निर्देशक ओ पी राय और प्रशमित चौधरी की फिल्म ‘माई फ्रेंड्स दुल्हनियां’ एक ऐसी रोमांटिक ड्रामा स्टोरी है जो देश के विभिन्न शहरों से शुरू हो कश्मीर की वादियों में जाकर खत्म होती है।
क्या हैं फिल्म की कहानी ?
कहानी ऐसे दोस्तों की है जो कभी एक कॉलेज और एक ही क्लास में पढ़ते थे जैसे आर्यन यानि मुदासिर ज़फर, स्नेहा यानि पूजा राठी हर्ष यानि मयूर,सज्जाद यानि सौरभ रॉय और मायरा यानि शायना बावेजा। सभी आज अलग अलग शहरों में रहते हैं। एक दिन आर्यन को सज्जाद का कश्मीर से फोन आता है कि उसकी शादी है इसलिये सभी दोस्तों का इस शादी में शरीक होना है लिहाजा इस शादी में एक बार फिर सारे दोस्त जमा होते हैं। सारे दोस्त सज्जाद को कहते हैं कि भैया एक बार अपनी दुल्हन से तो मिलवा दे। जब सज्जाद उसकी फाटो दिखाता है तो आर्यन को पता चलता है कि वो तो वही लड़की है जिसे वो प्यार करता रहा है। इसके बाद कहानी के तहत क्या कुछ घटता है वो फिल्म में देखेगें तो अच्छा रहेगा।
ओ पी राय इससे पहले कट्टो और लाट् साहब दो फिल्में प्रोड्यूस कर चुके हैं। इसके अलावा करीब ब्यालिस सिंगल्स सॉन्ग बना चुके हैं, जिनमें एक दो छोड़ तकरीबन सभी हरियाणवी भाषा के सांग्स हैं। इस बार उन्होंने इस फिल्म के लिये स्वंय डायरेक्षन की बागडोर संभालते हुये सुभाष घई के स्कूल विसलिंग वुड्स से हीरो मुदासिर ज़फर, को-डायरेक्टर प्रशमित चौधरी तथा कैमरामैन को ब्रेक दिया। कहानी मुदासिर ने लिखी है।
फिल्म में यंग रोंमास के अलावा अच्छे ट्वीस्ट एंड टर्न हैं जो बीच बीच में दर्शक को चौकाते रहते हैं। फ्रैश स्टोरी, फ्रैश चेहरे और अनदेखी काश्मीर की गुलबर्ग,पहलगांव, द लेक तथा भदरवा जैसी लोकशनें फिल्म में ताजगी भरे हवा के झोकों का एहसास करवाती है। फिल्म का निर्देशन,पटकथा, संवाद, संपादन आदि सब ठीक है तथा म्यूजिक के तहत रेडियो की बातें,मस्ती में डुबे ट्रैवल सांग तथा नच ले नच ले शादी का गीत पहले ही लोकप्रिय हो चुके हैं।
आर्टिस्टों की बात करें तो फिल्म में लगभग सभी नये कलाकार हैं। इनमें मुदासिर ज़फर विसलिंगवुड से है, उसने अपने रोल को एक अनुभवी एक्टर की तरह निभाया है। सौरभ रॉय, पूजा राठी तथा बावेजा ने भी पहली फिल्म होने के तहत एक हद तक बढ़िया अभिव्यक्ति दी है। सहयोगी कलाकारों ने भी प्रमुख कलाकारों का अच्छा साथ दिया।