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मूवी रिव्यू: औसत दर्जे का हास्य 'जैक एंड दिल'

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By Shyam Sharma
मूवी रिव्यू: औसत दर्जे का हास्य 'जैक एंड दिल'
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रेटिंग**

एक फिल्म बनाने में कितने दिन कितने लोग और कितना पैसा लगता है, फिर भी लोग बाग न जाने क्यों ऐसी फिल्में बनाते रहते हैं जिनका कोई सिर पैर नहीं होता। निर्देशक सचिन पी कर्नाड की कॉमेडी फिल्म ‘जैक एंड दिल’  एक ऐसी ही फिल्म है जिस पर ये बातें फिट बैठती हैं।

जैक यानि अमित साद एक मस्तमौला लेकिन बेरोजगार शख्स है जिसे कोई भी नौकरी रास नहीं आती। उसे जासूसी उपन्यास पढ़ने और इसी तरह की फिल्में देखने का शौक है। लिहाजा वो जासूस बनना चाहता है। इन दिनों वो एक नॉवेल भी लिख रहा हैं जिसके लिये वो एक बिजनिसमेन वालिया यानि अरबाज खान के पास एक डॉगी खरीदने जाता है लेकिन उसके पास पैसे नहीं है। यहां अरबाज उससे एक सौदा करता है कि वो उसकी बीवी सोनल चौहान की जासूसी करे। बदले में वो उसे उसका मनपंसद डॉगी दे देगा। दरअसल अरबाज को अपनी बीवी के चरित्र पर शक है। जैक की एक गर्लफ्रेंड एवलिन शर्मा भी है जो उससे अक्सर नाराज रहती है। उधर सोनल की जासूसी करते-करते जैक को उससे प्यार हो जाता है। अब आगे जैक और वालिया इस दुश्वारी से कैसे निजात पाते हैं ये फिल्म देखने के बाद पता चलेगा।

निर्देशक ने एक बेहद लाचार स्क्रिप्ट पर फिल्म बनाने का जोखिम उठाया, लिहाजा फिल्म पहले और दूसरे भाग में दर्शक को अपने साथ नहीं जोड़ पाती। कथा और पटकथा दोनों ही बेहद साधारण हैं उसी प्रकार संवाद भी बेअसर साबित होते हैं। म्यूजिक के तहत चाय वाला गाना अच्छा है जो देखने कहीं ज्यादा सुनने में अच्छा लगता है।

अमित साद एक औसत दर्जे के अभिनेता हैं लेकिन यहां वे चाहकर भी कुछ नहीं कर पाते। अरबाज खान के खाते में एक और फिल्म जुढ़ गई जिसमें उसने एक बार एक जैसा अभिनय किया है। सोनल चौहान काफी दिन बाद पर्दे पर दिखाई दी लेकिन उसके करने के लिये कुछ नहीं था। इसी प्रकार एवलिन शर्मा भी साधारण रही।

सब कुछ मिलाकर फिल्म एक ऐसी कमजोर साबित होती है जिसे शायद ही दर्शक मिल पायें।

#Arbaaz Khan #movie review #Amit Sadh #Jack and Dil
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