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मूवी रिव्यू: धीमी होने के कारण बोर करती है ‘फोटोग्राफ’

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By Shyam Sharma
मूवी रिव्यू: धीमी होने के कारण बोर करती है ‘फोटोग्राफ’
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रेटिंग: 2 स्टार

कहानी

रितेश बत्रा की फिल्म ‘फोटोग्राफ’ एक फोटाग्राफर की है जो मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया में लोगों की तस्वीर खींचकर अपना घर चलाता है। तस्वीर खिंचवाने के प्रति लोगों की दिलचस्पी पैदा करने के लिए वो सबको ये कहता है कि आपके चेहरे पर ये धूप दोबारा ऐसे नहीं पड़ेगी दोबारा ये हवाएँ इस तरह आपके बाल नहीं उड़ाएँगी, ये सब एक तस्वीर में कैद कर लीजिए। ऐसे ही एक दिन वी एक युवा लड़की मिलोनी (सान्या मल्होत्रा) को तस्वीर खिंचवाने के लिए तैयार करता है। इन दोनों की केमिस्ट्री और प्यार के ठंडे एहसास तले ये फिल्म आगे बढ़ती है। इसके बाद रफीक मिलोनी को अपनी दादी से  मिलवाता है ताकि दादा मिलोनी को पसंद कर सकें। अलग धर्म, अलग रंग, रूप और अलग पढ़ाई होने के बाद दोनों को ये एहसास होने लगता है कि दोनों में बहुत कुछ एक जैसा है। दोनों का स्वभाव और भावनाएं छिपाने का तरीका भी एक जैसा है।

निर्देशन

रितेश ने इससे पहले लंच बॉक्स जैसी सफल फिल्म बनाई है। ये फिल्म भी हमें लंच बॉक्स वाली फीलिंग ही देती है, लेकिन ये फिल्म काफी धीमी है इसलिए लंबे समय तक दर्शकों को बांधे रख पाना भी आसान नहीं। ऐसा यहां भी हुआ है। फिल्म दर्शकों के धैर्य की परीक्षा लेती रहती है।

अभिनय

फिल्म में नवाजुदीन सिद्दीकी का अभिनय पहले की तरह सषक्त है। सान्या मल्होत्रा ने भी दर्षकों को अभिनय से निराष नहीं होने दिया। कुल मिलाकर ये फिल्म हद से ज्यादा धीमी है और किसी तरह का कोई संदेश भी नहीं देती है।

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