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मूवी रिव्यू: दिल को छूती है 'मेरे प्यारे प्राइम मिनिस्टर'

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By Shyam Sharma
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मूवी रिव्यू: दिल को छूती है 'मेरे प्यारे प्राइम मिनिस्टर'

रेटिंग 3 स्टार

पिछले काफी समय से बॉलीवुड में सामाजिक मुद्दों पर बनी फिल्मों का जोर चल रहा है और ऐसी फिल्म को दर्शक पसंद भी कर रहे हैं। दंगल के बाद पैडमैन, पिंक, टॉयलेट एक प्रेमकथा आदि कई फिल्में हिट रही हैं। एक ऐसे ही मुद्दे पर बनी है फिल्म मेरे प्यारे प्राइम मिनिस्टर, जिसे राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने डायरेक्ट किया है। नाम से ऐसा लगता है कि यह फिल्म राजनीति से जुड़ी होगी लेकिन ऐसा नहीं है। फिल्म दिल को छू लेने के इरादे से बनाई गई है।

कहानी

फिल्म की कहानी घाटकोपर की एक झोपड़ी में रहने वाले मां-बेटे की है। यहां सरगन नाम की एक गरीब महिला अपने आठ साल के बेटे कान्हू के साथ रहती है। गरीबी के बावजूद मां-बेटे सुखी जीवन जी रहे हैं। पिफल्म में यह दिखाने का प्रयास किया गया है कि शौचालय न होने के कारण महिलाओं को कितनी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। शौच के लिए रात के अंधेरे का इंतजार करना पड़ता है। इसी बीच एक दिन शौच जाते समय सरगम का यौन दुष्कर्म हो जाता है। तब कहानी में नया मोड़ आता है। इस घटना के बाद कान्हू यह फैसला करता है कि वह मां के लिए शौचालय बनवाकर ही रहेगा। इसके लिए कान्हू भारत के प्रधानमंत्री तक पहुंच जाता है और लोकतंत्र की ताकत का अहसास कराता है।

अभिनय

सरगम के रूप में अंजलि पाटिल और बेटे कान्हू के रूप में ओम कनौजिया ने बेहतरीन अभिनय दिखाया है। अन्य कलाकारों ने भी अपने किरदार के साथ न्याय किया है। पिफल्म में गीतों की कमी खलती है। कान्हू के अलावा अन्य बाल कलाकारों का अभिनय भी शानदार है।

डायरेक्शन

राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने इससे पहले कई सफल फिल्में दी हैं। निर्देशन में उनकी पकड़ साफ दिखाई देती है। उन्होंने इस विषय को सही तरह से उठाया जिससे फिल्म दिल से जुड़ पाई। कुल मिलाकर फिल्म सही मैसेज देने में सफल होती है।

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