनी जान पर खेल कर ये जांबाज सिपाई अपने देश के लिये दुश्मनों से लडते है। इन्हीं के लिये फिल्म में एक संवाद है कि इन आंतवादियों से कहीं खतरनाक तो दिल्ली में बैठै वे लोग हैं जो ऐजेंसीयों द्धारा कही बातों पर यकीन कर कितने ही देश भक्त ऑफिसर्स को मौत की तरफ धकेल देते हैं। फिल्म की लोकल और नेपाल की लोकेषसं काफी विश्वसनीय हैं। डायरेक्टर ने संगीत का मौंह छोड़ कहानी पर ध्यान दिया लिहाजा फिल्म कहीं से भी लूज नहीं होती।

अभिनय

बेशक अर्जुन कपूर ने अपनी तरफ से भूमिका को साकार करने के लिये कोई कसर उठाकर नहीं रखी लेकिन अफसोस वे अपनी भूमिका में पूरी तरह से मिस कास्ट लगे हैं क्योंकि एक बार भी वे कहीं से भी इंटेलीजेंस ऑफिसर नहीं लगते। उनके अलावा सहयोगी कलाकारों में गौरव मिश्रा, राजेश शर्मा, प्रशांत अलेक्जेंडर तथा अमृता पुरी आदि कलाकारों ने अच्छा काम किया है ।

क्यों देखें

सच्ची घटनाओं पर आधारित फिल्में देखने के शौकीन दर्शकों को फिल्म जरूर पंसद आने वाली है।

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