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कोई भी फिल्म मेकर अपनी सफल फिल्म को भुनाने के लिये बडी़ आसानी से पहली सफल फिल्म से मेल खाते शीर्षक को लेकर दोबारा फिल्म घड़ लेता है, लेकिन भारी पैसा खर्च कर जब दर्शक सिनेमा हाल में फिल्म देखता है तो अपने आपको ठगा महसूस करता है। विपुल अमृत लाल शाह की फिल्म ‘नमस्ते इंग्लैंड’ ऐसी ही फिल्म है, जो दर्शक को धोखा देने में पूरी तरह कामयाब है।
पंजाब का एक नौजवान परम यानि अर्जुन कपूर को जसमीत यानि परिणीति चौपड़ा से उस वक्त प्यार हो जाता है जब वो किसी फंक्शन में डांस कर रही होती है। जसमीत भी परम की तरफ आकर्षित हो जाती है। दोनों एक दूसरे से प्यार करने लगते हैं और उनकी शादी भी तय हो जाती है। यहां जसमीत परम से एक वादा लेती हैं कि वो षादी के बाद नौकरी करेगी क्योंकि उसके दादा और भाई उसके नौकरी करने के सख्त खिलाफ हैं उनका मानना है कि ओरत का काम घर संभालना और बच्चे पेदा करना होता है जबकि जसमीत एक सफल ज्वैलरी डिजाइनर बनना चाहती है। शादी से पहले जसमीत के दादा परम के पिता वादा ले लेते हैं कि वो जसमीत से नौकरी नहीं करवायेगें। अब परम अपने पिता की बात नहीं टाल सकता। लिहाजा जसमीत लंदन जाकर सेटल होना चाहती है और एक दिन वो लंदन के लिये निकल पड़ती है इस वादे के साथ कि वो बाद में परम को बुलालेगी। लेकिन एयरपोर्ट पर पता चलता है जसमीत किसी से इस वादे के साथ शादी करके लंदन जा रही है कि वो वहां उसे नागरिकता दिलवाने के बाद तलाक दे देगा। जसमीत के इस झूठ से परम को बड़ी निराषा होती है लिहाजा वो जसमीत के सिर से लंदन का भूत उतारकर वापिस इंडिया लाने के दरादे से इनलीगल तरीके से लंदन में प्रवेश करता है इसके बाद वो कुछ ऐसा चक्कर चलाता है कि जसमीत वापस इंडिया आने के लिये मजबूर हो जाती है।
फिल्म की तरफ आकर्षित होने की दो वजह थी एक तो पहली फिल्म नमस्ते लंदन की अपार सफलता, दूसरे इश्कज़ादे के बाद दूसरी बार अर्जुन कपूर और परिणीति चोपड़ा की जोड़ी। लेकिन न तो फिल्म आकर्षित कर पाती है न अर्जुन और परिणीति की जोड़ी कोई असर छोड़ पाती है जबकि इस जोड़ी को फिल्म इश्कज़ादे में काफी पंसद किया गया था। दरअसल फिल्म की कहानी और पटकथा दोनो कमजोर हैं जबकि 'नमस्ते लंदन' की कहानी पटकथा और संगीत तीनों चीजें बढिया थी। संगीत के नाम पर यहां ‘भरे बाजार’ गीत पंसद आ रहा है। फिल्म की यहां और लंदन की फोटोग्राफी अच्छी है।
अभिनय की बात की जाये तो अर्जुन कपूर अपने किरदार में घुसने की भरकस कोशिश करते हैं लेकिन कमजोर किरदार और वैसे ही संवाद उसे कुछ भी नहीं करने देते, बिलकुल यही स्थिति परिणीति की भी रही है। जब पिलर ही कमजोर हैं तो बाकी सब तो वैसे ही कमजोर हो जाने वाला है लिहाजा फिल्म की सहायक कास्ट चाह कर भी कुछ नहीं कर पाती।
अंत में फिल्म को लेकर यही कहा जा सकता है कि 'नमस्ते इंग्लैंड' पूरी तरह से निराश करने वाली फिल्म साबित होती है। लिहाजा दर्शक भला अपना पैसा क्यों जाया होने देगा।