निर्देशक अमित कुमार की डेब्यू फिल्म ‘मानसून शूटआउट’ सीधी तरह से न फिल्माकर काफी घुमा फिरा कर फिल्माया गया साइक्लॉजिकल ड्रामा है। जिसके सार को बामुश्किल समझा जा सकता है।
क्या है फिल्म की कहानी ?
विजय वर्मा एक ईमानदार पुलिसमैन है,जबकि उसके सीनियर परिस्थियों को देखते हुये अपना काम करते हैं, जबकि विजय उनके काम करने से इत्तेफाक नहीं रखता, इसलिये उसे बार बार डेस्क पर भेज दिया जाता है। एक बार विजय के सामने एक विकट स्थिति पैदा हो जाती है कि कत्ल के अपराधी नवाजुद्दीन सिद्दीकी को सामने पाकर उसके साथ सही करें या गलत या फिर उसे बीच का रास्ता अपनाना चाहिये। लेकिन जब उसका सच से सामना होता है तो महसूस होता है कि जिन्दगी आपको एक ही फैसले पर निर्भर रहने का अवसर नहीं देती।
कैमरा वर्क कमाल का
फिल्म एक खास वर्ग के लिये है जो शुरू से ही उसके साथ जुड़ जाता है बावजूद इसके फिल्म का ट्रीटमेन्ट प्रभावशाली नहीं है तथा पटकथा अच्छी होते हुये भी अपने आपको अच्छा साबित नहीं कर पाती। नायक द्धारा किसी निर्णय पर पहुंचने वाले निर्णय के तीन वर्जन कन्फयूजन पैदा करते हैं। कैमरा वर्क अच्छा है उसने रीयल लोकेशंस अच्छी तरह से कवर की है।
विजय वर्मा की ये पहली फिल्म है, उसने अपनी भूमिका के लिये मेहनत की है। नवाजू इस तरह की भूमिकायें निभाने में सिद्दहस्त हो चुके हैं। इनके अलावा गीतांजली,नीरज काबी, तनिष्ठा चटर्जी आदि कलाकारों ने अपनी भूमिकाओं के साथ न्याय किया है।
क्राइम थ्रिलर फिल्मों के शौकीन एक बार फिल्म देख सकते हैं।
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