मूवी रिव्यू: टोटल कन्फयूजन 'रेस्क्यू' By Mayapuri Desk 14 Jun 2019 | एडिट 14 Jun 2019 22:00 IST in रिव्यूज New Update Follow Us शेयर रेटिंग* निर्देशक नयन पचौरी की फिल्म ‘ रेस्क्यू’ एक कन्फयूजन भरी साधारण फिल्म साबित होती है, क्योंकि वे पूरी फिल्म में साबित नहीं कर पाते कि वो आखिर क्या बताना चाहते हैं। कहानी कहानी में ऐसी तीन लड़कियां हनी, मीरा और आयशा की दिखाई गई हैं जो पुरुषों से सख्त नफरत करती हैं (पता नहीं क्यों)। उन्हें जो ब्रोकर जतिन घर दिखाता है, वे उसे ही बंधक बना लेती हैं और उसके साथ अमानीय व्यवहार करती हैं। वो बार बार उनके चुंगल से भागने की कोशिश करता रहता है, लेकिन कामयाब नहीं हो पता। जतिन की एक प्रेमिका भी है, जिसके घोखे का वो शिकार बनता है। जतिन का दोस्त सौरभ उसे तलाश करने के लिये पुलिस का सहारा तक लेता है, लेकिन वो उसे तलाश करने में नाकामयाब रहता है। एक दिन जतिन उन लड़कियों के चुंगल से आजाद हो अस्पताल पहुंचता है, वहां वो अपने अपहरण की व्यथा पुलिस को बताता है लेकिन पुलिस उसकी बात पर यकीन न कर उसे मानसिक रोगी करार देती है। सौरभ के इसरार पर पुलिस जब उन लड़कियों के फ्लैट पर पहुंचती है, तो वहां उन्हें जतिन की लाश मिलती है लेकिन यहां भी पुलिस उसे मानसिक रोगी बताते हुये आत्महत्या का केस करार देने की कोशिश करती है जबकि जतिन की मौत की जिम्मेदार उसकी प्रेमिका है। अंत में पुलिस गुनाहगारों को नजरअंदाज करते हुये केस क्लोज कर देती है। विश्लेषण निर्देशक लड़कियों को नगेटिव मानसिकता का शिकार बताना चाहता है, लेकिन उसकी वजह वो गोल कर गया, लिहाजा वो कुछ भी अंत तक स्पष्ट नहीं कर पाता। फिल्म की कथा,पटकथा की तरह उसका म्यूजिक भी बेहद कमजोर साबित होता है। पूरी फिल्म में दर्शक इस बात को लेकर कन्फयूज रहता है कि आखिर जो हो रहा है क्यों हो रहा है। अभिनय राहुल तुलसीराम, श्रीजीता डे, इशिता गांगुली, मेघा शर्मा तथा रानी अग्रवाल आदि कलाकार अभिनय करने की भरकस कोशिश करने के बाद भी कामयाब नहीं हो पाते लिहाजा एक बुरी फिल्म का शिकार बनकर रह जाते हैं। क्यों देखें इस तरह की कन्फयूजन से भरी फिल्म दर्शक भला क्यों देखेगा। #Sreejita De #movie review #Rescue #Ishita Ganguly हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article