मूवी रिव्यू: औजस्वी तथा प्रेरक कृति 'झलकी'

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By Mayapuri Desk
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मूवी रिव्यू: औजस्वी तथा प्रेरक कृति 'झलकी'

रेटिंग***

कैलाश सत्यार्थी एक ऐसा नाम जो अभी तक छियासी हजार बच्चों को नाबालिग बच्चों से काम करवाने वाले माफिया से छुड़ा कर उनके घर पहुचा चुके हैं। ढेरों पुरस्कार ओढ़े हुये इस महापुरूष से प्रेरित हो डायरेक्टर बृहमानंद एस सिंह ने ‘झलकी’ जैसी उत्कृश्ठ फिल्म बनाई जो बेसिकली एक ऐसी लड़की पर केंद्रित है जो अपने नाबालिग भाई को छुड़ाने के लिये तमाम जद्दोजहद करती है।

कहानी

बिहार के एक गांव में रहने वाले गरीब परिवार की लड़की झलकी यानि आरती झा जो अपने छोटे भाई यानि गोरकेश सकपाल से बेहद प्यार करती है। जिसे एक बच्चों का सप्लायर गोविंद नामदेव उसके मां बाप को पैसे दे शहर काम करने के लिये ले आया है, लेकिन झलकी भी उसके पीछे लगी हुई शहर आ गई और उसने अपने भाई को तलाश करने में रात दिन एक कर दिया। इस बीच वो सरकारी तंत्र (कलेक्टर संजय सूरी,एसडीएम जॉयसेनगुप्ता व कलेक्टर की पत्नि दिव्या दत्ता तथा प्रत्रकार तनिष्ठा चटर्जी आदि) प्रत्रकार आदि लोगों से दो चार होती है। इनके बीच एक गरीब रिक्शा चालक यानि बचन पचेरा भी है जो कई बार झलकी की मदद करता है। अंत में बोमन इरानी जैसे समाज सेवक यानि कैलाश सत्यार्थी की मदद से झलकी दुष्ट कारखाना मालिक अखिलेन्द्र मिश्रा के चुंगल से अपने भाई को छुड़ाने में कामयाब होती है।

अवलोकन

बकौल निर्देशक फिल्म की कहानी कितनी ही सच्ची कहानीयों से प्रेरित हो बुनी गई है, जिसे झलकी के माध्यम से असरदार ढंग से फिल्म में कहा गया है। फिल्म में जिस प्रकार गांव खेड़ों से गरीब परिवारों की मजबूरी के तहत उनके बच्चों को षहर लाकर कारखानों में झौक दिया जाता है और उनसे बारह चोदह घंटों तक लगातार काम करवाया जाता है और इस अमानीय कृत्य से पूरा सरकारी तंत्र वाकिफ होते हुये भी कुछ नहीं करता। ऐसे में एक शख्स जो सालों से इस भृष्ट तंत्र और माफिया से भिड़ा हुआ है, जिसे उसके कृत्य की एवज में न जाने कितनी बार शारीरिक चोट पहुचाई जाती रही लेकिन वो पीछे नही हटा। इस प्रकार वो षख्स अभी तक करीब पोना लाख बच्चों को जालिम कारखानादारों से आजाद करवा उनके घर पहुंचा चुका है। फिल्म की कथा पटकथा, भाषा, लोकेषन आदि सभी कुछ बेहतरीन हैं शायद इसीलिये फिल्म अभी तक देश विदेश के करीब तीन दर्जन पुरस्कार अर्जित कर चुकी है।

अभिनय

फिल्म के किरदारों में संजय सूरी,दिव्या दत्ता,जॉय सेनगुप्ता, गोविंद नामदेव, अखिलेन्द्र मिश्रा, बोमन इरानी तथा बचन पचेरा आदि सभी कालाकारों ने ईमानदार अभिव्यक्ति दी है। इनके अलावा भाई बहन के किरदार में गोरकेश सकपाल और आरती झा फिल्म के मुख्य आकर्षण रहे।

क्यों देखें

ओजस्वी व प्रेरक फिल्मों के प्रशंसकों को फिल्म निराश नहीं करेगी।

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