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एक आंतकवादी की डॉक्यूमेंट्री है 'ओमर्टा'

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By Shyam Sharma
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एक आंतकवादी की डॉक्यूमेंट्री है 'ओमर्टा'

निर्देशक हंसल मेहता और राजकुमार राव। इस जोड़ी ने अभी तक शाहिद, सिटीलाइट तथा अलीगढ़ जैसी आम जिन्दगी से निकली कहानियों पर ओजस्वी फिल्में दी है। इस जोड़ी की अगली कड़ी का नाम है ‘ओमर्टा’ । इस फिल्म में एक ब्रिटिश नागरिक लेकिन पाकिस्तान मूल के ऐसे बेहद पढ़े लिखे शख्स की कहानी है जिसने आंतकवाद का रास्ता अपनाया।

फिल्म की कहानी

उमर सईद शेख लंदन में पढ़ा लिखा एक जहीन शख्स है लेकिन 1994 में बोस्नीया वार में मुसलमानों के कत्लेआम देख, बाद में मुसलमानों का बदला लेने के लिये वो आंतकवाद का रास्ता अपना लेता है। उसका पहला ऑपरेशन हिन्दुस्तान में चार अमेरिकन के अपहरण से शुरू होता है। लेकिन वो पकड़ा जाता है और उसे जेल हो जाती है। इसके बाद उसका कितने ही बड़े कारनामों के साथ नाम जुडता है। भारत में रहकर उसने कई घटनाओं को अंजाम दिया। पाकिस्तान से ट्रेनिंग ले उसका कंधार विमान अपहरण, वर्ल्ड ट्रेड सेन्टर कांड आदि में नाम आता हैं। उसके बाद उसकी शादी और फिर बच्चे के बाद अमेरिकन पत्रकार डेनियल पर्ल की नृश्ससं हत्या जैसी तमाम आंतकी घटनाओं से उसका नाम जुड़ा हुआ पाया गया। publive-image

हंसल मेहता की फिल्मों में आम इंसान से जुड़े तथ्यों को प्रभावी ढंग से पेश किया जाता रहा है, लेकिन इस बार उन्होंने फिल्म एक डाकूमेंट्री की तरह पेश की है। लिहाजा फिल्म में जो भी घटनायें दिखाई हैं उनके बारे में दर्शक को पहले से पता होता है। कुछ घटनाओं के संदर्भ में कई बार असली उमर को भी दिखाया गया है। उससे फिल्म पर डाकूमेंट्री की छाप और गहरी हो जाती है। कितने ही सीन ऐसे हैं जिनके बारे में हमने पढ़ा और सुना है। उमर द्धारा पर्ल की हत्या कर फिर उसकी लाश के टुकड़े टुकड़े कर क्षत विक्षत कर देना वाला सीन रोगंटे खड़े कर देता है। फिल्म पूरी तरह उमर से जुड़े तथ्यों पर आधारित है। दूसरे फिल्म पूरी तरह से रूड है क्योंकि कहीं भी इमोशन की एक भी झलक नहीं दिखाई दी। जिस प्रकार हंसल की दूसरी फिल्में दर्शक को साथ लेकर चलती हैं, यहां ऐसा कुछ नहीं हो पाया क्योंकि दर्शक फिल्म तो देखता है लेकिन उससे जुड़ नहीं पाता।

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शानदार अभिनय

अभिनय की बात की जाये तो जब भी राजकुमार हंसल मेहता की किसी फिल्म में होते हैं तो वे पूरी तरह से किरदार में उतर जाते हैं। यहां भी उमर सईद शेख को लेकर उनका रिसर्च काफी बढ़िया रहा। उन्होंने उसका लुक, चाल ढाल आदि लगभग सभी कुछ अपनाते हुये पूरी तरह उमर के किरदार में घुसकर उसे जीया। उनके अलावा टिमोथी रेयान पर्ल के रोल में काफी बढ़िया काम कर गये तथा केवल अरोड़ा और राजेश तैलंग भी अपनी भूमिका में बढ़िया रहे।

रीयल तथा आतंकवाद से जुड़ी फिल्मों को पसंद करने वाले दर्शकों की पंसद पर ये फिल्म खरी उतरने वाली है।

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