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रेटिंग***
इन दिनों हिन्दी के अलावा क्षेत्रीय फिल्मों के सब्जेक्ट तो अनोखे और नये होते ही हैं लेकिन उन्हें अच्छा डायरेक्शन और ज्यादा चमकीला बना देता है । हाल ही में निर्देशक सप्तस्वा बासू की बंगाली फिल्म‘ नेटवर्क’ एक ऐसे निर्देशक की कहानी पर आधारित है जो कैंसर के कारण मरने की कगार पर हैं और जाने से पहले अपनी आखिरी फिल्म बनाना चाहता है । लेकिन वो अपने से विश्वासघात करने वालों से किस प्रकार बदला लेता है ।
कहानी
सस्वता चटर्जी यानि अभिजीत गांगुली अपने वक्त के सफल फिल्म डायरेक्टर रहे हैं लेकिन बेटी के निधन के बाद वे अपने पेशे से दूर हो गये । जब उन्हें पता चला कि उन्हें कैंसर हैं और उनके पास सिर्फ दो साल हैं तो उन्होनें अपनी आखिरी फिल्म बनाने का निश्चय किया । फिल्म के लिये प्रोडक्शन में उन्होंने रिनी घोष और इन्द्रजीत मजूमदार को रखा, लेकिन उन दोनों ने अपनी महत्वाकांक्षा के चलते अभिजीत दा से गद्दारी करते हुये उनका सब्जेक्ट उनके राइ्रवल सव्यसांची चक्रबर्ती को बेच दिया और खुद उसके हीरो हीरोइन बने गये । बाद में अभिजीत अपने दोस्त से मिलकर रीयल शो के तहत रिनी और इन्द्रजीत को ऐसा फंसाते हैं कि अंत में रिनी ओर इन्द्रजीत को मुंह की खानी पड़ती है ।
अवलोकन
फिल्म की प्रस्तुति बहुत ही प्रभावशाली है । जिसमें हर किरदार बिलकुल रीयल लगता है । फिल्म की पटकथा और संवाद दर्शक को अंत तक जोड़े रखते हैं तथा म्यूजिक, कहानी का ही हिस्सा लगता है । डायरेक्टर ने एक जगह भी फिल्म को ढील नहीं दी बल्कि शुरू से लास्ट तक हर किरदार की बागडोर कसकर पकड़े रखी । फिल्म की फोटोग्राफी अच्छी और लोेकेशन प्रभावी है ।
अभिनय
फिल्म में बंगाली फिल्मों के मंजे हुये कलाकर हैं । जिनमें प्रमुख रोल में सस्वता चटर्जी फिल्म मेकर के तौर पर बेहतरीन काम कर गये । स्वयसांची चक्रबर्ती तो हिन्दी फिल्मों भी नजर आते रहते हैं । वे बहुत ही मंजे हुये अभिनेता हैं । इनके अलावा रिनी घोष तथा इन्द्रजीत मजूमदार भी बढ़िया अदाकारी दिखाते नजर आये । इनके अलावा सहयोगी कलाकार भी अहम रहे ।
क्यों देखें
बंगाली दर्शकों के लिये फिल्म काफी महत्वपूर्ण साबित होने वाली है ।