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अजय देवगन और सौरभ शुक्ला का दमदार अभिनय 'रेड'

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By Shyam Sharma
अजय देवगन और सौरभ शुक्ला का दमदार अभिनय 'रेड'
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इन दिनों बायोपिक या सच्ची घटनाओं से प्रेरित कहानियों पर बनी फिल्में खासी पसंद की जा रही हैं। इसी श्रंखला में निर्देशक राज कुमार गुप्ता की फिल्म ‘रेड’ भी शामिल हो चुकी है। 1981 में साउथ के एक मंत्री के यहां एक बेहद ईमानदार इन्कम टैक्स ऑफिसर द्धारा इन्कम टैक्स की भारी भरकम पड़ने वाली रेड पर आधारित इस फिल्म की कहानी का उत्तर प्रदेश में तबादला कर दिया गया।

फिल्म की कहानी

फिल्म लखनऊ के एक दबंग सांसद जिन्हें ताऊ जी यानि सौरभ शुक्ला कह कर पुकारा जाता है। वहां अभय पटनायक यानि अजय देवगन नामक इन्कम टैक्स ऑफिसर का तबादला होता है। अपनी ईमानदारी को लेकर बदनाम अभय कहीं भी दो महीने से ज्यादा नहीं ठहर पाता। लखनऊ में अभय को एक मुखबिर के द्धारा पता चलता है कि बाहुबली सांसद ताऊ जी के पास करीब चार सो बीस करोड़ का विशाल खजाना है। अभय पूरी तरह तहकीकात करने के बाद सांसद के घर पर रेड डालने पहुंच जाता है और सांसद द्धारा बार बार धमकियां देने के बावजूद वहां से भारी खजाना बरामद करने में कामयाब हो जाता है। इस बीच उसे अपनी ईमानदारी के तहत क्या कुछ झेलना पड़ता है ये फिल्म में देखना ज्यादा अच्छा लगेगा।publive-image

दमदार डायरेक्शन

राजकुमार गुप्ता को रियलस्टिक घटनाओं को फिल्माने में महारत हासिल है। इस बार भी वे अपनी कोशिश में पूरी तरह कामयाब हैं। इस बार उन्होंने 1980 में एक दंबग सांसद के यहां अभी तक सबसे लंबी चलने वाली इन्कम टैक्स रेड को फिल्म का विषय बनाया। दरअसल वास्तविक कथानक साउथ के किसी मिनीस्टर का था लेकिन राज कुमार ने उसे लखनऊ में परिवर्तित कर एक बेहद प्रभावशाली फिल्म का रूप दे दिया। दूसरे प्रदेश और दूसरी भाषा में प्रवर्तित इस फिल्म की कसी हुई पटकथा और असरदार संवाद दर्शक को पूरे समय हिलने तक नहीं देते। फिल्म का ट्रीटमेंट कमाल का है। बैकग्राउंड स्कोर तथा फोटोग्राफी फिल्म को और असरदार बनाते है। लेकिन यूपी की कहानी में पंजाबी गाने एक हद तक घुममिल नही पाते।publive-image

शानदार अभिनय

एक बार फिर अजय देवगन अपने सहज लेकिन प्रभावशाली अभिव्यक्ति से दर्शकों का दिल जीतने में पूरी तरह कामयाब हैं। हालांकि इस बार उन्हें उनकी एक्शन छवि से दूर रखा गया बावजूद इसके वे ऑखों से एक्शन कर जाते हैं। इलियाना डीक्रूज उस दौर के लुक में अपनी छोटी सी भूमिका में बहुत अच्छा अभिनय कर गई। अगर एक छोर पर अजय देवगन थे तो दूसरे नेगेटिव छोर को सौरभ शुक्ला ने एक प्रभावशाली अभिनेता के तौर पर संभाले रखा है। वे कहीं भी अजय के सामने उन्नीस नहीं दिखाई देते। इनके अलावा सहयागी कलाकारों ने भी बढ़िया काम किया है।

एक सच्ची घटना से प्रेरित इस फिल्म में अजय देवगन और सौरभ शुक्ला का दमदार अभिनय देखना है तो फिल्म कतई मिस न करें।

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