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मूवी रिव्यू: जोश, जुनून और जाबांजी से भरी है 'केसरी'

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By Shyam Sharma
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मूवी रिव्यू: जोश, जुनून और जाबांजी से भरी है 'केसरी'

रेटिंग 3 स्टार

कहानी

21 जाबांज सिख सिपाहियों की वीर गाथा केसरी जोश, जुनून और जाबांजी से भरी है। 1897 में यह लड़ाई लड़ी गई थी जिसमें दस हजार अपफगानियों की इन सिख जाबांजों ने धूल चटा दी थी। उन वक्त इन शूरवीरों का खौपफ ऐसा था कि इन सिपाहियों की दिलेरी देखकर इन दस हजार अपफगान सैनिकों को अपने पांव पीछे खींचने पड़े थे। बता दें कि 12 सितंबर 1897 को ऐतिहासिक सारागढ़ी की लड़ाई हुई थी। यहां एक आर्मी पोस्ट पर बिट्रिष सेना के तौर पर 21 सिख तैनात किए गए थे। इस दौरान दस हजार अफगानियों ने पोस्ट पर अचानक हमला कर दिया। ऐसे में सेना को हवलदार ईशर सिंह ने दिशा निर्देश देने और बाकी जवानों को कमांड देने की जिम्मेदारी ली थी।

संगीत

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इस फिल्म के तीन गीत शानदार हैं। सिख सिपाहियों के जज्बे और जुनून को दर्शाते ये गीत कानों में पड़ते ही तन-बदन में जोश पैदा करते हैं। एक गाना ऐसा भी है जिसके गीत सुनकर आपकी आंखों में आंसू आ जाएंगे। यह गीत है तेरी मिट्टी। बी प्राक द्वारा गाए इस गाने में एक दर्द महसूस किया जा सकता है। अरको ने इस गीत में अपना संगीत दिया है। गीत मनोज मुतासिर के हैं। दूसरा गीत पैपी स्टाइल में पेश किया गया है। रोमी और ब्रिजेश शांडिल्य इस गीत में अपनी आवाज़ दी है। संगीत तनिष्क बागची का है। गीतकार हैं कुमार। इसके अलावा एक तीसरा गीत अज सिंह गरेजगा है जिसे गाया है जेसीबी ने। म्यूजिक चिरंतन भट्ट का है और गीतकार हैं कुंवर जुनेजा।

निर्देशन

केसरी कई मौकों पर हंसाती है, रुलाती है और फक्र भी महसूस कराती है। केसरी कंप्लीट एंटरटेनर फिल्म है. ये फिल्म भारतीय खासतौर पर सिख होने पर गर्व कराती है। फर्स्ट हॉफ में मूवी धीमी गति से आगे बढ़ती है लेकिन इंटरवल के बाद मानो फिल्म में कोई जान फूंक दी गई हो। केसरी इतनी तेज गति से चलती है कि आपको पलकें झपकाने का भी मौका नहीं मिलेगा और देखते ही देखते आप फिल्म से पूरी तरह जुड़ जाते हैं। निर्देशक अनुराग सिंह ने युद्ध पर आधारित इस फिल्म में जिस तरह ह्यूमर का इस्तेमाल किया है तारीफे काबिल है। और सबसे बड़ी बात ब्रिटिश इंडिया की फौज होने के बावजूद जिस तरह अनुराग ने उसमें आज के परिपेक्ष में देश प्रेम को पिरोया है, वह वाकई सराहनीय है। डायरेक्टर अनुराग सिंह इस फिल्म से अपना डेब्यू कर रहे हैं। वो अपने काम के साथ ईमानदार हैं लेकिन फिल्म का लेेखन कुशलता के साथ नहीं किया गया है।

अभिनय

अक्षय कुमार फिल्म केसरी में पंजाबी दर्शकों के बीच अपनी पकड़ बनाए रखने में कामयाब हुए हैं। सचमुच अक्षय कुमार ने एक बार फिर अपनी एक्टिंग का लोहा मनवाया है। सिख सैनिक के रोल में उन्होंने शानदार काम किया है। चाहे वो कॉमिक सीन हो, इमोशनल हो या एक्शन, अक्षय हर फ्रेम में जमे हैं। क्लाइमेक्स के एक्शन सीन्स में अक्षय कुमार ने जिस तरह से सैकड़ों अफगानियों को पटखनी दी है, वो काबिल-ए तारीफ है। पगड़ी और लंबी दाढ़ी के चलते ईशर सिंह के किरदार में अक्षय का असर बचा रहता है। हालांकि उम्र उनके चेहरे पर दिखने लगी है। संवाद अदायगी प्रभावषाली है। किरदार कोई भी करें, अक्षय अब अक्षय के अलावा कुछ और नहीं लगते। कहना गलत न होगा कि अक्षय कुमार उन एक्टर्स में शुमार हैं जो हर रोल में फिट हो जाते हैं। परिणीति चोपड़ा कब आती है और कब चली जाती है, दर्षक समझ ही नहीं पाते। उनके कैरेक्टर को वेस्ट किया गया है।

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