रेटिंग***
कन्नड़ फिल्म स्टार सुदीप हिन्दी फिल्मों के लिये भी जाना पहचाना चेहरा बन चुका है । रामू की कुछ फिल्मों तथा राजा मौली की फिल्म मक्खी और बाहुबली( मेहमान भूमिका)के बाद हिन्दी में भी उनकी एक हद तक पहचान बनी है । अब सुदीप, सुनील शेट्टी के साथ निर्देशक एस कृष्णा की फिल्म ‘ पहलवान’ में पहलवान बने नजर आ रहे हैं ।
कहानी
सुनील शेट्टी (सरकार) अपने वक्त के नामी पहलवान रहे हैं । उनका सपना हैं कि वे अपने किसी शार्गीद को नेशनल लेबल का पहलवान बनाये । अपनी ये इच्छा वे किच्चा(सुदीप) में देखते हैं,लिहाजा अनाथ किच्चा को वे अपना बेटा बनाते हुये अखाड़े में इस वचन के साथ उतार देते हैं कि वो नेशनल लेबल को पहवान बनने तक ब्रह्मचारी रहेगा । बड़ा होकर किच्चा एक नामी पहलवान बनता है यहां तक वो इलाके पहलवानी के किंग दंभी राजा सुशांत सिंह को भी धूल चटा देता है । लेकिन अचानक उसकी जिन्दगी में रूक्मणी (आकांक्षा सिंह) आ जाती है और किच्चा उससे शादी कर लेता है । इस बात से आहत हो सरकार उससे लाइफ में कभी पहलवानी न करने का वचन लेते हुये रिश्ता तोड़ देते हैं । किच्चा अपनी बेटी और बीवी के साथ दूसरी जगह अपनी जिन्दगी बसर कर रहा होता है कि उसे राजा साहब की दुश्मनी और एक बॉक्सर टोनी के दंभ की बदौलत एक बार फिर रिंग में उतरना पड़ता है। बाद में राजा के दंभ और टोनी को हराकर किच्चा सरकार का सपना पूरा करता है ।
अवलोकन
पहलवान पूरी तरह से एक टिपिकल साउथ इंडियन मसाला फिल्म है । दूसरे कमजोर कहानी और कमजोर निर्देशन के फिल्म एक हद तक ही मनोरजंक बन पाती है । हालांकि फिल्म में अनाथ किच्चा और सरकार के बीच इमोशन का तड़का लगाने की भी कोशिश की गई लेकिन वो भी प्रभावहीन रहा । डगमग चलती कहानी में अभावग्रस्त प्रतिभाशाली बच्चों का ट्रैक और घुसेड़ दिया । म्यूजिक भी औसत दर्जे का रहा । फिल्म की हाईलाईट है जबरदस्त एक्शन ।
अभिनय
एक वक्त के बाद सुनील शेट्टी बड़े पर्दे पर दिखाई दिये । सरकार की भूमिका में सुनील जमते हैं लेकिन उनकी भूमिका को और अच्छी तरह संवारा जा सकता था । सुदीप हमेशी की तरह एवरग्रीन हैं, उन्होंने अपनी भूमिका को दमदार तरीके से निभाया । आकांक्षा मासूम लगती है । सुशांत सिंह और कबीर दुहनसिंह भी बढ़िया काम कर गये ।
क्यों देखें
साउथ इंडियन एक्शन फिल्मों के शैकीन दर्शकों की उम्मीदों पर फिल्म खरी उतरती है ।