मूवी रिव्यू: मौत के साथ हंसी मजाक 'द स्काई इज पिंक'

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By Mayapuri Desk
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मूवी रिव्यू: मौत के साथ हंसी मजाक 'द स्काई इज पिंक'

रेटिंग****

इस सप्ताह रिलीज होने वाली फिल्म ‘ द स्काई इज पिंक’ में निर्देशिका शोनाली बोस इन्सान को मौत का फलसफा समझा रही हैं कि मौत एक ऐसा सच है जो हर किसी के सामने आता है, कोई जल्दी चला जाता है तो किसी को देर से मौत आती हैं लेकिन इंसान का मौत से आमना सामना होना आवश्यक है। इस फिल्म की नायिका आयशा चैधरी महज अट्ठारह वर्ष की अल्पआयु में ही गुजर गई, लेकिन मरने से पहले वो जीने का अंदाज सिखा गई। उसने बचपन में ही मौत से लड़ते हुये बाद में अपनी बुक ‘माय लिटिल एपिफेनीज’ के तहत मौत के फलसफे को अच्छी तरह से बांटा।

कहानी

दिल्ली के चांदनी चौक में रहने वाले दंपती अदिति उर्फ मूज यानि प्रियंका चोपड़ा तथा नरेन चैधरी उर्फ पांडा यानि फरहान अख्तर की तीसरी संतान आयशा यानि जायरा वसीम जन्म से एससीआईडी रेयर इम्युन डेफिशियेंसी  सिंड्रोम से ग्रस्त थी। जिसमें छोटे से छोटा इंफेक्षन भी प्राण घातक साबित हो सकता है। इस बीमारी में कोई भी मुश्किल से एक साल ही जिन्दा रह सकता है। आदिति की दूसरी बेटी तानिया भी इससे पहले इसी बीमारी के तहत मर चुकी है  लेकिन इस बार दोनों पति पत्नि अपनी तीसरी संतान को बचाने के लिये हर संभव कोशिश करने के तहत लंदन पहुंच जाते हैं। आयशा को बचाने के लिये वे हर तरह की कुर्बानी देने के लिये तैयार रहते हैं। यहां तक नरेन अपने बेटे के साथ इंडिया में हैं जबकि अदिति आयशा के ईलाज को लेकर लंदन में ही डटी हुई है। छह महिने की उम्र में आयशा का बॉन मैरो ट्रांसप्लान होता है। मंहगे इलाज के लिये अदिति को बाहर से भी पैसा जमा करना पड़ता है। इस ट्रांसप्लान के साइड इफेक्ट की वजह से आयशा को फेफड़े की पल्ममोनरी फ्राइबासिस नामक बीमारी हो जाती है। इसके बाद आयशा का मरना तय है लिहाजा उसकी बची जिन्दगी को खुशहाल बनाने के लिये अदिति पूरी तरह से कमर कस लेती है।

अवलोकन

ये कहानी इंडिया में किसी भी परिवार की हो सकती हैं लेकिन अदिति और नरेन की अपनी औलाद को बचाने की ललक और जामीरी देखने को नही मिलेगी। हालांकि फिल्म डार्क है लेकिन निर्देशिका ने इसे पूरी तरह दुखांत नहीं होने दिया बल्कि पांडा और मूज के बीच की अजीब लव स्टोरी के तहत गुदगुदाने वाले दृश्य भी रखे हैं जो दर्शक को भी मुस्कराने के लिये मजबूर करते हैं। आप कह सकते हैं टेजिटी स्टोरी होते हुये भी निर्देशक ने फिल्म की फिजा भारी नहीं होने दी। फिल्म दूसरे भाग में न चाहते हुये भी बेहद इमोशनल हो जाती है जो अपने अंत में दर्शख की आंखें भी नम कर जाती है। फिल्म की पटकथा तथा संवाद काफी अच्छे हैं लेकिन संगीत औसत रहा।

अभिनय

प्रियंका चोपड़ा ने बहुत ही सुंदर अभिनय किया है, बेटी को बचाने के लिये उसका सर्मपण बेहद प्रभावशाली रहा। उसके साथ कदम ताल मिलाते हुये फरहान अख्तर भी अभिनय के तहत पीछे नहीं रहे। उनके बेटे के रोल में रोहित श्राफ का भी बढ़िया अभिनय रहा। जायरा वसीम ने अपने नेचुरल अभिनय से आयशा की भूमिका को जिंदा कर दिखाया।

 क्यों देखें

प्रियंका, फरहान,रोहित और जायरा के प्रशसकों के लिये फिल्म एक तोहफे की तरह है।

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