मूवी रिव्यू: अति साधारण 'राष्ट्रपुत्र' By Mayapuri Desk 09 Nov 2018 | एडिट 09 Nov 2018 23:00 IST in रिव्यूज New Update Follow Us शेयर रेटिंग* चन्दशेखर आजाद सही मायने में क्रांतिकारियों में आजादी की अलख जलाने वाले थे लेकिन इतिहासकारों ने उन्हें नजरअंदाज किया। देश आजाद तो हो गया लेकिन आज जिस प्रकार देश भ्रष्टाचारियों और बईमानों के हाथों में गुलाम बना हुआ है। कुछ लोग जवान पीढ़ी को ड्रग के नशे का गुलाम बनाने में लगे हुये हैं। ऐसे में एक नौजवान आजाद का रूप धारण कर आता हैं और वो नशे के सौदागरों को नेस्तनाबूद करता है। ये कहानी हैं लेखक, निर्देशक, सिंगर और एक्टर आजाद की फिल्म ‘राष्ट्रपुत्र’ की । फिल्म में तकरीबन सारा कुछ स्वंय आजाद ही करते नजर आ रहे हैं। लेकिन वे जो कहना चाहते है उसे सही तरीके से नहीं कह पाते। फिल्म में कई ऐसे किरदार हैं जो कहानी को डिस्टर्ब करते हैं जैसे फिल्म की नायिका अचानक न जाने कहां से आ जाती है और अपने मकसद के लिये अकेले चलने वाला आजाद उसके प्यार में पड़ जाता है। दूसरे एक तरफ तो विलन मनीष चौधरी आजाद को पूरे शहर में तलाश करता फिर रहा है जबकि एक पत्रकार जब चाहे आजाद के सामने आ जाती है। यहीं नहीं कोई भी आजाद तक आसानी से पहुंच सकता है। बाद में आजाद अपने मकसद से भटक कर नायिका को छुड़ाने के लिये जाकिर हुसैन से उलझ जाता है। बाद में तो पहले से ही पता होता हैं कि फिल्म का क्लाईमेक्स क्या होने वाला है। अभिनय के तहत आजाद के भूमिका में आजाद साधारण रहे, उनके अलावा नायिका रूही सिंह खूबसूरत है लेकिन एक्ट्रेस नहीं। सहयोगी कलाकारों में जैनी लीवर जैसी कॉमेडियन भी कुछ नहीं कर पाती। बाकी अनुष्का विवेक वासवानी, अंचित कौर, राकेश बेदी, अतुल श्रीवास्तव, अभय भार्गव,दीपराज राणा, रजा मुराद, अली खान और जाकिर हुसैन तथा मनीश चौधरी ठीक ठाक काम कर गये। द बांबे टाकिज स्टूडियों द्धारा निर्मित और आजाद द्धारदा निर्देशित ये फिल्म छब्बीस भाषाओं में बनने जा रही है। लेकिन इसे मूल भाषा हिन्दी के दर्शक ही नसीब नहीं हुये। दरअसल फिल्म की कथा, पटकथा, सवांद ओर संगीत सभी कुछ बेहद साधारण है लिहाजा इस फिल्म के आजाद का कोई भविष्य नहीं। #movie review #Rashtraputra हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article