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मां का अहसास 'मम'

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By Shyam Sharma
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मां का अहसास 'मम'

निर्देशक आकाश मिहानी की शॉर्ट फिल्म ‘मम’ मध्य प्रदेश के मंदसोर इलाके के एक गांव की दस वर्षीय बच्ची की सच्ची कहानी है जिसे उसकी बकरी एहसास दिलाती है कि मां क्या होती है। जब स्कूल में टीचर उसे मां पर निंबध सुनाने को कहता है तो वो कहती है कि कि मेरी बकरी का बच्चा जो मुझे बहुत अच्छा लगता है। मैं उसे बकरी से दूर खेलने के लिये ले जाती हूं तो मेरी बकरी बेचैन हैं जौर जोर से मिमयाने लगती थी। तब मेरे बाबा ने मुझे बताया कि बकरी एक बेजुबान जानवर है जो बोल नहीं सकती लेकिन वो अपने दुधमुहे बच्चे को अपने से दूर होते नहीं देख सकती, इसलिये वो बार बार मिमयाने लगती है।

मेरी मां नहीं है इसलिये मुझे इन बातों का पता नहीं। लेकिन जब मैं आज स्कूल आ रही थी तो रास्ते में मुझे एक नवजात बच्ची रोती मिली। मैने इधर उधर देखा लेकिन उसकी मां मुझे कहीं नजर नहीं आई। ऐसा उसने क्यों किया, वो तो बोल सकती थी, फिर वो अपनी बच्चे को क्यों छोड़ गई। मैंने फैसला किया है कि मैं इस बच्ची को अपने घर ले जाउंगी। वहां मेरी बकरी अपने बच्चे के साथ उसे भी अपना दूध पिलाते हुये उसकी मां बन जायेगी।

दस अवॉर्ड अपने नाम कर चुकी है मम

निर्देशक आकाश मिहानी की ये फिल्म मां का महत्व और एहसास भावनात्मक तौर पर प्रभावशाली ढंग से बताती है। दस वर्षीय बच्ची गुन मिहानी ने बहुत ही मासूम अभिनय किया है, उसका टीचर बने इनायत काज़ी और उसके पिता बने नितिश उपाध्याय ने उसका अच्छा साथ दिया है। मम अभी तक बेस्ट फिल्म, बेस्ट डायरेक्टर, बेस्ट डेब्यू डायरेक्टर आदि मिलाकर दस अवॉर्ड अर्जित कर चुकी है।

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